‘वन बेल्ट, वन रोड’ में यूरोपिय देशों को शामिल करने के लिए चीन की कोशिश – इटली के समावेश को अमरिका अवं यूरोपीय महासंघ का विरोध

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरबीजिंग/रोम – वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) यह चीन ने चीन के लिए तैयार की योजना है| इटली यह दुनिया के अग्रणी की अर्थव्यवस्था है और निवेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण देश है| ओबीओआर उपक्रम में शामिल होकर इटली चीन से निवेश के बारे में होनेवाले घातक भूमिका को कानूनन आधार दे रहा हैं| इस सहयोग से इटली की जनता को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं होगा, इसके विपरीत जागतिक स्तर पर होनेवाली इटली की प्रतिमा धूल में मिल सकती है, ऐसे कड़े शब्दों में अमरिका के नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने ओबीओआर में शामिल होने के बारे में इटली को फटकारा है|

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग आनेवाले गुरुवार से यूरोप के दौरे पर होकर, उस समय वह इटली के साथ फ्रान्स एवं मोनाको इन देशों को भेंट देने वाले हैं| इस भेंट के दौरान चीन एवं इटली में वन बेल्ट वन रोड प्रकल्प के सामंजस्य करार पर हस्ताक्षर होने हैं| इस करार के अनुसार इटली मूलभूत सुविधाओं के निर्माण के लिए चीन से वित्त सहायता लेने वाला है| इटली के प्रधानमंत्री जिसेप कॉंटे ने उसे समर्थन दिया है| प्रधानमंत्री कॉंटे इनके साथ उपप्रधानमंत्री लुईजी डी मेओ ने भी चीन के साथ करार का समर्थन किया है|

पर इटली के इस मंजूरी को अमरिका के साथ यूरोपीय महासंघ का विरोध होने की बात सामने आ रही है| वह भी ओबीओआर योजना के माध्यम से अगर प्रकल्प के लिए वित्त सहायता प्रदान हो रही है, तो इसका अर्थ यूरोपीय महासंघ के सदस्य देशों को उनसे लिया कर्जा चुकता करना होगा| इसका अर्थ कोई भी चीज मुफ्त बांटने के लिए नहीं बैठे हैं, इसका एहसास संबंधित देश को होना चाहिए ऐसे शब्दों में यूरोपियन कमीशन के उपाध्यक्ष जिर्की कैटनैन ने इटली को चीन के चंगुल की याद दिलाई है|

चीन के ओबीओआर में इटली का सहभाग यह इटली से अधिक चीन के सत्ताधारियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है| पिछले २ वर्षों में ओबीओआर प्रकल्प में चीन को एक के पीछे एक बड़े झटके लगे हैं| दुनिया में कोई भी बड़ी वित्त व्यवस्था चीन की योजना में शामिल होने से तैयार ना होकर, इसके विपरीत मलेशिया, मालदीव, म्यानमार, बांग्लादेश, जैसे देश भी इससे बाहर निकलने का प्रयत्न कर रहे हैं| अमरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन महासंघ, जापान, ऑस्ट्रेलिया एवं भारत ने इस योजना का कड़ा विरोध किया है और अन्य देश भी सावधान रहें ऐसी चेतावनी देकर बाहर निकलने के लिए विवश कर रहे हैं|

ऐसे समय में जी-७ जैसे प्रगत वित्त व्यवस्थाओं में से एक होनेवाले इटली का समावेश चीन के सत्ताधारीओं को एवं ओबीओआर योजना को नए ऊंचाई देनेवाला हो सकता है| पर अमरिका एवं यूरोप का होनेवाला विरोध देखते हुए चीन एवं इटली इन दोनों देशों के लिए अगली राह आसान नहीं होगी ऐसे संकेत अभी से मिलने शुरू हुए हैं|

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