इटली की अर्थव्यवस्था का अंजाम ग्रीस जैसा होने का अर्थविश्लेषकों का दावा

रोम/ब्रुसेल्स, दि. २० (पीटीआय) – पूरे ३६० अरब युरो के अपलिखित कर्ज़े के बोझतले दबे हुए इटली के बँकिंग क्षेत्र के कारण इस देश की अर्थव्यवस्था का अंजाम ग्रीस जैसा होगा, ऐसा दावा युरोप के अर्थविशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने किया है।

Italy-bank-monte- इटली की अर्थव्यवस्था‘युरोझोन’ की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था के रूप में जानी जानेवाली इटली की अर्थव्यवस्था पर का यह संकट, पूरे ‘युरोझोन’ को ही पुन: आर्थिक संकट की खाई में धकेल देगा, ऐसा डर व्यक्त किया जा रहा है। चार साल पहले ग्रीस की अर्थव्यवस्था पर आये हुए संकट में से युरोप अभी तक पूरी तरह सँभला नहीं है और यह नया संकट सामने आ खड़ा है।

मंगलवार को स्लोव्हेनिया में चल रहे एक बँकिंग मुक़दमे में युरोपीय न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण फ़ैसला सुनाया। इस फ़ैसले के अनुसार, बँकों को नुकसानी से बाहर निकालते समय उसका सर्वाधिक बोझ निजी निवेशकारों को ही सहना होगा। यह फ़ैसला इटली के साथ साथ, अन्य युरोपीय देशों को भी झटका देनेवाला माना जा रहा है। क्योंकि अब इस फ़ैसले के बाद, किसी भी देश की सरकार, डूबती बँकों को बचाने के लिए कुल मिलाकर करदाताओं का पैसा इस्तेमाल नहीं कर सकेगी।

इस निर्णय के कारण इटली के बँकिंग क्षेत्र, देश की अर्थव्यवस्था तथा सरकार के सामने खड़ी समस्या ने अधिक ही गंभीर रूप धारण किया है। क्योंकि अब युरोपीय न्यायालय के इस फ़ैसले के कारण इटली सरकार, बँकिंग क्षेत्र का संकट दूर करने के लिए खुले तौर पर ‘बेलआऊट’ नहीं दे सकती। ग्रीस को दिये गए २०० अरब युरो से भी अधिक ‘बेलआऊट’ के कारण, ‘युरोपीय सेंट्रल बँक’ तथा आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आयएमएफ़) इटली को देनी पड़नेवाली अर्थसहायता का कितना भार उठायेंगे, इसपर प्रश्नचिन्ह खड़ा हुआ है।

Italy-PM_getty-(bbc)इटली सरकार ने, बँकिंग क्षेत्र के लिए जमा की हुई आपत्कालीन निधि का इस्तेमाल करने के लिए कदम उठाने शुरू किये होकर, उसके लिए अमरिकी वित्तसंस्था को नियुक्त किया है। लेकिन इटली का यह फ़ैसला, युरोपीय महासंघ के नियमों से विपरित होने के कारण, उसपर तीव्र प्रतिक्रियाएँ उठने की संभावना है। इसी दौरान, आंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने इटली की अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में धक्कादायी ब्योरा प्रकाशित किया है।

उसके अनुसार, इटली की अर्थव्यवस्था को सन २००८ से पूर्व की अच्छी स्थिति फिर से प्राप्त होने के लिए सन २०२०-३० के दशक तक इन्तज़ार करना पड़ेगा। इससे स्पष्ट संकेत प्राप्त हुए हैं कि इटली की अर्थव्यवस्था कम से कम एक दशक भर के लिए तो तेज़ी से विकास नहीं कर सकती। इस पार्श्वभूमि पर, इटली की अर्थव्यवस्था में निवेश करने के लिए बड़े निवेशकार मिलना और भी मुश्किल हो सकता है। इसका बुरा असर इटली की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

इटली के बँकिंग क्षेत्र पर रहनेवाला कर्ज़े का बोझ वार्षिक ‘जीडीपी’ के तक़रीबन २० प्रतिशत से भी अधिक है। इसके अलावा इटली की अर्थव्यवस्था पर, ‘जीडीपी’ के १३३ प्रतिशत से भी अधिक कर्ज़ा है। इटली की बेरोज़गारी का प्रमाण भी ११ प्रतिशत तक पहुँच गया  है। इन आँकड़ों पर ग़ौर किया जाये, तो इटली भी ग्रीस के ही नक़्शेक़दम पर चल रहा है, यह स्पष्ट रूप से दिखायी देता है।

इटली के प्रधानमंत्री मॅटिओ रेन्झी ने बँकिंग क्षेत्र के इस संकट के लिए, देश की मध्यवर्ति बँक के पूर्व प्रमुख मारिओ द्रागी को ज़िम्मेदार ठहराया है। साथ ही, द्रागी फिलहाल ‘युरोपियन सेंट्रल बँक’ की बागड़ोर सँभाल रहे होने के कारण, वे इटली के बँकिंग क्षेत्र को इस संकट से बाहर निकालने के लिए सहायता करेंगे, ऐसी उम्मीद भी उन्होंने व्यक्त की है। लेकिन ‘ब्रेक्झिट’ की पार्श्वभूमि और ग्रीस के संकट के बाद बदले हुए नियम इनके कारण द्रागी के हाथ बँधे हुए हैं, यह स्पष्ट हो रहा है। ऐसे हालातों में, इटली के बँकिंग क्षेत्र का संकट शायद ‘ब्रेक्झिट’ से भी बड़ा झटका देगा, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।

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