२ सितंबर को प्रधानमंत्री की मौजुदगी में ‘विक्रांत’ के समावेश के साथ, नौसेना को प्राप्त होगा नया निशान

‘विक्रांत’नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी २ सितंबर को स्वदेशी निर्माण के पहले विमान वाहक युद्धपोत ‘विक्रांत’ का नौसेना में समावेश करेंगे। यह ऐतिहासिक घटना होगी, ऐसा नौसेना ने अपने निवेदन में कहा है। साथ ही, भारतीय नौसेना का नया निशान भी इस दौरान जारी किया जाएगा, यह जानकारी प्रधानमंत्री दफ्तर ने साझा की। परतंत्रता के दौर के चिन्ह पीछे छोड़, भारत के गौरवशाली नौसैनिक इतिहास की विरासत इस माध्यम से विश्व के सामने लायी जाएगी, ऐसा कहा जा रहा है।

भारतीय नौसेना के बेड़े में फिलहाल ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ ही एक विमानवाहक युद्धपोत मौजूद है। ऐसें में ‘विक्रांत’ के परीक्षण पूर्ण हुए हैं और चालिस हज़ार टन से भी अधिक भार का विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल होने के लिए तैयार है। २ सितंबर को विक्रांत भारतीय नौसेना में शामिल होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में यह समारोह होगा। भारतीय निर्माण के इस विमान वाहक युद्धपोत का नौसेना में समावेश होना ऐतिहासिक घटना होगी, ऐसा कहकर नौसेना ने अपने निवेदन में इसकी अहमियत रेखांकित की है।

एक ही समय पर दो विमान वाहक युद्धपोत भारतीय नौसेना के बेड़े में होने का यह पहला अवसर होगा। इससे नौसेना की क्षमता प्रचंड़ मात्रा में बढ़ेगी और इससे देश को काफी बड़े सामरिक लाभ प्राप्त होंगे। खास बात यह है कि ४० हज़ार टन से भी अधिक भार के इस युद्धपोत का देश में ही निर्माण किया गया है, यह बात काफी बड़ी अहमियत रखती है। इसके ज़रिये भारत अपनी क्षमता साबित करता दिख रहा है। प्रगत यंत्रणा और क्षमता से सज्जित विक्रांत के निर्माण के लिए करीबन २० हज़ार करोड़ रुपयों की लागत हुई है।

चीन की नौसेना ने भारत के नैसर्गिक प्रभाव के क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने की गतिविधियाँ शुरू की हैं। इसके लिए चीन ने अपनी नौसेना की क्षमता प्रचंड़ मात्रा में बढ़ाई थी। सैकड़ों सालों में किसी भी देश ने इतने कम समय में अपनी नौसेना की क्षमता में यकायक बढ़ोतरी करने का उदाहरन नहीं मिलता। भारत के नौसेना अधिकारी ने इस बात पर ध्यान आकर्षित किया था। इसी कारण भारत को, अपनी नौसेना का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए तेज़ी से कदम उठाना आवश्यक था।

इसी कारण से भारतीय नौसेना के लिए एक और विमानवाहक युद्धपोत का निर्माण करने का निर्णय हुआ। लेकिन, ऐसें स्वदेशी युद्धपोत का निर्माण करने में भारत को प्राप्त हुई सफलता ध्यान आकर्षित करती है। पूरा विश्व इसका संज्ञान लेता दिख रहा है। विक्रांत पर तैनात करने के लिए ज़रूरी प्रगत लड़ाकू विमानों की जल्द ही नौसेना खरीद करेगी। इसके लिए फ्रान्स की ‘डसॉल्ट’ कंपनी के रफायल विमान और अमरिकी बोईंग कंपनी के ‘एफ-१८’ विमान के बीच होड़ है। भारत के युद्धपोत पर तैनात करने के लिए आसानी होने के लिए बोईंग कंपनी ने अपने ‘एफ-१८ हॉर्नेट’ विमानों में नए सुधार करने की बात भी सामने आयी थी।

भारतीय नौसेना इस तरह से अपने सामर्थ्य और क्षमता बढ़ा रही है, तभी नौसेना के लिए नया निशान जारी करने का निर्णय हुआ है। २ सितंबर को ‘आईएनएस विक्रांत’ का नौसेना के बेड़े में अधिकृत समावेश होगा और साथ ही, यह नया निशान विश्व के सामने लाया जाएगा। ब्रिटीशों के कार्यकाल के चिन्ह पीछे छोड़कर नया निशान भारत की नौसैनिकी धरोहर को विश्व के सामने लाएगा, ऐसें दावे किए जा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.