‘आईएनएस विक्रांत’ देश के दृढ़ निश्‍चय का प्रतीक है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

कोची – ‘आईएनएस विक्रांत’ सिर्फ एक युद्धपोत नहीं है। २१वीं सदी के भारत के कड़े परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और दृढ़ निश्‍चय का प्रतीक है। ध्येय दूर होगा तो इसके लिए आवश्‍यक सफर काफी बड़ा होगा और इस सफर में चुनौतियाँ भी बड़ी होंगी, तो इस पर भारत का जवाब है ‘विक्रांत’। यह युद्पोत आत्मनिर्भर भारत का प्रतिबिंब है’, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विमान वाहक युद्धपोत का भारतीय नौसेना में समावेश होने पर आनंद व्यक्त किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने नौसेना का नया निशान जारी करके इसे छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित किया। इस वजह से गुलामी के इतिहास का चिन्ह दूर किया जा रहा है और देश के आरमर की ताकत की विरासत बयान करनेवाला नया निशान नौसेना को प्राप्त हुआ है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा।

‘आईएनएस विक्रांत’स्वदेशी तकनीक के ज़रिये विमान वाहक युद्धपोत का निर्माण करनेवाले चुनिंदा देशों की सूचि में अब भारत का भी समावेश हुआ है। विशाल, विराट और विहंगम विक्रांत युद्धपोत यानी तैरता हुआ अड्डा या तैरता हुआ शहर है, ऐसा कहकर इस युद्धपोत के समावेश की वजह से भारत की नौसेना का सामर्थ्य प्रचंड़ मात्रा में बढ़ा है। इस वजह से आज ऐतिहासिक दिन है। पहले के दौर में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों को अनदेखा किया जा रहा था।

लेकिन, मौजूदा दौर में यह क्षेत्र देश की सुरक्षा के नज़रिए से काफी अहम है और इसे विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। इसके लिए नौसेना के बजट में भारी बढ़ोतरी की गई है। साथ ही नौसेना की क्षमत विकसित करने के लिए कदम बढ़ाए जा रहे हैं। ताकतवर भारत ही शांत और सुरक्षित विश्‍व की राह चौड़ी करेगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने आगे कहा।

‘आईएनएस विक्रांत’भारतीय नौसेना का नया निशान जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने यह निशान छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित करने का ऐलान किया। आज हमारी नौसेना परतंत्रता के दौर का निशान रखे हुए थी, लेकिन, अब छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से तैयार किया गया निशान देश के समुद्री और हवाई क्षेत्र में लहराता रहेगा।

प्राचिन समय से भारत काफी बड़ी नौसैनिक ताकत वाला देश रहा है। अंग्रेज भारत आए तब वे भारत की नौसैनिकी शक्ति से ड़रते थे। इसी कारण उन्होंने भारत की इसी ताकत पर प्रहार किए थे। ब्रिटेन की संसद में भारत के जहाज़ों पर प्रतिबंध लगानेवाले कानून किए गए थे, इसकी याद भी प्रदानमंत्री ने ताज़ा की।

इस अवसर पर बोलते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्वतंत्रता के अमृतकाल में नौसेना में शामिल हुई विक्रांत अगले २५ साल देश की सुरक्षा निश्‍चित करेगी, यह विश्‍वास व्यक्त किया। भारत की आकांक्षा और आत्मविश्‍वास की प्रतीक० यह युद्धपोत लगातार बदल रही वैश्‍विक स्थिति में भारत के व्यापार और समुद्री हितों की सुरक्षा करेगी, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा। साल १९७१ के युद्ध में ‘आईएनएस विक्रांत’ युद्धपोत ने जोरदार पराक्रम किया था। लेकिन, युद्धपोत कभी मरती नहीं है, उसी विक्रांत का नया अवतार नौसेना में शामिल हुआ है और उस समय के युद्ध में पराक्रम करनेवालों और बलिदान करनेवाले सेनानी और वीर सैनिकों को नए विक्रांत के माध्यम से हम श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे है, ऐसा संवेदनाभरा बयान रक्षामंत्री ने किया।

इसी बीच, भारत के बेड़े के इस दूसरे विमान वाहक युद्धपोत की वजह से देश के समुद्री हितों की सुरक्षा करना आसान होगा। चीन ने अपनी नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए नए युद्धपोतों का निर्माण करने का सिलसिला जारी रखा है और ऐसे में भारत के बेड़े में ‘आईएनएस विक्रांत’ का समावेश होना ध्यान आकर्षित करता है। इससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारतीय नौसेना का प्रभाव अधिक बढ़ेगा। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने का चीन का सपना आगे भी सपना ही रहेगा, यही बात ‘आईएनएस विक्रांत’ के समावेश से स्पष्ट हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.