चीन के साथ ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ समझौता करना इटली के लिए अनर्थकारी निर्णय साबित हुआ – रक्षा मंत्री गैदो क्रॉसेटो का दावा

रोम/बीजिंग – चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का हिस्सा होने के लिए किया समझौता इटली के लिए भयंक अनर्थकारी निर्णय साबित हुआ है, ऐसा दावा रक्षा मंत्री गैदो क्रॉसेटो ने किया है। इटली को इस समझौते से कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हो सका है, उल्टा चीन ने इटली में अपनी निर्यात बढ़ाकर तिगुनी करके बड़ा लाभ उठाया है, ऐसा बयान रक्षा मंत्री क्रॉसेटा ने किया है। विश्व के प्रगत एवं शीर्ष देशों के ‘जी ७’ गुट का सदस्य देश इटली एकमात्र देश है जो कि चीन के ‘बीआरआई’ में शामिल हुआ है।

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने पिछले वर्ष चुनाव प्रचार के दौरान चीन के निवेश के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई थी। मेलोनी की ‘ब्रदर्स ऑफ इटली’ पार्टी ने भी चीनी निवेश को तीव्र विरोध दर्शाया था। सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री मेलोनी ने चीन विरोधी सूर की तीव्रता कुछ हद तक कम की है, फिर भी उनकी पार्टी की भूमिका कायम होने की बात रक्षा मंत्री के इस नए बयान से दिख रही है।

इटली ने वर्ष २०१९ में चीन की ‘बीआरआई’ योजना का हिस्सा होने का निर्णय किया था। इसके बाद इटली एवं चीन के द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है, फिर भी इससे इटली को ज्यादा लाभ प्राप्त नहीं हो सका है। इसी बीच कोरोना की महामारी के बाद इटली में चीन विरोधी माहौल तैयार होना शुरू हुआ और हाँगकाँग, झिंजियांग एवं ताइवान के मुद्दे पर भी तनाव बढ़ने लगा है। इस वजह से मेलोनी की सरकार बीआरआई की निर्धारित समय सीमा नहीं बढ़ाएगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

रक्षा मंत्री गैदो क्रॉसेटो ने स्थानीय अखबार को दिए साक्षात्कार में यह कहा है कि, चीन एक प्रतियोगी देश होने के बावजूद एक भागीदार भी है। इस वजह से चीन के ताल्लुकात बिगड़ने की संभावना को दूर रखकर ‘बीआरआई’ से बाहर निकालना कैसे मुमकिन होगा, यही प्रमुख मुद्दा होने का बयान क्रॉसेटो ने किया। इटली की शुरू इन गतिविधियों के पीछे अमरीका के साथ सहयोगी यूरोपिय देशों का दबाव और ताइवान के साथ सेमीकंडक्टर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की तैयारी के मुद्दे होने पर विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने पिछले दशक में ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का ऐलान किया था। दुनियाभर में चीन का प्रभाव बढ़ाना ही इस महत्वाकांक्षी योजना का एकमात्र उद्देश्य होने की बात सामने आयी है। इस योजना में चीन ने अबतक एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक निवेश करने की बात समझी जा रही है। पिछले कुछ सालों में चीन ने ‘बीआरआई’ को शिकारी अर्थनीति का हिस्सा बनाकर विभिन्न देशों के अहम ठिकानों को हथियाना शुरू किया था। इसके विरोध में जापान के साथ पश्चिमी देश आक्रामक हुए हैं और इटली के साथ कई देशों पर दबाव बनाया जा रहा है।

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