अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन समारोह प्रधानमंत्री के हाथों संपन्न हुआ

नई दिल्ली – श्रीराम, भारत की मर्यादा है। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। आज अयोध्या में रामजन्मभूमि पर विशाल और दिव्य मंदिर का भूमिपूजन समारोह संपन्न हुआ। श्रीराम का यह मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक होगा। साथ ही भारत की शाश्‍वत आस्था और राष्ट्रीय भावना का भी यह मंदिर प्रतीक साबित होगा, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम की ओर नज़र बना बैठे भारतीय नागरिकों के साथ विश्‍वभर की करोड़ों की जनता का अभिनंदन किया। साथ ही सभी लोगों को बड़े प्रेम से अपना बनानेवाले प्रभू श्रीराम ने ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ यह संदेश दिया है। इसके अनुसार भारत अधिक से अधिक ताकतवर होगा और सभी को अच्छा व्यवहार करने के लिए मजबूर करेगा, यह सूचक बयान भी प्रधानमंत्री ने किया।

श्रीराम मंदिर

बुधवार के दिन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमिपूजन किया गया। इसके लिए बीते कई दिनों से तैयारी हो रही थी। पूरी अयोध्या नगरी इस समारोर के लिए फूल और पताकों से सुशोभित की गई थी। मंगलवार की शाम हज़ारों दीप प्रज्वलित करके दिपोत्सव भी मनाया गया। इस समारोह के लिए उपस्थित रहने के लिए विशेष निमंत्रित पिछले दो दिनों से अयोध्या पहुँच रहे थे। कोरोना वायरस की महामारी की वजह से चुनिंदा मान्यवरों की उपस्थिती में इस समारोह का आयोजन किया गया। लेकिन, कई लोगों ने इस समारोह में अपनी वर्च्युअल उपस्थिती दर्शाई। साथ ही सीर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍वभर में इसे करोड़ों लोगों ने समाचार चैनलों के ज़रिए इस समारोह का अनुभव किया। अमरीका, इस्रायल, यूरोप में लाखों लोगों ने इस समारोह का सीधा प्रक्षेपण देखा। अमरीका के न्यूयॉर्क स्क्वेअर में बिलबोर्ड पर राम मंदिर के इस समारोह की झलक देखी गई। वॉशिंग्टन डीसी में भारतीय नागरिकों ने इस अवसर पर बड़ा जल्लोश किया।

अयोध्या में राममंदिर का निर्माण करने के लिए लगभग 500 वर्षों से कोशिश हो रही थी। बीते वर्ष नवंबर महीने में सर्वोच्च न्यायालय ने किए निर्णय के बाद यहां पर राममंदिर का निर्माण करने का रास्ता खुल गया। इसके बाद राममंदिर का निर्माण करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार ट्रस्ट स्थापित करके विशाल राममंदिर का निर्माण करने की दिशा में गतिविधियां शुरू हुईं। बीते महीने में राममंदिर के भूमिपूजन के लिए 5 अगस्त की तारीक तय की गई थी। बुधवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी यह कार्य करने के लिए अयोध्या पहुंचे। हनुमान गढी का दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री ने अस्थायि राममंदिर जाकर श्रीराम का दर्शन किया। इसके प्रधानमंत्री के हाथों राममंदिर का भूमिपूजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राममंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास उपस्थित थे। इनके साथ अलगअलग पंथ और समूदाय के प्रमुख भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने किए भाषण में आज़ादी की जंग में जिस तरह से महात्मा गांधी के नेतृत्व में देश के सभी स्तर की जनता शामिल हुई थी। उसी तरह आज देशभर की जनता के सहयोग से राममंदिर निर्माण का पावन कार्य शुरू हुआ है, यह कहकर प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया।

रामजन्मभूमी में विशाल मंदिर का निर्माण हो इस लिए कई लोगों ने संकल्प किया, संघर्ष किया, अविरत कष्ट भी किए। आज का दिन यह उसी का फलित होने का बयान प्रधानमंत्री ने किया। भारत के आदर्शों में राम हैं। भारत की दिव्यता में और दर्शन में भी राम हैं, यह बात भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान कही।

श्रीराम स्थल, काल और स्थिति के अनुसार विचार करते हैं, बोलते हैं और अपना कार्य करते हैं। राम, आधुनिकता और परिवर्तन के समर्थक हैं और उनकी इसी प्रेरणा से और श्रीराम के आदर्शों के साथ भारत आज आगे बढ़ रहा है, यह बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही। भारत के सभी प्रदेशों में अलग अलग भाषा में रामायण लिखा गया है और सभी हिस्सों में रामकथाओं का गुणगान होता है। अलग-अलग रामायण में अलग अलग जगहों पर राम अलग अलग रूप में देखे जाते हैं। लेकिन, राम सर्वत्र हैं, सभी में हैं और इसी वजह से राम भारत की विविधता में एकता का सूत्र होने की बात प्रधानमंत्री ने रेखांकित की। साथ ही विश्‍वभर में अलग अलग देशों में रामकथा का कैसे गायन होता है, इसका ज़िक्र भी प्रधानमंत्री ने किया।

सभी पर प्रेम करनेवाले, सभी को अपना समझनेवाले श्रीराम ‘भय बिनु होइ न प्रीति’ की शिक्षा देते हैं। इसके अनुसार आज का भारत अधिक से अधिक ताकतवर होगा और सभी को प्रिती से व्यवहार करने के लिए मजबूर कर रहा है, यह सूचक बयान भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान किया। भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश कर रहे चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए यह चेतावनी होन की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं।

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