भारत रशिया से ईंधन की खरीद जारी रखेगा – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन – अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ईंधन की कीमत बढ रही है और इसी बीच ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक प्लस’ संगठन ने ईंधन का उत्पादन घटाने का निर्णय लिया है। कुछ दिन पहले ओपेक प्लस ने इसका ऐलान किया था। इसके बाद ईंधन की कीमत अधिक बढ़ने के आसार स्पष्ट हुए थे। ऐसी स्थिति में भारत अपनी जनता के लिए अधिक सस्ते दाम के ईंधन विकल्पों की तलाश करेगा, यह बयान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने किया है। साथ ही ‘अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशियन ईंधन पर लगाए ‘प्राईस कैप’ का विचार भारत नहीं करेगा। वरना अपनी १.४ अरब जनता के लिए हमें अधिक महंगा ईंधन खरीदना पडेगा और यह हमारे लिए ठीक नहीं होगा’, ऐसा भारत के वित्त मंत्री ने कहा है।

फिलहाल अमरीका के दौरे पर गई हुईं वित्त मंत्री सीतारामन ने एक साक्षात्कार के दौरान ईंधन संबंधित भारत की भूमिका स्पष्ट की। यूक्रेन युद्ध और बाद में ओपेक प्लस का ईंधन का उत्पादन घटाने का निर्णय भारत की चिंता बडा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया से ६० डॉलर्स प्रति बैरल से अधिक कीमत पर ईंधन खरीदने पर रोक लगाई थी। इस प्राईस कैप का पालन करने का भारत ने इन्कार किया। अन्य देशों ने भी इससे अधिक कीमत पर रशियन ईंधन की खरीद जारी रखी थी।

प्राईस कैप की कीमत पर रशिया भारत को ईंधन मुहैया नहीं करेगी। इससे भारत को अधिक महंगे दाम पर ईंधन खरीदना पडेगा। भारत की १.४ करोड़ जनता के लिए यह ठीक नहीं होगा, इसकी वजह से भारत को रशिया से रियायती दाम पर मिल रहा ईंधन खरीदना ही पडेगा, इस पर सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया। इसके अलावा ईंदन के इस मसले को मानवीय नज़रिये से देखने की ज़रूरत है, ऐसी दो टुक सीतारामन ने पश्चिमी देशों को लगाई। यूक्रेन युद्ध का असर ग्लोबल साउथ का हिस्सा होने वाले गरीब देशों पर थोंपा नहीं जा सकता, ऐसा उन्होंने कहा।

भारत को अपने ८० प्रतिशत ईंधन की ज़रूरत आयातित तेल से करनी पडती है। इसकी वजह से महंगा ईंधन खरीदा गया तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पडेगा। इससे पूरा गणित बिगड़ सकता है, यह सोचकर भारत को ईंधन से संबंधित अपने निर्णय लेने पडते हैं, ऐसा वित्त मंत्री ने इस साक्षात्कार के दौरान बिल्कुल स्पष्ट किया।

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