साऊथ चायना सी के विवादग्रस्त क्षेत्र में चीन करेगा वेधशाला का निर्माण

बीजिंग, दि. १ : ‘साऊथ चायना सी’ में चीन द्वारा निर्माण किये गए अप्राकृतिक द्वीप विवाद का मसला अभी तक सुलझा हुआ नहीं है| ऐसे में चीन ने, इस समुद्री क्षेत्र में ‘वेधशाला’का निर्माण करने की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं| खनिज संपदा से समृद्ध रहनेवाले इस सागरी क्षेत्र का अध्ययन करने के लिये यह वेधशाला होगी, ऐसा दावा संबंधितों द्वारा किया जा रहा है| इसी दौरान, इस वेधशाला में संशोधन करने के लिए चीन ने १३ देशों से लगभग ६६ वैज्ञानिकों को आमंत्रित किया होकर, इस इलाके में उत्खनन करने का काम शुरू हुआ है, ऐसी खबर चीन की वृत्तसंस्था ने प्रसिद्ध की है|

वेधशालाचीन के ‘चायनिज ऍकॅडमी ऑफ सायन्सेस’ (सीएएस) इस अभ्यासगुट के संशोधक ‘वँग पिंक्शियान’ द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, ‘साऊथ चायना सी’ की सतह के नीचे ‘वेधशाला’ का निर्माण किया जा रहा है| ‘इस वेधशाला में ‘साऊथ और ईस्ट चायना सी’ के नीचे के हिस्से का अभ्यास किया जायेगा| इसके लिये शांघाय की ‘तोंग्जी युनिव्हर्सिटी’ और ‘इन्स्टिट्युट ऑफ एकॉस्टिक्स’ से सहायता ली जायेगी’ ऐसी जानकारी पिंक्शियान ने दी| इस वेधशाला का निर्माण करके चीन आंतर्रराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में उतरेगा, ऐसा दावा पिंक्शियन ने किया|

चिनी संशोधक ने हालाँकि इस वेधशाला के बारे में यह जानकारी घोषित की है, लेकिन ‘साऊथ चायना सी’ के कौनसे क्षेत्र में इस वेधशाला का निर्माण होगा, इसकी जानकारी अभी तक स्पष्ट नहीं की है| लेकिन चीन के सरकारी अखबार द्वारा जारीं की हुई  जानकारी के अनुसार समुंदर की नीचे रहनेवालीं भौतिक, रासायनिक और भूवैज्ञानिक शक्तियों का अध्ययन करना आसान होगा, ऐसा कहा गया है| इस अध्ययन का इस्तेमाल अन्य चीजों के लिए भी किया जायेगा, ऐसा चीन के सरकारी अखबार ने स्पष्ट किया है|

हालाँकि फिलहाल इस वेधशाला का निर्माण शुरू है, मग़र फिर भी पिछले तीन हफ्तों से ३३ वैज्ञानिकों का पथक ‘साऊथ चायना सी’ में दाखिल हुआ है| यह पथक संबंधित सागरी क्षेत्र में उत्खनन का निरीक्षण कर रहा है, ऐसा कहा जाता है| इसमें अमरीका, फ्रान्स, इटली और जापान के वैज्ञानिक शामिल हैं| वहीं, चीन की एक वृत्तसंस्था ने जारी की हुई जानकारी के अनुसार, इन वैज्ञानिकों की हाज़िरी में, एक जगह समुद्री स्तर के करीब ३७७० मीटर नीचे तक उत्खनन किया गया होकर, इस जगह का कचरा वैज्ञानिकों ने जाँच के लिये लिया है| प्राथमिक अध्ययन में, इस कचरे का कुछ अंश करीब अस्सी लाख साल पुराना है, ऐसा दावा किया जाता है| जल्द ही दूसरा उत्खनन शुरू किया जानेवाला होकर, इसमें करीब तीन से चार हज़ार मीटर गहरा खनन किया जायेगा|

‘साऊथ चायना सी’ की नीचली सतह पर ‘वेधशाला’ का निर्माण करने की चीन की पिछले कुछ सालों से कोशिश शुरू है| वहीं, चार महीने पहले चीन के मंत्रालय ने इस वेधशाला की तथा उत्खनन की जानकारी मीडिया के सामने उजागर की थी| अगले पाँच साल के लिये चीन ने शुरू की हुई महत्त्वाकांक्षी वैज्ञानिक योजना में इस वेधशाला का भी समावेश किया गया है| इसके लिए चीन ने अपने अर्थसंकल्प में स्वतंत्र प्रावधान किया होने का दावा भी अमरीका के एक अखबार ने किया था|

‘साऊथ चायना सी’ के इलाके में बड़े पैमाने पर खनिज संपदा होने का दावा अमरीका और चीन कर रहे हैं| अमरीका के ‘एनर्जी इन्फॉर्मेशन ऍडमिनेस्ट्रेशन’ की जानकारी के अनुसार इस सागरी क्षेत्र में ११ अरब बैरल्स इंधन का भंडार तथा १९० ट्रिलियन क्युबिक फूट नैसर्गिक वायु का भंडार है| वहीं, ‘साऊथ चायना सी’ में करीब १२५ अरब बैरल्स इंधन तथा ५०० ट्रिलियन क्यूबिक फूट नैसर्गिक वायु का भंडार है, ऐसा दावा चीन ने किया है| ‘साऊथ चायना सी’ पर पूर्ण रूप से अपना हक है, ऐसा दावा करके चीन ने, इस खनिज संपदा पर भी अधिकार बताया है| साथ ही, व्हिएनाम और फिलिपिन्स के सागरी इलाके में भी उत्खनन शुरू किया था| व्हिएतनाम ने चीन के इस उत्खनन का कड़ा विरोध किया था|

इसी दौरान, ‘साऊथ चायना सी’ की सरहद में चीन द्वारा किये गये अप्राकृतिक द्वीप के निर्माण पर अमरीका ने ऐतराज़ जताया है| इन अप्राकृतिक द्वीपों का निर्माण आंतर्राष्ट्रीय सागरी नियमों के विरोध मे होकर, चीन की विनाशिकाओं को इन बेटों के नज़दीक भी आने नहीं देंगे, ऐसा ऐलान अमरीका के विदेशमंत्री रेक्स टिलरसन ने कुछ हफ्ते पहले किया था| इस पृष्ठभूमि पर, ‘साऊथ चायना सी’ में चीन करने जा रहे इस वेधशाला के निर्माण पर अमरीका की तीखी प्रतिक्रिया अपेक्षित है|

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