मूर्खता से यूक्रेन ने २६ हजार सैनिक खो दिये – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन

मास्को – यूक्रेन ने जून महीने से शुरू किए जवाबी हमलों में २६ हजार सैनिक एवं ठेके के सैनिकों को खोया हैं। यूक्रेनी सेना को जर्मनी से प्राप्त हुए १५ लेपर्ड टैंक और २० अमरिकी बख्तरबंद वाहन रशिया ने एक ही मुठभेड़ में नष्ट किए हैं, ऐसा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने कहा हैं। रशिया का दौरा कर रहे बेलारूस के राष्ट्राध्यक्ष से हुई मुलाकात में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यह दावा किया।

यूक्रेन का बहुचर्चित काउंटर ऑफेन्सिव यानी जवाबी हमलों का अभियान पुरी तरह से असफल हुआ है, ऐसा बयान राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन एवं अन्य रशियन नेता कर रहे हैं। यूक्रेन एवं अन्य पश्चिमी देशों ने बड़ी ड़िंगे हाककर ऐसे दावे किए थे कि, काउंटर ऑफेन्सिव से रशिया को भारी नुकसान पहुंचेगा। वास्तव में जून महीने से शुरू हुआ यूक्रेनी सेना का यह अभियान पुरी तरह से असफल हुआ हैं और इसमें यूक्रेनी सेना के २६ हजार से भी अधिक सैनिक मारे गए हैं, ऐसा रशियन नेता कह रहे हैं। इसके अलावा यूक्रेन के पक्ष में लड़ रहे हैं लगभग पांच हजार ठेके के सैनिकों को रशियन सेना ने ढ़ेर किया है, ऐसी जानकारी रशियन रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की।

बेलारूस के राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर लुकाशेन्को रशिया पहुंचे हैं और उनसे सेंट पीटर्सबर्ग में बातचीत करते समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यही कहा कि, यूक्रेन की मूर्खता से ही इस देश ने २६ हजार सैनिकों को खो दिया है। साथ ही इनमें निजी सैनिकों के मारे जाने के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करके राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यूक्रेनी जनता और यूक्रेन के लिए फौज भेजने वालों को सख्त चेतावनी दी है। यूक्रेन युद्ध में पुख्ता क्या शुरू हुआ हैं, इसपर गौर करें, यह संदेश राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इन सभी को दिया है। रशियन सेना ने एक ही मुठभेड़ में यूक्रेनी सेना को जर्मनी से प्राप्त हुए १५ लेपर्ड टैंक और अमरिकी निर्माण के २० ‘ब्रैडली इन्फेन्ट्री फाइटिंग वेहिकल्स’ नष्ट कर दिए हैं, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इस दौरान कहा।

इसी बीच, यूक्रेनी सेना का काउंटर ऑफेन्सिव नाकाम साबित होने से अमरीका भी नाराज़ हुई है। यूक्रेनी सेना रशिया के विरोध में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर रही हैं और तभी अमरीका से सैन्य सहायता मांगना उनका बढ़ता जा रहा है। इस वजह से अमरीका की बेचैनी बढ़ने का दावा इस देश के माध्यम करने लगे हैं। ब्रिटेन ने भी इसपर यूक्रेन के सामने नाराज़गी जताई थी। यूक्रेन ने रखी मांगों के अनुसार सैन्य सहायता प्रदान करना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा इशारा ब्रिटेन ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन को दिया था। वहीं, दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने पर्याप्त मात्रा में सैन्य सहायता प्राप्त ना होने के परिणाम खराब होने के संकेत दिए हैं।

इस मुद्दे पर यूक्रेन और यूक्रेन के पीछे खड़े अमरीका और पश्चिमी देशों के मतभेद बढ़ रहे हैं, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं। रशियन नेता इसका लाभ उठा रहे हैं और यूक्रेन की सेना की नाकामी अधिक स्पष्ट रूप से विश्व पटल पर रख रहे हैं। यूक्रेनी सेना की यह असफलता सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं हैं। बल्कि, यूक्रेन की सहायता कर रहे ठेके के सैनिकों के साथ ही उन्नत हथियार और रक्षा सामान की आपूर्ति कर रहे देशों की भी यह असफलता है, ऐसा बयान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने पहले ही किया था। इसका प्रभाव दिखने लगा हैं और अमरीका के नेता भी बायडेन प्रशासन की आलोचना करते हुए यूक्रेन युद्ध की असफलता को सामने ला रहे हैं।

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