हृदय एवं रक्ताभिसरण संस्था- ३०

हमारे शरीर में रक्तदाब (रक्तचाप- ब्लड प्रेशर) का नियंत्रण कैसे होता है, हम इस पर प्रकाश ड़ाल रहे हैं। इसका कारण यह है कि नॉर्मल रक्तदाब पेशियों के कार्यों के लिये अत्यंत आवश्यक हैं। पेशियों से बहनेवाला रक्तप्रवाह पेशियों को प्राणवायु व अन्य अन्न घटकों की आपूर्ति करते है। रक्तवाहनियों से प्रवाहित होनेवाला रक्तप्रवाह रक्तवाहनियों में रक्त के दाब पर निर्भर होता है। शरीर की विभिन्न पेशीसंस्थायें रक्तदाब पर नियंत्रण करती हैं। इस नियंत्रण की प्रक्रिया में प्रत्येक संस्था के कार्य तय होते हैं। उनके कार्यों की कालावधि के अनुसार ही उनका वर्गीकरण किया जाता है। इस नियंत्रण का मुख्य प्रयोजन होता है, सभी पेशियों के कार्यों को संतुलित रखना। Disaster Management अथवा आपातकालीन व्यवस्थापन में हम ने कुछ महत्त्वपूर्ण बातें देखीं। किसी आपत्ति के आने के बाद उससे बाहर निकलने के लिये निश्‍चित चरणों में नियोजन किया हुआ होता है। इस नियोजन के तीन चरण होते हैं –

१) तात्कालिक उपाय-योजना :- उदा. भूकंप के बाद जख़्मियों का तात्काल इलाज करना। ढ़ेर के नीचे दबे लोगों को फौरन बाहर निकालना। अन्य लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुँचाना इत्यादि।

२) आपद्ग्रस्तों के लिये भोजन, वस्त्र, आवास की व्यवस्था करना। आवागमन व संपर्क के साधन जुटाना। अन्य बीमारियों को फैलने से रोकना इत्यादि।

३) आपादग्रस्त का उचित लाँगटर्म यानी स्थायी पुर्नवसन की व्यवस्था करना।

किसी भी आपत्ति के नियोजन में उपरोक्त तीन चरण होते ही हैं। इसके अलावा पूर्वतैयारी (Preparedness) का चौथा चरण होता ही है।

प्राणवायुशायद आपको लग रहा होता कि शरीर रचना को छोड़कर आज लेखक महाशय कहाँ भटक गये? यह भटकना नहीं होता। यह anology है, मानवों ने अभ्यास करके, मनन करके, चिंतन करके आपत्ति नियोजन के चरणों को तय किया। ऐसा करते समय पहले आयी आपत्तियों के अनुभव भी काम में आये। हमारे शरीर में निर्माण होने वाली विभिन्न आपत्तियों के लिये परमेश्‍वर ने उनका नियोजन पहले से ही कर रखा है। शरीर के विविध अवयव एवं अवयव संस्थायें आनेवाली आपत्तियों का सामना करने के लिये हमेशा तैयार ही रहती है। एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं, जिससे यह बात स्पष्ट हो जायेगी।

किसी व्यक्ति में ज्यादा रक्तदाब हो जाने पर सबसे पहले उसका रक्तदाब कम (low) हो जाता है। ऐसी अवस्था में रक्तदाब पर नियंत्रण करनेवाले घटकों के सामने दो महत्त्वपूर्ण समस्यायें होती हैं।

एक – रक्तस्राव हो चुके व्यक्ति को जीवित रखना। यानी तत्काल रक्तदाब को ऐसे स्तर पर ले आना जिससे कि पेशियों के कार्य शुरू रह सके।

दूसरी – रक्त की मात्रा उचित स्तर पर रखना जिससे रक्ताभिसरण अच्छी तरह शुरु रह सके व रक्तदाब को पुन: सामान्य स्तर के आसपास स्थिर रखना।

उपरोक्त दोनों कार्य रक्तदाब नियंत्रण करनेवाले घटक व्यवस्थित रूप से करते हैं। यह नियोजन भी तीन चरणों में होता है –

१) तत्काल कार्य करने वाले घटक अथवा मॅकेनिझम जिनका कार्य आपत्ति के दौरान कुछ सेकेन्ड़ों से कुछ मिनटों में शुरू हो जाता है।

२) मध्यम गति से कार्य करनेवाले घटक जो कुछ मिनटों अथवा कुछ घंटों में कार्यरत होते हैं।

३) लाँगटर्म अथवा स्थायी कार्य करनेवाले जिनके कार्य कुछ घंटों से, कुछ दिनों में शुरू होते हैं और सालों साल शुरू ही रहते हैं।

आपत्ति नियोजन में ‘त्रिसूत्री’ और रक्तदाब नियंत्रण में भी ‘त्रिसूत्री’ ही! इस समानता को दिखाने के लिये ही विषयांतर किया। रक्तदाब नियंत्रण की त्रिसूत्री कैसे काम करती है, अब हम यह देखेंगे।

१. तत्कालीन कार्यरत होनेवाले मेकॅनिझम्स् मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं। इनके कार्य कुछ सेके़ंडों में शुरू होते हैं। यह मेकॅनिझम्स् इस प्रकार होता है –

अ. बॅरोरिसेप्टर मेकॅनिझम
ब. मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति कम हो जाने के कारण कार्यरत होनेवाले घटक
क. रासायनिक रिसेप्टर्स, ये तीनों मेकॅनिझम्स् अत्यंत शक्तिशाली होते हैं। रक्तस्राव के कारण रक्तदाब के कम हो जाने पर ये तीनों घटक कुछ सेकेड़ों में ही रक्तदाब का स्तर बढ़ा देते हैं, जिससे मनुष्य जीवित रह सकता है।

२) मध्यम गति से कार्य करनेवाले घटक भी तीन ही हैं –

अ. रेनिन-अँजिटेन्सिन मेकॅनिझम
ब. रक्तवाहनियों में बदलनेवाला तनाव व शिथिलता (Stressrelaxation) और
क. रक्त का योग्य स्तर (volume) बनाये रखने के लिये रक्तवाहनियों व पेशीबाह्य द्राव में होनेवाले आदान-प्रदान में उपरोक्त तीनों घटक साधारणत: तीस मिनटों में ही कार्यरत हो जाते हैं और अगले कुछ दिनों तक इनके कार्य शुरु ही रहते हैं।

३) लाँग टर्म अथवा स्थायी नियंत्रण – यह हमारे मूत्रपिंडों के द्वारा होती है। इसके पहले के लेख में हमने यह बात सविस्तरपूर्वक समझ ली है।

हमारे रक्तदाब के कम अथवा ज़्यादा हो जाने पर उपरोक्त सभी मेकॅनिझम रक्तदाब को पुन: सामान्य स्तर पर लाते हैं। फिर भी कुछ लोगों में रक्तदाब उच्च अथवा कम होता है। उच्च रक्तदाब शरीर के लिये घातक होता है। अगले लेख में हम उच्च रक्तदाब के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

(क्रमश..)

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