पश्चिमी देश रशियन ईंधन से इन्कार नहीं कर सकेंगे – राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन

मास्को – पश्चिमी देशों ने चाहे कितने भी प्रतिबंध लगाए हों और विकल्प खड़े किए हों तब भी अगले कई वर्षों तक यह देश रशियन ईंधन से इन्कार नहीं कर पाएंगे, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी। रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से विश्व में ईंधन सप्लाई कम हुई है और कीमतें उछल रही हैं और इससे ईंधन कंपनियों को हो रहा मुनाफा भी बढ़ रहा है, इस पर पुतिन ने इस दौरान ध्यान आकर्षित किया। कुछ दिन पहले यूरोपिय महासंघ ने ऐलान किया था कि, वर्तमान वर्ष के अन्त तक रशिया से हो रहा कच्चे तेल का आयात ९० प्रतिशत कम करेंगे। इस पृष्ठभूमि पर पुतिन का इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

वैश्विक ईंधन क्षेत्र में रशिया का हिस्सा लगभग १० प्रतिशत है। कच्चे तेल और नैसर्गिक ईंधन वायु के अलावा रशिया कोयले का भी प्रमुख निर्यातक है। यूरोपिय महाद्वीप के ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन की माँग सिर्फ रशिया पूरी करती है। साथ ही चीन, भारत और जापान जैसे प्रमुख देशों को भी रशिया से बड़ी मात्रा में ईंधन की आपूर्ति होती है।

यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर पश्चिमी देशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र की घेरने की कोशिश की है। लेकिन, इससे रशिया का बड़ा नुकसान होने के बजाए अमरीका और यूरोपिय देशों का भी बड़ा नुकसान हुआ है। इन देशों में ईंधन की कीमतों के साथ महंगाई ने विक्रमी उछाल लिया है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी आम नागरिकों को हो रही है। लेकिन, इन देशों के शासक इसका ठिकरा रशिया पर फोड़ रहे हैं।

रशिया पर प्रतिबंध लगाते समय  रशियन अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ने की धमकियाँ दी गयी थीं। लेकिन, इसका रशियन अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है और ईंधन खनन भी सामान्य होने की जानकारी रशिया ने साझा की है। इसी बीच, ईंधन के माध्यम से रशिया की आय बढ़ने की बात भी स्पष्ट हुई है। अमरिकी संसद के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर स्पष्ट कबूली देने का वृत्त भी प्रसिद्ध हुआ है।

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