अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन समारोह प्रधानमंत्री के हाथों संपन्न हुआ

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन समारोह प्रधानमंत्री के हाथों संपन्न हुआ

नई दिल्ली – श्रीराम, भारत की मर्यादा है। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। आज अयोध्या में रामजन्मभूमि पर विशाल और दिव्य मंदिर का भूमिपूजन समारोह संपन्न हुआ। श्रीराम का यह मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक होगा। साथ ही भारत की शाश्‍वत आस्था और राष्ट्रीय भावना का भी यह मंदिर प्रतीक साबित होगा, इन शब्दों में प्रधानमंत्री […]

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वैभवलक्ष्मी का व्रत – ५

वैभवलक्ष्मी का व्रत – ५

वैभवलक्ष्मी के व्रतों का अचूकता से पालन करनेवाले अनेक लोग हम हमेशा ही देखते हैं, लेकिन अधिकांश बार कई साल गुज़र जाते हैं, फिर भी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हुई दिखायी नहीं देतीं। फिर स्वयं के नसीब को अथवा ग्रहों को अथवा जादू-टोने को दोष दिया जाता है। लक्ष्मी माता यक़ीनन ही कृपालु, दयालु और […]

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समर्थ इतिहास-१९

समर्थ इतिहास-१९

अगस्त्य मुनि का नाम लेते ही कथा-कीर्तनों में से एक ही कथा मुख्य रूप से बतायी जाती है और भारत का बच्चा बच्चा तक इस कथा को जानता है। समुद्र का पानी खारा क्यों है? इस प्रश्न के उत्तर के रूप में यही कथा सर्वत्र बतायी जाती है। अगस्त्य मुनि ने एक आचमन में पृथ्वी […]

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समर्थ इतिहास-१८

समर्थ इतिहास-१८

लोपामुद्रा ये विदर्भ देश की राजकन्या थीं। ये दिखने में अत्यंत सुंदर, अप्सरा के समान और गुणों में भी अत्यंत पवित्र तथा मर्यादाशील थीं। अदिति माता नेे (अगस्त्य ऋषि की दादी – पितामही) लोपामुद्रा से विवाह करने की अगस्त्य ऋषि को आज्ञा दी। परन्तु ये तो ठहरें नैष्ठिक ब्रह्मचारी, पारिवारिक सुख का बिलकुल भी आकर्षण […]

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समर्थ इतिहास-१७

समर्थ इतिहास-१७

महर्षि अगस्त्य चिकित्साशास्त्र में भी अत्यंत निपुण थे और अनुसंधान करने की उनकी प्रवृत्ति के कारण अनेक अनुसंधान कर वे चिकित्साशास्त्र को प्रगतिपथ पर ले गये। ऋग्वेद में इसका पहला संदर्भ प्राप्त होता हैे (ऋग्वेद १/११८/८)। ‘खेल` नामक सम्राट ने इनके चरणों में अपनी निष्ठा अर्पण की और इन्हें अपने धर्मगुरु का स्थान दिया। आगे […]

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समर्थ इतिहास-१६

समर्थ इतिहास-१६

दक्षिण भारत में तामिळहम्‌‍ प्रदेश के लोकमानस और राजमानस के सिंहासन पर ये अनभिषिक्त सम्राट (महर्षि अगस्त्य) राज करने लगे; लेकिन उनका साम्राज्य प्रेम का, सेवा का, पवित्रता का और उन्नयन का था। तमिल भाषा की उस समय प्रचलित रहनेवाली लिपि यह मूलतः ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई थी। उसका ‘कोळएळत्तु` यह नाम था। ‘कोळ` […]

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समर्थ इतिहास -१५

समर्थ इतिहास -१५

तामिळहम्‌‍ (तमिलनाडू + केरल) इस प्रदेश में अगस्त्य ऋषि ने प्रवेश किया, उस समय सूर्यपूजन तो था ही; परन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि यहाँ पर लिंगपूजन यह ‘भगवान शिव` का पूजन था। भगवान शिव ही सबसे श्रेष्ठ आराध्य देवता थे और अभिषेक, फूल चढ़ाना, नैवेद्य अर्पण करना और आरती करना ये उपचार शिवपूजन […]

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समर्थ इतिहास-१२

समर्थ इतिहास-१२

‘अगस्ति’ यह इनका मूल नाम नहीं है। इनका मूल नाम ‘मान्य मांदार्य’ यह है। ‘अगं स्त्यायति इति’, पर्वत (विंध्य) के विस्तार को प्रतिबंध करनेवाला, यह ‘अगस्ति’ नाम की उपपत्ति (स्पष्टीकरण) है (अगस्ति – अगस्त्य)। ‘अगस्त्य’ यह गौरवशाली नाम उन्हें, उनके द्वारा उनके जीवन में किये गये एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य के कारण प्राप्त हुआ। तमिल […]

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समर्थ इतिहास-८

समर्थ इतिहास-८

समुद्रगुप्त के कार्यकाल में वेग एवं बल प्राप्त हुआ एक सुंदर सांस्कृतिक प्रवाह था, नारदप्रणित भक्तिमार्ग का प्रवाह। स्वयं समुद्रगुप्त अत्यंत धार्मिक, श्रद्धावान और भक्तिसंगीत में रममाण होते थे। वे स्वयं भगवान विष्णु के उपासक थे, परन्तु इसके बावजूद भी उन्होंने उतने ही प्रेम से शिवमंदिरों का निर्माण किया और वे स्वयं भी शिवपूजन में […]

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समर्थ इतिहास-७

समर्थ इतिहास-७

समुद्रगुप्त के संपूर्ण साम्राज्य में ‘वसंतोत्सव’ को राष्ट्रीय उत्सव का स्थान प्राप्त हुआ था| सभी पंथीय एवं भाषिक प्रजाजन एक साथ आकर वसंतोत्सव मनाते थे| माघ शुक्ल पंचमी के दिन वसंतोत्सव का आरंभ होता था और फाल्गुन पूर्णिमा तक यह उत्सव मनाया जाता था| चैत्र-वैशाख यह वसंत ऋतु का काल माना जाता है, परन्तु मकर […]

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