राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने किया ‘अग्निपथ’ योजना का जोरदार समर्थन

नई दिल्ली – ‘सेना की सेवा में भरती होने के लिए शारिरीक एवं मानसिक मज़बूती के साथ ही देश के लिए समर्पण की वृत्ति सबसे अधिक अहमियत रखती है। यह वृत्ति जो नहीं रखते वे सेना में सेवा नहीं कर सकते’, ऐसे स्पष्ट शब्दों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने ‘अग्निपथ’ योजना पर दर्ज़ हो रहीं आपत्तियों का जवाब दिया। चार साल की सेवा के बाद अपने करिअर का क्या होगा, ऐसी आशंका व्यक्त करनेवालों को डोवल ने यह सलाह दी। इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर्स की ओर छलांग लगा रही है और तभी अग्निवीरों के लिए काफी अवसर उपलब्ध होंगे, यह विश्‍वास राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने व्यक्त किया है।

‘अग्निपथ’एक वृत्तसंस्था के साथ बातचीत करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने अग्निपथ योजना पर अपनी भूमिका स्पष्ट रूप से रखी। यह योजना पीछे लेने का सवाल ही नहीं उठता, ऐसा कहकर डोवल ने इस योजना का समर्थन किया। भारत विश्‍व में सबसे अधिक युवाओं का देश हैं। ऐसे देश की सेना की औसतन आयु अधिक नहीं होनी चाहिए, ऐसा डोवल ने कहा। फिलहाल सैनिकों की औसतन आयु ३२ है और इसे कम करके २६ करना अग्निपथ योजना का मूल उद्देश्‍य होने का बयान वरिष्ठ सेना अधिकारियों ने किया था। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने इस बात पर फिर से ध्यान आकर्षित किया।

इसके साथ ही अग्निपथ योजना की वजह से ‘टेक-सैवी’ यानी नवीनतम तकनीक से अधिक बेहतर पद्धति से स्वयं को जोड़नेवाले युवा रक्षाबलों को प्राप्त होंगे। इससे रक्षाबल ‘टेक-सैवी’ होंगे, यह विश्‍वास अजित डोवल ने व्यक्त किया। मौजूदा समय में युद्ध पद्धति में बदलाव हो रहें हैं और नॉन कॉन्टैक्ट वॉरफेअर यानी प्रत्यक्ष संपर्क के बिना होनेवाले युद्ध का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही अदृश्‍य यानी नज़र ना आनेवाले शत्रु से हमें मुकाबला करना पड़ रहा है। इसकी वजह तकनीक बड़ी तेज़ी से प्रगति कर रही है, इसका अहसास डोवल ने कराया।

‘अग्निपथ’‘यदि हमें भविष्य में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना हो तो इसकी शुरूआत अभी से करनी होगी। अग्निपथ योजना इसी तैयारी का हिस्सा है’, ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने ड़टकर कहा। ‘अग्निपथ योजना देश को अधिक सुरक्षित और सेना को अधिक बलशाली करनेवाली है’, ऐसी गवाही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दी। इसी बीच, जम्मू-कश्‍मीर के मुद्दे पर बोलते हुए साल २०१९ के बाद कश्‍मीरी जनता की मानसिकता में पूरी तरह से बदलाव होने की बात डोवल ने दर्ज़ की। यहां की जनता अब पाकिस्तान और आतंकवाद के पक्ष में नहीं, बल्कि विरोध में खड़ी है, यह दावा डोवल ने किया।

भारत को अन्य सभी पड़ोसी देशों के साथ पाकिस्तान से बेहतर संबंध चाहियें। लेकिन इसके लिए आतंकवाद बर्दाश्‍त करने के लिए भारत तैयार नहीं है। भारत किसी भी स्थिति में शांति के लिए किसी से याचना नहीं करेगा। हमारे शत्रु को जब चाहे शांति या युद्ध में से किसी का भी चयन करने का अवसर देना मुमकिन नहीं होगा। हमें अपने संबंधों की रक्षा करनी हो तो अपनी शर्तों पर हमें चाहिये तब, कब और किससे शांति स्थापित करनी है, यह हमें तय करना होगा, ऐसा सूचक बयान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने किया।

भारत और चीन की सीमाविवाद पर बोलते हुए भी डोवल ने चीन को भारत की सीमा में घुसपैठ करने की अनुमति नहीं दी जा सकती, यह चेतावनी दी है।

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