चीन की ‘५ जी’ तकनीक और ‘बीआरआय’ इटली की सुरक्षा के लिए खतरा – अमरीकी विदेश मंत्री का इशारा

रोम – चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ‘बेल्ट ॲण्ड रोड़ इनिशिएटिव’ जैसी योजनाओं के माध्यम से सिर्फ अपना आर्थिक और रणनीतिक उद्देश्‍य पूरा करने की कोशिश कर रही है। साथ ही चीन की हुकूमत से संबंधित कंपनियां और उनकी तकनीक इटली की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, इस बात का भी ठीक से अहसास रखें, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरीकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने दी है। इसी बीच इटली के विदेशमंत्री ने अमरीका को चीन संबंधित महसूस हो रही चिंता पर संज्ञान लेने का वादा करने की बात भी सामने आयी है। यूरोप में ब्रिटेन और फ्रान्स ने चीन की ‘५ जी’ कंपनियों को ठुकराने का निर्णय पहले ही किया है और जर्मनी ने भी नए नियम लगाने के संकेत दिए है। लेकिन इटली ने अभी इस मुद्दे पर निर्णय नहीं किया है और इस पर अमरीका ने चेतावनी दी है।

‘५ जी’

बीते वर्ष से चीन के ‘५ जी’ नेटवर्क से संबंधित हुवेई कंपनी का विवाद निर्माण हुआ है और अमरीका चीनी कंपनी पर जासूसी का आरोप लगा रही है। चीनी कंपनी के साथ व्यवहार करने से बचने के लिए अमरीकी विदेश मंत्रालय ने ‘डिजिटल ट्रस्ट स्टैंडर्ड्स’ भी तय किए हैं। विश्‍व के ३० देशों समेत यूरोपिय महासंघ और नाटो ने अमरीका की इस भूमिका का स्वागत किया है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हुवेई और ज़ेडटीई नामक चीनी कंपनियों पर पाबंदी भी लगाई है। यूरोप समेत विश्‍व के प्रमुख देशों ने भी चीन की तकनीक और प्रभाव से इन्कार करें, इस दिशा में अमरीका ने कोशिश शुरू की है और अमरिकी विदेशमंत्री का इटली पहुँचना भी इसी का हिस्सा है।

‘५ जी’

साथ ही कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर अमरीका ने बीते कुछ महीनों में चीन के खिलाफ़ जारी संघर्ष अधिकाधिक तीव्र करना शुरू किया है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की नीति और उसकी हरकतों का पर्दाफाश करके यह हरकतें रोकने के लिए आक्रामक निर्णय किए जा रहे हैं। इसी के एक हिस्से के तौर पर चीन के खिलाफ़ जागतिक स्तर पर व्यापक मोर्चा खोलने की जोरदार गतिविधियां शुरू की गई हैं। यूरोपिय देश भी इसमें शामिल हो, इस इरादे से अमरिका कोशिश कर रही है। हाँगकाँग और उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर भी यूरोप ने अमरीका की भूमिका का समर्थन किया था। इसके आगे जाकर ‘५ जी’ तकनीक, व्यापार, साउथ चायना सी, तैवान जैसे मुद्दों पर भी यूरोप अब अमरीका का समर्थन करे, इस दिशा में अमरीका ने कदम उठाए हैं। अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने चीन को लेकर इटली को दिए इशारे से भी यही संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

चीन ने अपनी आर्थिक और तकनीक संबंधित महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए यूरोपिय देशों को साथ लिया था। इसके लिए अपने आर्थिक ताकत का भी इस्तेमाल किया था। लेकिन, बीते कुछ महीनों में स्थिति में बदलाव आया है और यूरोप में चीन के खिलाफ़ असंतोष की भावना तीव्र हो रही है। इसके आगे चीन को यूरोपिय देशों का सहयोग पहले जैसा प्राप्त नहीं होगा, ऐसे स्पष्ट संदेश भी यूरोप ने दिए हैं। इसी कारण अब इटली जैसे देश ने चीन का साथ छोड़ने पर यह चीन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

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