निर्वासितों के प्रवाह और आतंकवादी हमलों से चैन्सेलर मर्केल के प्रति जर्मन लोगों में बढ़ती नाराज़गी

बर्लिन, दि. ५ (वृत्तसंस्था) – जर्मनी में पिछले महीने हुए आतंकवादी हमलों के बाद भी जर्मन चैन्सेलर अँजेला मर्केल ने, निर्वासितों को अपनाने की नीति कायम रखने का फ़ैसला किया था|

merkelइस फ़ैसले की वजह से, जर्मनी में मर्केल के प्रति नाराज़गी बढ़ती जा रही है| जर्मनी में हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में, क़रीब ६५ प्रतिशत नागरिकों द्वारा चैन्सेलर मर्केल की नीतियों को विरोध दर्शाया गया| साथ ही, चैन्सेलर मर्केल का जनाधार क़रीब १२ प्रतिशत से घटने की बात भी सामने आयी है|

जर्मनी में प्रकाशित हुए ‘डॉईशलॅण्ड ट्रेंड सर्व्हे’ के अनुसार, देश में जुलाई महीनें में हुए हमलों के बाद मर्केल की नेतृत्व की क्षमता पर आशंका जतायी जा रही है| हमलों के बाद भी मर्केल ने, निर्वासितों का स्वागत करने की नीति का समर्थन किया था| इसपर जर्मनी में काफ़ी चरम प्रतिक्रिया दी गयी थी| जर्मनी की राजधानी बर्लिन तथा ड्रेस्डेन शहर में ‘मर्केल मस्ट गो’ की माँग के साथ तीव्र प्रदर्शन भी हुए थे|

चैन्सेलर मर्केल के खिलाफ़ जताये जा रहे इस रोष का चित्र ‘डॉईशलॅण्ड ट्रेंड सर्व्हे’ से सामने आया है| इस सर्वेक्षण के अनुसार, जर्मनी के ६५ प्रतिशत नागरिक मर्केल की नीतियों पर नाराज़ हैं| यह नाराज़गी निर्वासितों के मसले को लेकर ही है| निर्वासितों के प्रति मर्केल द्वारा अपनायी गयी नीति ने उनकी नेतृत्व की क्षमता पर सवाल खड़े किये हैं|

चैन्सेलर की हैसियत से मर्केल के जनाधार में क़रीब १२ प्रतिशत की गिरावट आयी है| एक पूर्व सर्वेक्षण में, ५९ प्रतिशत जनता ने मर्केल के नेतृत्व को पसंद किया था| मगर नये सर्वेक्षण में, सिर्फ़ ४७ प्रतिशत नागरिकों ने मर्केल को नेता के रूप में पसंद किया है| सन २०१३ में, मर्केल ने दूसरी बार जर्मनी के चैन्सेलर पद स्वीकार किया था| उनके द्वारा इस ज़िम्मेदारी का स्वीकार करने के बाद हुई यह सबसे बड़ी गिरावट है|

germany-refugeesजर्मनी के ५० प्रतिशत से अधिक नागरिकों को मर्केल का नेतृत्व मान्य न होना, यह उनकी बड़ी राजनीतिक हार मानी जा रही है| सन २०१७ में मर्केल ‘चैन्सेलर’ पद के चुनाव के लिए खड़ी होना संभव नहीं, यह इससे स्पष्ट हो रहा है|

जर्मनी के राजनीतिक नेताओं द्वारा भी, मर्केल की तीख़ी आलोचना की गयी है| उनके सहयोगियों ने भी, निर्वासित नीति के मामले पर उन्हें फटकार लगाते हुए, उसे मानने से इन्कार किया है| इससे यह साफ ज़ाहिर हो रहा है कि मर्केल को आनेवाले समय में राजनीतिक मोर्चे पर बडी चुनौतियों का मुक़ाबला करना पड़ सकता है|

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