अमरिका जासूसी के लिए पौधों का इस्तेमाल करेगा

वॉशिंग्टन: जासूसी के क्षेत्र में ‘फील्ड एजेंट’ अर्थात युद्ध क्षेत्र के खबरियों से भी हरा पौधा अधिक अच्छा प्रदर्शन कर सकता है, ऐसा दावा अमरिकी लष्करी अधिकारी ने किया है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी रक्षा मुख्यालय ‘पेंटागन’ से संबंधित ‘डिफेन्स एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी’ (दार्पा) ने ‘जासूसी वनस्पति’ पर काम शुरू किया है। इस ‘जासूसी वनस्पति’ की वजह से जीवितहानि कम होगी, साथ ही गोपनीय जानकारी दुश्मनों के हाथ लगने का खतरा भी नहीं होगा, ऐसा दावा अमरिकी लष्करी विश्लेषक कर रहे हैं।

अमरिका की लष्कर के लिए नई तकनीक विकसित करने वाले ‘दार्पा’ ने महीने की शुरुआत में जासूसी करने वाले पौधों के बारे में जानकारी दी थी। वनस्पतियों के ‘सेन्सर्स’ में अनुवांशिक परिवर्तन करके, इन वनस्पतियों का इस्तेमाल युद्ध क्षेत्र में जासूसी के लिए करने की तकनीक विकसित करने की बात ‘दार्पा’ ने स्पष्ट की थी। युद्ध क्षेत्र अथवा संबंधित ठिकानों पर खतरे की सूचना देने के लिए इन जासूसी वनस्पतियों का इस्तेमाल हो सकता है, यह जानकारी ‘दार्पा’ ने मीडिया को दी है।

वनस्पति अपनी प्राकृतिक विकास की अवधि में सूरज की रौशनी और अन्य रासायनिक घटकों को प्रतिक्रिया देते हैं। उनकी इस क्षमता का इस्तेमाल करने की तैयारी ‘दार्पा’ के ‘बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजीस ऑफिस’ (बीटीओ) ने की है। इसके लिए ‘बीटीओ’ ने ‘एडवांस्ड प्लांट टेक्नोलॉजीस’ (एटीपी) यह योजना बनाई है।

जासूसी

इस योजना के अनुसार पौधों के ‘डीएनए’ को बदलने के संकेत ‘दार्पा’ संलग्न संगठनों ने दिए हैं। इसके पहले वनस्पति के ‘डीएनए’ को बदलने का प्रयोग किया गया था। इसलिए अब सिर्फ जासूसी के लिए आवश्यक चीजों का इस्तेमाल करके वनस्पति के ‘डीएनए’ बदलने पड़ेंगे, यह जानकारी ‘दार्पा’ के अधिकारीयों ने दी है।

इस ‘डीएनए’ बदलाव से पौधा अपने आसपास के खतरे का एहसास करा सकता है, ऐसा दावा ‘दार्पा’ कर रहा है। यह प्रयोग सफल हुआ तो वनस्पति अपायकारक, रासायनिक, किर्नोत्सरी साथ ही विद्युतचुम्बकीय सिग्नल भी पकड़ सकेंगे, ऐसा दार्पा का कहना है।

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इस प्रकार की जासूसी की वजह से जीवितहानि टाली जा सकती है। इस वजह से अमरिकी सैनिक अथवा फील्ड एजेंट्स की जान खतरे में डालने की आवश्यकता नहीं रहेगी, ऐसा ‘दार्पा’ के अधिकारीयों ने कहा है। साथ ही खतरनाक ठिकानों पर भी जासूसी के लिए ऐसे पौधों का इस्तेमाल हो सकता है, ऐसा दावा दार्पा ने किया है।

इन वनस्पतियों का इस्तेमाल कैसे होगा, इसका उदहारण भी ‘दार्पा’ ने दिया है। युद्ध क्षेत्र से गुजरते समय सैनिकों ने अपनी जेब से संबंधित वनस्पतियों के बीज जमीन पर फेंकने के बाद अगले कुछ ही मिनटों में इन बीजों से जड़ें निकल आएंगी और उनका विकास होगा। यह पौधें उस जगह पर सुरंग बोई गयी होगी, तो अपना रंग बदलेंगे और यह सैनिकों के लिए सावधानी का इशारा होगा। इस वजह से सैनिक खतरनाक रस्ता बदल सकेंगे, ऐसा दार्पा का कहना है।

लेकिन इस तरह से जासूसी करने वाले पौधों की उम्र ज्यादा नहीं हो सकती, ऐसा खुलासा भी दार्पा ने किया है। दौरान, १२ दिसंबर के दिन व्हर्जिनिया में ‘दार्पा’ से संबंधित अधिकारीयों की बैठक होने वाली है। इस बैठक में कौनसी वनस्पति पर यह प्रयोग किया जा सकता है, इसका निर्णय होने वाला है, यह जानकारी अधिकारीयों ने दी है।

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