नायजर में सेना समर्थकों का फ्रान्स के दूतावास पर हमला – ब्रिटेन के नागरिकों को सावधानी बरतने को कहा गया

नियामे/लंदन – नायजर की सेना के विद्रोह को स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। वहां रशिया और राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के समर्थन में नारे लगाए गए है। इसी बीच, नायजर पर प्रभाव बनाने की कोशिश में लगे फ्रान्स के दूतावास पर हमला भी किया गया। नायजर में शुरू गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन ने वहां मौजूद अपने नागरिकों से घरों से बाहर ना निकलने की सूचना की है। वहीं, पश्चिम अफ्रीका के देशों ने नायजर पर कब्ज़ा करने वाली सेना को पीछे हटकर राष्ट्राध्यक्ष मोहम्मद बझूम को फिर से देश की बागड़ोर सौंपने की सूचना की है।

नायजर के प्रेसिडेंशियल गार्डस्‌ के प्रमुख जनरल अब्दुररहमान चियानी के नेतृत्व की सेना ने पिछले हफ्ते सत्ता हथिया कर राष्ट्राध्यक्ष बझूम को नज़र कैद किया है। पिछले तीन दिनों से इस सैन्य हुकूमत को नायजर की जनता का समर्थन प्राप्त हो रहा है। राजधानी नियामे की सड़कों पर नायजर जनता सेना के समर्थन में नारे लगाने के वीडियो सामने आए हैं। साथ ही इन प्रदर्शनों के पहले दिन से ही जनता ने नायजर के राष्ट्र ध्वज के साथ रशिया का राष्ट्र ध्वज भी लहराने के फोटो सामने आए हैं।

रविवार को नायजर और रशिया के ध्वज हाथों में लेकर प्रदर्शनकारियों ने ‘रशिया का विजय हो’, ‘पुतिन की जीत हो’ और ‘फ्रान्स का धिक्कार हो’ ऐसे बड़े नारे लगाए। साथ ही गुस्से में आकर भीड़ ने नियामे में फ्रान्स के दूतावास पर हमला करके इसके मुख्य द्वार को आग लगाई। इन प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। स्थानीय पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करने से दूतावास का ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने फ्रेंच दूतावास का बोर्ड हटाकर वहां पर नायजर और रशिया का झंड़ा लगाया।

छह दशक पहले तक नायजर फ्रान्स की कालोनी था। वर्ष १९६० में नायज़र फ्रान्स से आज़ाद हुआ। लेकिन, इस देश से फ्रान्स का प्रभाव कम नहीं हुआ था। छह दशकों के दौरान नायजर में चार बार विद्रोह हुए और कई बार विद्रोह की कोशिश विफल भी हुई। इस वजह से नायजर में हमेशा से ही अस्थिरता बनी रही। वर्ष २०२१ में राष्ट्राध्यक्ष बझूम ने नायजर की बागड़ोर हाथ में लेने से पहले भी जनरल चियानी ने विद्रोह की विफल कोशिश की थी। इसके बाद फ्रांस और पश्चिमी देशों ने राष्ट्राध्यक्ष बझूम के माध्यम से नायजर की राजनीति पर प्रभाव बनाए रखा था।

अपने देश में फ्रान्स की जारी दखलअंदाजी के विरोध में नायजर में पहले भी प्रदर्शन हुए थे। लेकिन, पिछले हफ्ते सेना ने राष्ट्राध्यक्ष बझूम की सरकार का तख्तापलट ने के बाद यहां की जनता ने खुलेआम फ्रान्स के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू किया है। फ्रान्स के दूतावास पर हुआ हमला भी इसी गुस्से से होने का दावा किया जा रहा है। इस घटना के बाद फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने नायजर में दूतावास पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। साथ ही नायजर में फ्रेंच नागरिक और फ्रान्स के हितसंबंधों पर जारी हमलें बर्दाश्त नहीं होंगे, यह चेतावनी भी मैक्रॉन ने दी है।

इस घटना के बाद चौकन्ना हुए ब्रिटेन ने भी नायजर जा रहे अपने नागरिकों को सफर करने से दूर रहने की चेतावनी दी है। साथ ही नायजर में पर्यटन या कारोबार के लिए गए ब्रिटिश नागरिकों से घरों से बाहर न निकलने की सूचना की गई है। ब्रिटेन की सरकार ने नायजर के साथ जारी आर्थिक सहयोग तोड़ दिया है और यूरोप के अन्य देश भी यही भूमिका अपनाने की तैयारी में हैं।

इसी बीच, जनरल चियानी राष्ट्राध्यक्ष बझूम को रिहा करें, इसके लिए पश्चिम अफ्रीकी देश दबाव बना रहे हैं। अगले छह दिनों में नायजर की सेना इस दिशा में कदम बढ़ाएं, नहीं तो विकल्प अपनाने की धमकी पश्चिम अफ्रीका के देशों के गुट ने दी है।

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