९७. जलनियोजन

९७. जलनियोजन

हमारी इस वसुंधरा पृथ्वी पर लगभग ७०% पानी है। लेकिन आज वैश्‍विक जलपरिस्थिति को देखें, तो कई जगह अकाल की परिस्थिति दिखायी देती है। पानी के अभाव के कारण ख़ेती न कर सकने के उदाहरण दुनिया में कई जगहों में दिखायी देते हैं। उसीके साथ, कई भागों में, पीने के पानी के घूँट के लिए […]

Read More »

९६. दुनिया के लिए मार्गदर्शक इस्रायल का हायटेक कृषिसंशोधन

९६. दुनिया के लिए मार्गदर्शक इस्रायल का हायटेक कृषिसंशोधन

इस्रायल में जब ख़ेती का विचार किया जा रहा था, तब इस्रायल को अनगिनत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन उसी के कारण इस्रायल का कृषिसंशोधन यह सर्वसमावेशक साबित हुआ। ख़ेती के लिए पूरी तरह प्रतिकूल हालात होते हुए भी इस्रायल ने आज जो ‘कृषिप्रधान देश’ के रूप में अपनी पहचान बनायी है, वह केवल […]

Read More »

९५. कृषिसंशोधन

९५. कृषिसंशोधन

विद्यमान जागतिक जनसंख्यावृद्धि के रेट को देखते हुए, आनेवाले कुछ सालों में दुनिया की आबादी १० अरब तक जा पहुँचेगी, ऐसा डर अभ्यासक व्यक्त कर रहे हैं। इसलिए इस आबादी को जीने के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता भी धीरे धीरे कम होती जायेगी, यह बात भी ज़ाहिर है। उसीके साथ – संसाधनों की फ़ज़ूलखर्ची, […]

Read More »

९४. रेगिस्तान में ख़ेती

९४. रेगिस्तान में ख़ेती

जिस प्रकार इस्रायल के डेव्हलपमेंट टाऊन्स का ज़िक्र किया, तो एरिएह शेरॉन का नाम सामने आता है, उसी प्रकार नेगेव्ह के रेगिस्तान के विकास का ज़िक्र होने पर एक ऐसा ही नाम आँखों के सामने आ जाता है – ‘मेनाकेम पर्लमटर’! सन १९२८ में तत्कालीन झेकोस्लोव्हाकिया में जन्मे पर्लमटर का नाम ‘नेगेव्ह विकास के शिल्पकार’ […]

Read More »

९३. ज़मीन और ख़ेती

९३. ज़मीन और ख़ेती

डेव्हिड बेन-गुरियन के बारे में एक क़िस्सा बताया जाता है। एरिएह शेरॉन की टीम ने बनाये मास्टर प्लॅन के अनुसार पूरे इस्रायल भर में डेव्हलपमेंट टाऊन्स का निर्माण होने जा रहा था, वैसा वह नेगेव्ह के रेगिस्तान में भी करने की योजना बनायी जा रही थी। इस्रायल के कुल क्षेत्रङ्गल के आधे से भी अधिक […]

Read More »

९२. डेव्हलपमेंट टाऊन्स्

९२. डेव्हलपमेंट टाऊन्स्

एरिएह शेरॉन इस इस्रायली आर्किटेक्ट ने उसकी टीम के, नगररचना-गृहनिर्माण-स्थापत्यशास्त्र-अर्थ ऐसे विभिन्न क्षेत्रों के लगभग १८० विशेषज्ञों की सहायता से ‘नॅशनल डेव्हलपमेंट प्लॅन’ तैयार किया। वह इस्रायल के बुनियादी सुविधाओं के विकास का मानो मूलमंत्र – ‘मास्टर प्लॅन’ ही साबित हुआ। इस मास्टर प्लॅन का मुख्य उद्देश्य था – इस्रायल की स्वतन्त्रता के बाद दुनियाभर […]

Read More »

९१. इस्रायली समाजव्यवस्था की नींव

९१. इस्रायली समाजव्यवस्था की नींव

इस्रायल के लिए १९५० का दशक यह वैसे देखा जाये, तो ‘रेशनिंग सिस्टीम’ अर्थात् ‘ऑस्टेरिटी मेझर्स’ का ही साबित हुआ| लेकिन आगामी इस्रायली समाजव्यवस्था की नींव भी इसी दशक में बनायी गयी| आज हालॉंकि इस्रायल की गणना ‘विकसित राष्ट्रों’ में की जाती है, १९५० के दशक में वह इस संज्ञा से कोसों दूर था| बहुत […]

Read More »

९०. मुआवजा….

९०. मुआवजा….

‘ऑस्टेरिटी मेझर्स’ यानी मितव्ययिता के उपाय एक हद तक व्यवहार्य साबित होनेवाले थे, उसके आगे नहीं| जागतिक ज्यूधर्मियों से और ज्यू-मित्रों से सहायता हालॉंकि जारी थी, लेकिन ज्यू स्थलांतरितों का प्रवाह तो अव्याहत रूप में चालू ही था| गत कुछ महीनों से बेन-गुरियन के दिमाग में कुछ तो वैकल्पिक योजना बनाने के विषय में विचार […]

Read More »

८९. पहली कसौटी तथा उपाययोजना

८९. पहली कसौटी तथा उपाययोजना

लेकिन युनो ने किये विभाजन में, ज्यूधर्मियों के हिस्से में बहुत ही कम ऊपजाऊ या ख़ेतीयोग्य ज़मीन आयी थी, बाकी कुल मिलाकर शुष्क रेगिस्तानी ज़मीन ही थी।जन्मते ही अरब राष्ट्रों के साथ घमासान युद्ध का सामना करना पड़े हुए इस्रायल की स्थिति, उस युद्ध को जीतकर भी कुछ अच्छे नहीं थे। एक तो युद्ध का […]

Read More »

८८. युद्धविराम समझौता; स्वतंत्र इस्रायल की मार्गक्रमणा शुरू

८८. युद्धविराम समझौता; स्वतंत्र इस्रायल की मार्गक्रमणा शुरू

सन १९४८ के अरब-इस्रायल युद्ध में इस्रायल की विजय हुई। इस्रायल के चारों ओर से आक्रमण कर आयीं ५ अरब देशों की शस्त्रसुसज्जित ताकतवर सेनाएँ बनाम बहुत ही कम युद्धसामग्री के साथ, अपर्याप्त सैनिकबल के साथ उनका प्रतिकार करनेवाली इस्रायली सेना ऐसा यह विषम सामना इस्रायल ने अनगिनत अड़चनों को मात देकर जीता। अरब सेनाएँ […]

Read More »