रक्त एवं रक्तघटक – ६०

आज हम रक्त के कुछ महत्त्वपूर्ण घटकों के बारे में जानकारी लेंगें। रक्तस्राव होने (खून बहने) के बाद रक्त के जमने की प्रक्रिया कैसे होती है, इसकी आज हम जानकारी लेंगे।

किसी भी व्यक्ति को ज़ख्म होने पर रक्तस्राव होता है, यह हम सबका सार्वत्रिक अनुभव है। सामान्यत: ज़ख्म दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार में अपघात के कारण त्वचा फ़ट जाती है और रक्तस्त्राव होता है, जिसे हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। दूसरे प्रकार के अपघात में त्वचा का स्तर बना रहता है, मग़र अंदर ज़ख्म होता है। इसे हम ‘अंदरुनी चोट’ कहते हैं। इस अपघात में जखम की जगह सूजन आ जाती है अथवा गांठ पड़ जाती है। ऐसी गांठ जब माथे पर आती हैं, तब हम इसे गुंबा कहते हैं। इस प्रकार के अपघात में रक्तस्त्राव त्वचा के नीचेवाले पेशीसमूहों में होता हैं। उसकी ही गांठ बन जाती है। तात्पर्य यह है कि शरीर पर जोरदार आघात अथवा छोटीसी जखम रक्तस्त्राव के लिए कारणीभूत होते हैं। यह रक्तस्त्राव कुछ समय बाद बंद हो जाता है।

रक्तस्राव

जखम से होनेवाले रक्तस्त्राव को रोकने के लिए किये जानेवाले प्रथमोपचर से सभी लोग परिचित है। जखम पर दाब ड़ालना, बर्फ़ लगाना इत्यादी उपाय किये जाते हैं। हाथ अथवा पैर पर जखम होने पर उसके ऊपर की दिशा में रुमाल या डोरी से कसकर बांध दिया जाता हैं। जिससे घाव की ओर जानेवाला रक्तप्रवाह रोक दिया जाता है। यह उपाय सर्वसाधारणत: कोई भी करता है।

‘भरजरी गं पितांबर दिला फ़ाडून। द्रोपदीस बंधु शोभे नारायण।’- ‘श्याम की आई’ नामक चित्रपट का यह अजरामर गीत है। देखो, द्रौपदी और श्रीकृष्ण के बीच बहन-भाई के प्रेम को दर्शाने के लिए उपरोक्त प्रथमोपचार पद्धति का कितनी प्रवीणता से उपयोग किया गया है। श्रीकृष्ण की उंगली कट जाने से रक्तस्त्राव होने लगता है। यह देखकर द्रौपदी ने अपना कीमती भरजरी शाल को फ़ाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली के घाव पर बांध दिया। फ़लस्वरूप श्रीकृष्ण की उंगली से बहनेवाला रक्तस्त्राव रुक गया। इस घटना के बारे में सभी लोग जानते हैं। तात्पर्य यह है कि जखम पर पट्टी बांधकर रक्तस्त्राव रोका जा सकता है। खैर, थोड़ा विषयांतर हो गया फ़िर भी हम मुख्य विषय पर आ गये हैं।

उपरोक्त सभी विवेचनाओं से यह बात समझ में आती हैं कि किसी भी जखम से होनेवाला रक्तस्त्राव थोड़ी देर में रुक जाता है। इसका अपवाद हैं सिर्फ़ ऐसी जखमें जहाँ बड़ी आरटरीज अथवा वेन्स फ़टती हैं। रक्तस्त्राव कैसे रुकता है? इसके लिए शरीर के रक्त के जमनें की क्रिया कारणीभूत होती है। परन्तु रक्त के जमने के साथ अन्य कई घटनायें रक्तस्त्राव रोकती हैं।

रक्तस्त्राव रुकने की प्रक्रिया को वैद्यकीय परिभाषा में हिमोस्टेसिस (Hemotasis) कहते हैं। अपघात होने के कारण जब रक्तवाहिनी टूट जाती है अथवा फ़ट जाती है तब उसकी मरम्मत चार चरणों में होती है। पहले तीन चरणों में रक्तस्त्राव रोका जाता है और चौथे चरण में रक्तवाहिनी की दुरुस्ती होती है। ये चार चरण इस प्रकार हैं –

१) रक्तवाहिनी का आकुंचन होता है।
२) प्लॅटलेट पेशी की छोटी सी गांठ तैयार होती है।
३) रक्त के जमने की प्रक्रिया के फ़लस्वरूप रक्त की गांठ तैयार हो जाती है।
४) रक्त की गांठ में धीरे-धीरे फ़ायबरस टिश्यू बढ़ने लगते हैं और रक्तवाहिनी में हुई जखम बंद हो जाता है।

अब हम इन चारों चरणों की थोड़ी सविस्तर जानकारी प्राप्त करेंगे। ये चारों चरण शरीर के नैसर्गिक डिझॅस्टर मॅनेजमेंट हैं। शरीर का यह आपत्ति निवारण कार्यक्रम इतने व्यवस्थित ढ़ंग से चलता है कि इस आलोचना का कोई अवसर नहीं होता।

१) रक्तवाहिनी का आकुंचन :
अपघात के कारण किसी भी रक्तवाहिनी के टूटने-फ़टने पर यह प्रतिक्रिया फ़ौरन शुरु हो जाती है। रक्तवाहिनी की बाहरी दीवार को धक्का लगने के बाद यही से ही संदेश जाता है और रक्तवाहिनी आकुंचित हो जाती हैं। फ़लस्वरूप रक्तप्रवाह कम हो जाता है या बंद जो जाता है। रक्तवाहिनी का जितना ज्यादा नुकसान होता है, उतना ही आकुंचन शीघ्र एवं जोरदार होते हैं। उदाहरण ब्लेड अथवा छूरी से यदि कोई रक्तवाहिनी कट जाती है तो उस जखम से रक्तस्त्राव ज्यादा समय तक होता रहता है। इसके विपरित अपघात में यदि कोई रक्तवाहिनी में ऐ़ठन आ जाये तो (Cush in jury) वहाँ पर आकुंचन ज़ोर से होता है और रक्तस्त्राव जल्दी ही कम हो जाता है।

जखमी रक्तवाहिनी का आकुंचन कुछ मिनट से कुछ घंटों तक टिकता है। इस दौरान रक्तस्त्राव रोकने के लिये अगले चरण कार्यन्वित हो जाते हैं।

रक्तवाहिनियों का आकुंचन व्यक्ति के प्राणों का खतरा कम करते हैं। यदि किसी व्यक्ति का अपघात के समय घुटने के नीचे का पैर टूट गया तो भी कुछ ही घंटों के लिए वो व्यक्ति रुक सकता है। पैर की मुख्य आरटरी के टूटने पर शुरु शुरु में जोरदार रक्तस्त्राव होता है। यह आरटरी उतने ही वेग से आकुंचित होती है और ये आंकुचन कुछ घंटों तक टिकता है। इस दौरान रक्तस्त्राव का़फ़ी कम हो जाता है।

(क्रमश:-)

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