नाटो की बैठक में अमरीका और तुर्की का हुआ बड़ा विवाद – तुर्की अलग-थलग होने के संकेत

ब्रुसेल्स – मंगलवार के दिन हुई नाटो की बैठक में अमरीका और तुर्की का बड़ा विवाद होने की बात सामने आयी है। अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने भूमध्य समुद्र में जारी हरकते और ‘एस-400’ के मुद्दों पर तुर्की पर हमला किया। तुर्की के विदेशमंत्री ने इसका जवाब दिया, लेकिन अमरीका के बाद फ्रान्स, ग्रीस और अन्य देशों ने भी तुर्की को आड़े हाथों लिया। इस वजह से बीते कुछ वर्षों में लगातार आक्रामक एवं अड़ियल भूमिका अपनाता रहा तुर्की नाटो की बैठक में अलग-थलग होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

nato-us-turkeyब्रुसेल्स में नाटो के सदस्य देशों के विदेशमंत्रियों की ‘वर्चुअल कान्फरन्स’ का आयोजन किया गया था। इस दौरान अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने तुर्की को लक्ष्य किया। ‘तुर्की नाटो के मुल्यों के खिलाफ जा रहा है और नाटो की मुहिमों में अड़ंगे डाल रहा है। तुर्की के इस बरताव की वजह से नाटो सदस्य देशों की एक-दूसरे से भाईचारे की भूमिका को नुकसान पहुँचा है। भूमध्य समुद्री क्षेत्र के साथ लीबिया, सीरिया, नागोर्नो-कैराबख में तुर्की ने उकसानेवाली हरकतें जारी रखी हैं। भूमध्य समुद्र में तनाव कम करने के लिए ग्रीस और तुर्की ने तय किया हुआ दायरा तुर्की की इसी भूमिका की वजह से टूटा है’ ऐसे आक्रामक शब्दों में पोम्पिओ ने तुर्की की आलोचना की।

nato-us-turkeyइसी बीच अमरिकी विदेशमंत्री ने ‘एस-400’ मिसाइल यंत्रणा के मुद्दे पर भी तुर्की को फटकार लगाई। तुर्की ने रशिया से ‘एस-400’ खरीदकर इसे कार्यरत करना यानी नाटो सदस्य देश ने रशिया को इनाम देना है, ऐसा कहना होगा, ऐसी फटकार भी पोम्पिओ ने लगाई। पोम्पिओ के इन जुबानी प्रहार पर प्रत्युत्तर देने की कोशिश तुर्की के विदेशमंत्री मेवलुत कावुसोग्लु ने की। ग्रीस के पीछे खड़ी रहकर अमरीका यूरोपिय देशों को भड़का रही है, यह आरोप कावुसोग्लु ने किया। अमरीका ने सीरिया में मौजूद कुर्दों की आतंकी संगठनों को भी समर्थन प्रदान किया है, इस ओर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही ‘नागोर्नो-कैराबख’ का संघर्ष काफी हद तक बिगड़ने के पीछे अमरीका और फ्रान्स जैसे देशों ने आर्मेनिया को दिया समर्थन ज़िम्मेदार है, यह आरोप भी तुर्की के विदेशमंत्री ने किया।

nato-us-turkeyतुर्की के विदेशमंत्री ने किए इन बयानों पर फ्रान्स और ग्रीस ने करारा जवाब दिया। भूमध्य समुद्री क्षेत्र में जारी तुर्की की हरकतें यानी इस देश ने रशिया की आक्रामक दखलअंदाज़ी करने की नीति दोहराने की कोशिश है, ऐसी आलोचना फ्रान्स के विदेशमंत्री जीन-य्वेस ली ड्रिआन ने की। ग्रीस ने भी तुर्की को आड़े हाथों लेकर अपनी भूमिका अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करनेवाली है, यह बयान किया। इस बैठक के दौरान लीबिया में जारी संघर्ष रोकने के लिए नाटो योगदान दे, यह प्रस्ताव तुर्की ने सामने रखा था। लेकिन, यह संघर्ष तुर्की की हरकतों के कारण काफी बिगड़ा, यह आरोप करके अन्य सदस्यों ने यह प्रस्ताव स्पष्ट शब्दों में ठुकराया।

nato-us-turkeyअमरीका, फ्रान्स, ग्रीस ने की हुई आलोचना और लीबिया से संबंधित प्रस्ताव को प्राप्त हुए इन्कार की वजह से तुर्की नाटो में अलग-थलग पड़ गया, यही चित्र इस बैठक में दिखाई दिया। भूमध्य समुद्री क्षेत्र में जारी गतिविधियां, सीरिया, लीबिया समेत अन्य देशों में जारी दखलअंदाज़ी पर यूरोपिय देशों ने पहले ही तुर्की को सख्त शब्दों में इशारे दिए हैं। वहीं, ‘एस-400’ एवं ईरान से नज़दीकियां बढ़ाने के मुद्दे पर अमरीका ने तुर्की को परिणाम भुगतने होंगे, यह इशारा दिया था। लेकिन, इसके बावजूद तुर्की ने अपनी हरकते रोकी नहीं हैं। इसकी तीव्र गूँज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रही है और नाटो में तुर्की का अलग-थलग पडना उसीके संकेत है।

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