चीन की ‘बीआरआय’ योजना में मानव अधिकारों का उल्लंघन – अंतरराष्ट्रीय अभ्यासगुट का आरोप

लंदन/बीजिंग – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआय) में मानव अधिकारों का बड़ी मात्रा में उल्लंघन होने का आरोप अंतरराष्ट्रीय अभ्यासगुट ने लगाया है। बीते सात वर्षों के दौरान चीन की हुकूमत ने विश्‍वभर में शुरू किए प्रकल्पों से मानव अधिकारों का उल्लंघन करने के ६७९ मामले सामने आने की जानकारी लंदन स्थिति अभ्यासगुट ने प्रदान की है। कुछ महीने पहले चीन की महत्वाकांक्षी योजना के आर्थिक कारोबारों की सच्चाई सामने रखनेवाला ‘हाऊ चायना लेंडस्‌’ नामक एक रपट जारी हुई थी।

‘बीआरआय’

ब्रिटेन के ‘बिज़नेस ऐण्ड ह्युमन राईटस्‌ रिसोर्स सेंटर’ (बीएचआरआरसी) नामक अभ्यासगुट ने ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ की काली बाजू दिखानेवाली रपट जारी की है। ‘गोर्इंग आऊट रिस्पॉन्सिबलीः द ह्युमन राईटस्‌ इम्पैक्ट ऑफ चायनाज्‌ ग्लोबल इनवेस्टमेंटस्‌’ नामक इस रपट में चीन की १०० से अधिक कंपनियों द्वारा विश्‍व के अलग अलग हिस्सों में चलाए जा रहे प्रकल्पों का अध्ययन किया गया है। एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में इन प्रकल्पों में मानव अधिकारों का सबसे अधिक उल्लंघन हो रहा है और ऐसे लगभग २६९ मामले सामने आने की बात ‘बीएचआरआरसी’ ने कही है।

इनमें से सबसे अधिक ९७ मामलें म्यांमार के हैं और वहां पर सेना के विद्रोह के बाद इन मामलों में अधिक बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। इसके बाद लैटिन अमरीका स्थित पेरू में चीनी कंपनियों ने मानव अधिकारों का उल्लंघन करने के ६० मामले सामने आए हैं। लैटिन अमरीका के अलग अलग देशों में ऐसे १७७ मामले देखे गए हैं। इसके अलावा अफ्रीकी महाद्विप में ऐसे १८१ मामले दर्ज़ होने की बात ‘बीएचआरआरसी’ की रपट में कही गई है।

‘बीआरआय’खनिज और निर्माण कार्य क्षेत्र के प्रकल्पों में मानव अधिकारों के उल्लंघन होने की मात्रा सबसे अधिक हैं। इन क्षेत्रों में इनमें से ५७ प्रतिशत मामलें दर्ज़ हुए हैं। चीन की हुकूमत खुलेआम और पारदर्शिता की सीर्फ बयानबाज़ी कर रही हैं और सीर्फ २५ प्रतिशत चीनी कंपनियां ही इसका पालन करती हैं, यह आरोप वर्णित अभ्यासगुट ने लगाया हैं। चीन की आर्थिक संस्थाओं में से सीर्फ एक संस्था ने रिस्पान्स किया हैं यह कहकर चीनी बैंकों में पारदर्शिता की कमी होने का दावा इस रपट में किया गया हैं।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने बीते दशक में महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऐण्ड रोड इनिशिएटिव’ का ऐलान किया था। इस योजना के तहत चीन ने अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमरीका एवं यूरोपिय देशों में काफी प्रकल्पों का निर्माण शुरू किया। इन प्रकल्पों के लिए चीन ने ही अन्य देशों को आर्थिक सहायता प्रदान की। चीन ने विश्‍व के अलग अलग देशों ने दिए कर्ज की मात्रा ‘वर्ल्ड बैंक’ और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने वितरित किए कुल कर्ज़ से भी अधिक होने की बात सामने आयी थी। लेकिन, यह कर्ज़ यानी चीन की शिकारी आर्थिक नीति का हिस्सा होने के नए दावे लगातार सामनें आ रहे हैं।

इसी कारण से कई देशों ने चीन के ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ से पीछे हटना शुरू किया हैं। ऐसीं कई घटनाँ बीते दो वर्षों से सामने आयी हैं। इनमें चीन के पड़ोसी देशों का भी समावेश हैं। दूसरी ओर अमरीका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने चीन की योजना को चुनौती देने के लिए विकल्प के तौर पर स्वतंत्र योजना भी सामने लायी है और इसे प्राप्त हो रहे रिस्पान्स में बढ़ोतरी भी होती दिखाई दे रही है।

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