कोरोना और गृहनिर्माण क्षेत्र पर आये संकट की पृष्ठभूमि पर  चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ी फ़िसलन

बीजिंग – कोरोना महामारी के उद्रेक, गृहनिर्माण क्षेत्र पर आया संकट और गर्मी की लहर इस पृष्ठभूमि पर चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ी फ़िसलन हुई है। अप्रैल से जून इस तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था ने महज़ 0.4 प्रतिशत विकासदर दर्ज़ की है। यह 2020 साल के बाद का नीचांक साबित होता है। आन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने चीन की नयी जीडीपी रिपोर्ट पर शक़ ज़ाहिर किये हैं। वास्तव में चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ी होने के दावे विशेषज्ञों द्वारा किये गये।

पिछले कुछ महीनों में चीन में लगातार कोरोना के नये उद्रेक सामने आये थे। इन उद्रेकों को रोकने के लिए चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ पर सख़्त अमल किया था। इसका ठेंठ असर ‘दुनिया की फ़ैक्टरी’ के रूप में जाने जानेवाले चीन के उत्पादन क्षेत्र पर हुआ था। इस क्षेत्र के साथ ही, उसपर निर्भर होनेवाली जागतिक सप्लाई चैन भी तहस-नहस हुई थी। चीन की नीतियों पर नाराज़ हुईं बड़ी विदेशी  कंपनियां कंपनियों ने अपने ‘ऑर्डर्स’ रिशेड्युल करने का तथा स्थगित करने का फ़ैसला किया था।

उत्पादन क्षेत्र के साथ ही, चीन के जीडीपी में बड़ा हिस्सा होनेवाले गृहनिर्माण तथा प्रॉपर्टी क्षेत्रों में भी संकटों की शृंखला जारी है। पिछले साल चीन की ‘एव्हरग्रैन्ड’ यह अग्रसर कंपनी विदेशी कर्ज़े को चुकता करने में नाक़ाम साबित हुई थी। उसकी गूंजें चीन की अन्य कंपनियों में भी सुनायीं दी होकर, गृहनिर्माण तथा प्रॉपर्टी क्षेत्र मुश्किल में फँसा है। केवल बैंक्स् ही नहीं, बल्कि कंपनियों के ग्राहकों में भी नाराज़गी तीव्र हुई होकर, आक्रामक प्रदर्शन जारी हैं। चीन के 80 से अधिक शहरों के खरीदारों ने कंपनियों को किश्तें अदा करने से इन्कार किया है। यह मुहिम अधिक से अधिक व्यापक हो रही होकर, सत्ताधारी हुक़ूमत को भी इसका संज्ञान लेना पड़ा है।

लगातार 10 महीनों से चीन में घरों की बिक्री फिसल रही होकर, उसका बड़ा झटका अर्थव्यवस्था को लगना शुरू हुआ है। इसी बीच, चीन में आये गर्मी की लहर तथा अतिवृष्टि के कारण अग्रसर शहरों के व्यवहार ठप पड़ गये थे। उसके भी परिणाम अर्थव्यवस्था पर दिखायी दे रहे हैं, यह बात नये आँकड़ों से सामने आ रही है। चीन की यह फिसलन यदि ऐसे ही जारी रही, तो साल के अन्त में साढ़ेपाँच प्रतिशत की विकासदर हासिल करना चीन के लिए संभव नहीं होगा, ऐसा अनुमान विश्लेषकों ने जताया है।

इसी बीच, चीन ने ज़ाहिर की हुई 0.4 प्रतिशत बढ़ोतरी झूठी होने का दावा कुछ विश्लेषक कर रहे हैं। ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ के कारण ठप पड़ गये व्यवहार तथा अन्य क्षेत्रों के संकटों के मद्देनज़र, चीन की अर्थव्यवस्था मंदी में चली गयी है, ऐसा निष्कर्ष कुछ विश्लेषकों ने दर्ज़ किया है।

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