भारत नाम और रशिया से दूर हो – अमरिकी विदेश विभाग की उपमंत्री वेंडी शर्मन

वॉशिंग्टन – अमरीका और सोवियत रशिया का शीतयुद्ध चरम तर पर होते हुए भारत की पहल से शुरू हुई गुटनिरपेक्षता का आंदोलन (नॉन अलाइड मुवमेंट-नाम) से भारत दूर हो, यह उम्मीद अमरिकी विदेश विभाग की उपमंत्री वेंडी शर्मन ने व्यक्त की| नाम और रशिया से भारत अलग हो ऐसा शर्मन ने कहा हैं| इस से भारत-अमरीका सहयोग मज़बूत होगा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समृद्धी और सुरक्षा बनी रहेगी, यह दावा शर्मन ने किया|

भारत और अमरीका में टू प्लस टू चर्चा शुरू होगी और सोमवार से शुरू हो रहें इस चर्चा के लिए भारत के विदेशमंत्री और रक्षामंत्री अमरीका पहुँच रहे हैं| उनका स्वागत अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन करेंगे, ऐसीं खबरें प्राप्त हो रही हैं| साथ ही रशिया के सहयोग को लेकर अमरीका ने भारत को धमकाया नहीं हैं, यह खुलासा भी अमरीका कर रही हैं| लेकिन, इसपर खुलासे देने के साथ ही अमरिकी संसद की ‘हाऊस ऑफ फॉरिन अफेअर्स कमिटी’ के सामने हुई सुनवाई के दौरान शर्मन ने अपने देश की उम्मीदें जताई|

अमरीका के भारत के साथ जारी संबंध काफी अहम हैं| विश्‍व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश होनेवाले भार के साथ अमरीका का रक्षा सहयोग मज़बूत हैं| भारत क्वाड का सदस्य देश हैं| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और समृद्धी की दिशा में भारत और अमरीका एकजूट के साथ आगे बढ़ रहे हैं| ऐसी स्थिति में भारत अपनी परंपरागत गुटनिरपेक्ष नीति छोड़ दे और रशिया के साथ जारी सहयोग से पीछे हटें, यह मशा अमरीका रखती हैं, ऐसा कहकर शर्मन ने इसके लिए कुछ कारोबारिक वजह भी रखी|

भारत ने रशिया से भारी मात्रा में हथियार एवं रक्षा सामान खरीदा हैं| इसके पूर्जों के लिए और रखरखाव के लिए भारत रशिया पर निर्भर हैं| लेकिन, आनेवाले दिनों में भारत को रशिया से इसकी आपूर्ति नहीं होगी| इसका कारण अमरीका ने रशिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, इसपर वेंडी शर्मन ने ध्यान आकर्षित किया| इसी कारण अमरीका के साथ रक्षा सहयोग करने पर भारत अधिक ध्यान दे, यह मॉंग शर्मन ने रखी| इसके लिए अच्छा अवसर भारत के सामने चलकर आया हैं, ऐसा दावा शर्मन ने किया|

अलग शब्दों में कहा जाए तो अपने परंपरागत विदेश नीति का त्याग करके भारत सीर्फ अमरीका के संबंधों को प्राथमिकता दे, ऐसा शर्मन के ज़रिये अमरीका सुचित कर रही हैं| ऐसा करना भारत के लिए मुमकिन नहीं इसका पूरा अहसास भी अमरीका को हैं| लेकिन, बायडेन प्रशासन ने यह मॉंग आगे करके भारत के साथ अमरीका का सहयोग दांव पर लगाने की आत्मघाती नीति अपनाई हैं| वेंडी शर्मन ने जताई फिजूल उम्मीद इसी की साक्ष दे रही है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.