कनाड़ा ने चीन के वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी को निष्कासित किया – दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा

टोरोंटो/बीजिंग – कनाड़ा के पूर्व मंत्री और सांसदों पर दबाव बनाने की कोशिश में लगे चीनी राजनीतिक अधिकारी को कनाड़ा की सरकार ने निष्कासित किया है। कनाड़ा के विदेश मंत्री मेलानी जोली ने इसका ऐलान किया। कनाड़ा की इस कार्रवाई पर चीन ने तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की हैं इस बीच जैसे को तैसा, यह बर्तावर करने की चेतावनी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने दी है। इस नए विवाद के कारण कनाड़ा और चीन के बीच बना तनाव अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। दो साल पहले कनाड़ा की गुप्तचर यंत्रणा पेश की हुई रपट में यह कहा गया था कि, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत द्वारा कनाड़ा के राजनीतिक व्यवस्था में हस्तक्षेप हो रहा हैं। इसमें चीन की हुकूमत कनाड़ा के सांसद और उनके परिवार को लक्ष्य कर रही हैं, इसपर ध्यान आकर्षित किया गया था। इस रपट में सांसदों के नामों का ज़िक्र नहीं था। लेकिन, कनाड़ा के माध्यमों ने मायकल वाँग पर दबाव बनाया जा रहा है, ऐसा वृत्त जारी किया था। इस घटना ने कनाड़ा के राजनीतिक दायरे में सनसनी बनी थी।

इस मामले में कनाड़ा की सरकार ने चीन की हुकूमत से बातचीत करके हल निकालने की कोशिश की थी। लेकिन, चीनी हुकूमत ने उचित सहयोग करने से इन्कार किया और बाद में कनाड़ा ने चीनी राजनीतिक को निष्कासित करने का निर्णय किया, यह कहा जा रहा है। ‘कनाड़ा के अंदरुनि कारोबार में किसी भी तरह से विदेशी दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कनाड़ा के राजनीतिक अधिकारियों के साथ यही ऐसा बर्ताव देखा गया तो उन्हें स्वदेश भेजा जाएगा। इस पर पहले ही आगाह किया गया था’, इन शब्दों में विदेश मंत्री मेलानी जोली ने चीनी अधिकारी को निष्कासित करने का समर्थन किया।

कनाड़ा के टोरोंटो शहर में चीन के वाणिज्य दूतावास के वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी झाओ वेई को निष्कासित किया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद मायकल वाँग ने चीन की हुकूमत द्वारा उइगरवंशियों के हो रहे उत्पीड़न पर आक्रामक भूमिका अपनाई थी। उइगरवंशियों पर जारी कार्रवाई यानी वंशसंहार है, ऐसा प्रस्ताव संसद में पेश करने के लिए वाँग ने पहल की थी। कनाड़ा के चीनी वंशी समुदाय पर दबाव बनाने की और उन्हें परेशान देने की कोशिश शुरू होने का मुद्दा भी वाँग ने उठाया था।

इस वजह से गुस्सा हुए चीनी हुकूमत ने उनपर प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन, सीर्फ प्रतिबंध लगाकर रुके बिना चीनी हुकूमत ने वाँग के चीन स्थित रिश्तेदार और जानकारों को लक्ष्य करने की कोशिश शुरू की थी। इस मुद्दे पर कनाड़ा के माध्यम एवं विपक्ष ने सरकार से लगातार तीखे सवाल करना शुरू किया। इस वजह से आखीर में दबाव में आकर कनाड़ा की सरकार ने चीनी अधिकारी को निष्कासित किया है, ऐसा समझा जा रहा है।

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