२०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश बना

नई दिल्ली – २०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में अमरीका भारत का सबसे बड़ा व्यापारी देश रहा। इस वर्ष के दौरान दोनों देशों का व्यापार बढ़कर कुल १२८.५५ डॉलर्स तक पहुंचा। पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष यह व्यापार ७.६५ प्रतिशत बढ़ा। ऐसे में मौजूदा वित्तीय वर्ष में चीन भारत का दूसरे स्थान का व्यापारी देश है। चीन के व्यापार में भारत का घाटा कुल ८३ अरब डॉलर्स से अधिक हुआ है। लेकिन, अमरीका के साथ भारत का व्यापार आने वाले दिनों में ऐसा ही बढ़ता रहेगा, यह विश्वास आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। मौजूदा दौर में भारत चीन से सबसे अधिक पैमाने पर आयात कर रहा है, फिर भी दोनों देशों के संबंध और भारत की नीति पर गौर करें तो चीन के व्यापार के लिए भविष्य न होने की बात दिख रही है। 

बड़ा व्यापारीअमरीका के साथ भारत का व्यापार २०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में कुल १२८.५५ अरब डॉलर्स तक पहुंचा और इसमें भारत का निर्यात कुल ७८.३१ अरब डॉलर्स रहा। पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में इसमें २.८१ प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसी वित्तीय वर्ष में अमरीका ने भारत को कुल ५०.२४ अरब डॉलर्स का निर्यात किया था। पहले के वर्ष की तुलना में अमरीका ने भारत को कुल १६ प्रतिशत अधिक निर्यात करने की बात दिख रही है।

आने वाले दौर में दोनों देशों का व्यापार काफी बढ़ेगा, यह विश्वास आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। ‘फेडरेशन्स ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन’ (एफआईईओ) के अध्यक्ष ए.सख्तीवेल ने भारत अमरीका को फार्मास्युटिकल्स, इंजिनियरिंग, हीरे और जवाहरातों का निर्यात कर रहा है, यह जानकारी साझा करके यह निर्यात बढ़ने की जानकारी साझा की गई। आने वाले महीनों में अमरीका को किए जानेवाले निर्यात का रुख ऐसे ही बढ़ता रहेगा, यह विश्वास सख्तीवेल ने व्यक्त किया।

अमरीका भारत से सबसे अधिक व्यापार करनेवाला देश रहा और ऐसे में चीन यह भारत से अधिक व्यापार करने वाला दूसरे स्थान का देश है। भारत और चीन का २०२२-२३ वित्तीय वर्ष में व्यापार ११३.८३ अरब डॉलर्स तक पहुंचा। पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में इसमें डेढ़ प्रतिशत कमी आई। साथ ही भारत को इस व्यापार में ८३.२ अरब डॉलर्स घाटा हुआ। इस दौरान भारत ने चीन को मात्र १५.३२ अरब डॉलर्स का निर्यात किया। पहले के वित्तीय वर्ष की तुलना में इसमें २८ प्रतिशत कमी आई। साथ ही चीन द्वारा भारत को किए गए निर्यात में ४.१६ प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ ९८.५८ अरब डॉलर्स तक जा पहुंचा। 

बड़ा व्यापारीकच्चे सामान एवं अन्य कई कारणों से भारत को अब भी चीन पर निर्भर रहना पड़ता है। इससे भारत के उत्पादन को गति मिलने के बाद भारतीय उद्योग क्षेत्र को चीन से बडे पैमाने पर कच्चे सामान का आयात करना पडा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इसी कारण चीन से भारत को निर्यात बढा है। लेकिन, सरकार ने अपनाई आत्मनिर्भरता की नीति के कारण आनेवाले समय में भारत को कच्चे सामान एवं अन्य कारणों के लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना पडेगा। इसका असर चीन के द्विपक्षीय व्यापार पर पड सकता है। अपना उत्पादन क्षेत्र विकसित करके चीन पर निर्भरता घटाने के लिए भारत की कोशिशों का संज्ञान दुनियाभर में लिया गया है।

इसी बीच चीन को पीछे छोड़कर अमरीका भारत का पहले स्थान का व्यापारी भागीदार देश बना है और यह बात भविष्य के संकेत देती है। भारत और अमरीका का व्यापार काफी हद तक बढ़ सकता है। इसके लिए दोनों देशों को अधिक कोशिश करनी पडेगी, ऐसा दावा दोनों देशों के आर्थिक विशेषज्ञ कर रहे हैं। यह द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन ५०० अरब डॉलर्स तक बढ़ाने का ध्येय भारत और अमरीका के नेतृत्व ने निर्धारित किया था। लेकिन, अब भी द्विपक्षीय व्यापार के विवाद का हल निकालने में भारत और अमरीका सफल नहीं हुए हैं। इस पर अभी बातचीत जारी है और यह बाधा दूर करने में दोनों देश कामयाब हो जाएं तो द्विपक्षीय व्यापार की स्थिति-गति बदल सकती है, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं।

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