बांगलादेश में युद्ध अपराधों के लिए दो शीर्ष विपक्षी नेताओं को फांसी, देश में हिंसा तथा अस्थिरता के संकेत

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बांगलादेश मुक्ति संग्राम के दौरान नरसंहार का इल्जाम रहे दो शीर्ष विपक्षी नेताओं को रविवार को फांसी दे दी गयी है। इन में देश के प्रमुख राजनीतिक विपक्षी दल ‘बांगलादेश नॅशनॅलिस्ट पार्टी’ के(बीएनपी) वरिष्ठ नेता और माजी सभापति सलाउद्दीन कादर चौधरी और चरमपंथी संगठन ‘जमात-ए-इस्लामी’ के महासचिव तथा माजी मंत्री अली अहसान मोहम्मद मुजाहिद शामिल है। फांसी की घटना के बाद दोनो दलों द्वारा देश में हरताल की घोषणा हुई है तथा हिंसा की चेतावनी भी दी गई है। इसी बीच आतंकवादी संगठन ‘आयएस’ द्वारा बांगलादेश को नयी रणभूमि बनाने की धमकी दे दी गयी है।

1971 में बांगलादेश के स्वतंत्रता के लिए हुए संघर्ष में स्थानिक अवाम को भारी मात्रा में नरसंहार तथा अनन्वित अत्याचार का सामना करना पडा था। इन युद्ध अपराधों के लिए पाकिस्तानी संगठन, खुफिया एजन्सीज तथा चरमपंथी संगठनो का सहभाग था। बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसिना द्वारा 2010 में 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान हुए युद्ध अपराधों के तहकिकात के लिए स्वतंत्र ‘ट्रिब्युनल’ की स्थापना की गयी थी। इस ट्रिब्युनल के अंतर्गत चलाये गये मामलों में अभी तक सैकडो कार्यकर्ता तथा नेताओं को मृत्यूदंड तथा आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है।

मुक्तिसंग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के लिए काम करनेवाले ‘अल बद्र’ नामक अर्ध सैनिक बल के प्रमुख रहे अली अहसान मोहम्मद मुजाहिद पर अल्पसंख्य हिंदुओं का संहार तथा बुद्धिजीवियों की हत्या का इल्जाम है। वहीं ‘बांगलादेश नॅशनॅलिस्ट पार्टी’(बीएनपी) के नेता सलाउद्दीन कादर चौधरी पर नरसंहार, हत्या तथा अपहरण के आरोप है। इन नेताओं को 2013 में सजा सुनायी गयी थी। सजा के खिलाफ किये गये सभी अपील खारिज किये गये है और राष्ट्रपति अब्दुल हमिद द्वारा दया की अर्जी भी अस्वीकार की गयी है।

रविवार सुबह राजधानी ढाका के सेंट्रल जेल में दोनो नेताओं को फांसी की सजा दी गयी। इस वक्त राजधानी ढाका तथा चितगाँग में बडी मात्रा में सेना की तैनाती की गयी थी। फांसी के खिलाफ ‘बीएनपी’ तथा ‘जमात-ए-इस्लामी’ द्वारा देशव्यापी हरताल की घोषणा भी की गयी है। दोनो दलों द्वारा इल्जाम लगाया गया है कि, यह फांसी राजनीतिक बदले की भावना का परिणाम है। बीएनपी नेता ओस्मान फारुक ने चेतावनी भी दी कि, जब तक सत्ताधारी वार्तालाप के लिए तैयार नही होते तब तक देश में हिंसा का दौर शुरु रहेगा। फांसी के कुछ घंटे बाद ही एक रिपोर्टर पर हमले की खबर भी सामने आयी है।

बांगलादेश में एक साथ दो शीर्ष विपक्षी नेताओं को दिये फांसी के बाद पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन तथा अमेरिका द्वारा चिंता जतायी गयी है। पाकिस्तान ने एक बयान जारी करते हुए फांसी की घटनाओं पर गहरी चिंता तथा आक्रोश जताया है। ‘ह्युमन राईटस् वॉच’ नामक संगठन ने मुकदमों की सुनवाई निष्पक्ष रुप से ना होने का आरोप लगाया है। अमेरिका ने बांगलादेश में स्पेशल ट्रिब्युनल द्वारा चलाये जा रहे मुकदमे और सजाओं की प्रक्रिया पर नाराजगी जतायी है।

इस बीच आतंकवादी संगठन ‘आयएस’ द्वारा बांगलादेश में नये आतंकी हमलों की चेतावनी दी गयी है। अपने ऑनलाईन मॅगझिन में लिखे गये ‘द रिव्हायव्हल ऑफ जिहाद इन बेंगाल’ में बांगलादेश को नया युद्धक्षेत्र बनाने की धमकी दी गयी है। पिछले कई महीनों से बांगलादेश में विदेशी व्यक्तीयों पर हो रहे हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इस तरह के हमले और तेज करने की चेतावनी दी गयी है।

बांगलादेश में इस साल में पाँच ब्लागर्स तथा एक प्रकाशक की हत्या कर दी गयी है। ये हत्याएँ अभिव्यक्ती की आजादी पर हमला बताये जाते है। अल कायदा से जुडे आतंकवादी संगठन ‘अंसर-अल-इस्लाम’ ने इन हत्याओं की जिम्मेदारी ली है। दूसरी और प्रधानमंत्री शेख हसिना के खिलाफ विपक्षी दलों ने देशव्यापी आंदोलन शुरु किया है। इस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में करीब 100से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि, शेख हसिना सरकार राजनीतिक बदले की नीति का आधार लेते हुए उन्हे लक्ष्य कर रही है। वहीं शेख हसिना सरकार ने विपक्षियों पर आरोप लगाया है कि वे देश को अस्थिर करने का षडयंत्र बना रहे है।

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