बायडेन प्रशासन का भारत को गंभीर और लंबे परिणामों का इशारा

वॉशिंग्टन – यूक्रैन का युद्ध शुरू होने के बाद रशिया के विरोध से इन्कार करके भारत ने अमरीका को निराश किया है| इसके गंभीर और लंबे परीणाम हो सकते हैं, ऐसी और एक धमकी अमरीका ने दी है| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के प्रमुख आर्थिक सलाहकार ब्रायडन डिज् ने यह धमकाया है| जल्द ही दोनों देशों के विदेश एवं रक्षामंत्रियों की ‘टू प्लस टू’ चर्चा शुरू हो रही है| इससे पहले अमरीका भारत को दे रहे इशारे ध्यान आकर्षित कर रहे हैं| अमरीका की शर्तों पर ही द्विपक्षीय सहयोग विकसित हो सकता है, ऐसा अमरीका इस माध्यम से भारत को धमका रही है|

रशिया ने यूक्रैन पर हमला करने के बाद भारत ने इस युद्ध में किसी एक के पक्ष में हुए बिना तटस्थ भूमिका अपनाई है| लेकिन, भारत की यह तटस्थता यानी रशिया का साथ देना है, ऐसा अमरीका का कहना है| यूक्रैन युद्ध के दौरान रशिया ने भारत को रियायत के दर से ईंधन प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था| इसके अनुसार भारत ने रशिया से ईंधन की खरीद शुरू की| यह कारोबार अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों के दायरे में ना होने के बावजूद अमरीका इस पर आपत्ति जता रही है| इसके आगे यदि भारत ने रशिया से अधिक मात्रा में ईंधन खरीदा तो इसके गंभीर परीणाम होंगे, ऐसे इशारे अमरीका ने पहले भी दिए थे|

भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन और विदेशमंत्री सुब्रमण्यम् जयशंकर ने रशिया से ईंधन खरीदना बंद ना करने का इशारा अमरीका को दिया था| साथ ही भारत देशहित और अपनी ज़रूरतों को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है, इसका अहसास भारत के नेतृत्व ने अमरीका को कराया था| लेकिन, इससे अमरीका के बायडेन प्रशासन की अधिक बौखलाहट होती दिख रही है| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के प्रमुख आर्थिक सलाहकार ब्रायन डिज् ने भारत को नई धमकी दी|

रशिया संबंधित भारत के निर्णय अमरीका को निराश कर रहे हैं| इसके गंभीर परिणाम होंगे और यह परिणाम काफी लंबे होंगे, ऐसे सीधे शब्दों में डिज् ने भारत को इशारा दिया है| कुछ दिन पहले वाईट हाऊस की माध्यम सचिव जेन साकी ने भी इन्हीं शब्दों में भारत को इशारा दिया था| लेकिन, रशिया से भारत कर रहा ईंधन खरीद पर इशारे दे रही अमरीका ही रशिया से अधिक मात्रा में ईंधन खरीद रही है, यह स्पष्ट हुआ है| रशियन माध्यमों ने यह जानकारी सार्वजनिक की| इसी बीच अमरीका के यूरोपिय मित्रदेशों ने भी रशिया से भारी मात्रा में ईंधन खरीद जारी रखी है| इसके बावजूद इसी मुद्दे पर भारत को इशारा देने के पीछे बायडेन प्रशासन की दबावनीति होने की बात स्पष्ट दिखने लगी है| बायडेन प्रशासन ने पहले भी भारत द्वेषी भूमिका अपनाई थी| कुछ भी हुआ तो भी भारत रशिया के विरोध में नहीं जाएगा इसकी कल्पना रखनेवाले बायडेन प्रशासन ने अपनी भारत विरोधी नीति आगे बढ़ाने के लिए इस दबाव नीति का इस्तेमाल किया हुआ दिख रहा है| लेकिन रशिया के साथ भारत की परंपरागत मित्रता के संबंधों का विचार करके बायडेन प्रशासन भारत को लक्ष्य करने का विचार छोड़ दे, ऐसा अमरिकी विश्‍लेषक एवं पूर्व राजनीतिक अधिकारी कह रहे हैं| इससे भारत से ज्यादा अमरीका का ही नुकसान होगा इसका अहसास इन सबने बायडेन प्रशासन को कराया है| 

Leave a Reply

Your email address will not be published.