पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल हो रहा है – पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाह्कार मोईद युसुफ

terrorism-against-pak-afghan-2इस्लामाबाद – अफगानिस्तान में आतंकवाद का इस्तेमाल आज भी पाकिस्तान के खिलाफ हो रहा है। अफगानिस्तान में आज भी आतंकी संघटनाएं उतनी ही सक्रिय हैं, ऐसा आरोप पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ ने लगाया। पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में लश्करी चौकी पर हुए हमले में पाकिस्तानी सेना के दस जवान मारे गए थे। इसके लिए सीमापार के आतंकी संघटनाएं जिम्मेदार होने का दावा पाकिस्तान की यंत्रणाएं कर रही हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अफगानिस्तान में आतंकी अभी भी सक्रिय होने की बात कहकर सीधे-सीधे तालिबान पर आरोप किया हुआ दिख रहा है।

दो दिन पहले बलुचिस्तान के केच भाग में आतंकवादियों ने पाकिस्तानी लश्कर की सुरक्षा चौकी पर हमला किया। पाकिस्तान की यंत्रणाओं ने इसके बारे में जानकारी नहीं दी है। मगर पाकिस्तान के माध्यम यह जानकारी जनता के समक्ष ला रहे हैं। इस हमले में पाकिस्तानी सेना के कम से कम आठ से दस जवान मारे जाने की खबर यह माध्यम कह रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के आने के बाद पाकिस्तान की सीमा पर आतंकी हमलों की बढोतरी हुई है। अब तक दो से चार जवान मारे जा रहे थे। मग इतनी बडी संख्या में पकिस्तानी जवानों की जान जाने का यह पहली घटना है. ऐसा माध्यमों का कहना है। इस हमले के लिए बलोचिस्तान की विद्रोही संघटनाएं जिम्मेदार होने का दावा माध्यम कर रहे हैं। तो, इस हमले में १० नहीं बल्कि ५० से अधिक जवान मारे जाने की संभावना भी कही जा रही है।

ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ ने पाकिस्तान की संसदीय समिति को जानकारी देते समय, अपने देश में आतंकी होनेवाले हमलों का ठिकरा अफगानिस्तान पर फोडा। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के बारे में पाकिस्तान सरकार पूरी तरह से आशावादी नहीं है, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला विधान युसुफ ने किया। तो कुछ महीनों पूर्व हुई संघर्षबंदी तहरीक-ए-तालिबान की वजह से ही नहीं हो पाई, ऐसा आरोप युसुफ ने लगाया। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करनेवाले हरएक का फौलादी निर्धार से मुकाबला किया जाएगा, ऐसा इशारा पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दिया। साफ-साफ नाम भले ही ना लिया गया हो, फिर भी तहरीक-ए-तालिबान के नेताओं को आश्रय देनेवाले अफगानिस्तान के तालिबान को भी पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इशारा दिया हुआ दिख रहा है।

terrorism-against-pak-afghan-1पिछले कुछ हफ्तों से ड्युरंड लाईन पर अफगानी तालिबान और पाकिस्तान की सेना में झडपें हो रही हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की जनता को विभाजित करने वाली यह सीमा हमें मान्य ना होने की बात तालिबान ने घोषित की है। नांगरहार, कुनार और निमरोज में पाकिस्तानी सेना द्वारा उभारी हुई कांटेदार बाड तालिबान ने उखाड फेंकी थी। कुछ स्थानों पर तालिबान और पाकिस्तानी सेना में गोलीबारी की घटनाएं भी हुई थीं। इसके अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार अवैध है और सेना ही पाकिस्तान में सत्ता में बदलाव करने की धमकी तालिबान के कुछ नेताओं ने दी थी। 

इस पर पाकिस्तान से तीव्र प्रतिक्रिया उमडी थी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसुफ इस प्रश्न पर चर्चा हेतु दो दिनों के लिए विशेष दौरे पर अफगानिस्तान जानेवाले थे। मगर ऐन वक्त पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का अफगानिस्तान दौरा रद किया गया। अफगानिस्तान में खराब मौसम के वजह से यह दौरा रद किए जाने का बात पाकिस्तानी यंत्रणाओं ने घोषित की थी। पर वास्तव में अलग ही कारण के लिए यह दौरा रद करना पडा था यह बात खुली है।

पाकिस्तानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दौरे के पहले अफगानिस्तान में इसके खिलाफ तीव्र निदर्शन होने लगे थे। इसकी तीव्रता की वजह से युसुफ को यह दौरा रद करना पडा। वरना इन निदर्शनों की वजह से अफगानी समाज का पाकिस्तान के खिलाफ असंतोष विश्व के समक्ष अधिक स्पष्टता से उजागर होता, ऐसा भय पाकिस्तान को महसूस हो रहा था। तो पाकिस्तान के कुछ पत्रकार ऐसा आरोप लगा रहे है कि, अफगानिस्तान में इन निदर्शनों में तालिबान क ही हाथ होगा। अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता बनने के बाद जश्न मनानेवाले पाकिस्तान को तालिबान ही सबसे बडी चुनौती महसूस होने लगा है। इस राष्ट्र के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के विधान इस बात की साक्ष दे रहे हैं।

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