भारत-अमरीका संबंधों का प्रभाव विश्वपर होता है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

वॉशिंग्टन – भारत और अमरीका के द्वीपक्षीय सहयोग केवल हमारे देशों के हितों तक ही सीमित नहीं हैं। इन लोकतांत्रिक देशों के संबंधों का सकारात्मक प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ता है, ऐसा विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कहा है। अपने अमरीका दौरे के अन्त में जयशंकर ने अमरीका और भारत के संबंधों की अहमियत रेखांकित की। खास तौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और शांति के लिए यह सहयोग काफी उपकारक हैं, इसका अहसास जयशंकर ने कराया। साथ ही संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायि सदस्यता भारत के पास सौंपने के लिए सुधार करने की प्रक्रिया को गति देने की उम्मद जयशंकर ने व्यक्त की।

संबंधों का प्रभावअपने चार दिनों के अमरीका दौरे में जयशंकर ने अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन और रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन से मुलाकात की। साथ ही अमरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों के साथ अमरिकी उद्योगक्षेत्र के नामांकित हस्तियों से भी उन्होंने चर्चा की। इसके बाद भारत और अमरीका के सहयोग की अहमियत रेखांकित करके यह द्विपक्षीय सहयोग केवल एक-दूसरे के हितों की रक्षा करने तक ही सीमित ना होने का बयान करके जयशंकर ने इसका काफी बड़ा सकारात्मक असर विश्व पर होता हैं, यह स्पष्ट किया। मौजूदा दौर में विश्व के देश एक-दूसरे से मज़बूती से जुड़े हुए हैं और काफी हद तक एक-दूसरे पर निर्भर हैं। ऐसे विश्व में कोई भी देश अकेला समस्या का हल नहीं निकाल सकता, बल्कि इसके लिए देशों के गठबंधन प्रभावीरूप से कार्य कर सकते हैं, ऐसा जयशंकर ने कहा।

ऐसी स्थिति में भारत और अमरीका जैसे लोकतांत्रिक देशों के सहयोग की वजह से कई समस्याओं का हल निकालने की राह खुल सकती है, इसका अहसास जयशंकर ने कराया। साथ ही मौजूदा तनाव के दौर में भारत सेतु बनकर काम करके वैश्विक अर्थव्यवस्था के खतरे घटा सकता है। तथा राजनीतिक नज़रिये से हो रहा विश्व का धृवीकरण भी रोक सकता है, इस बात पर विदेशमंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। लेकिन, इसके लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैध स्थान पाना आवश्यक है। इसके बाद भारत अपनी यह भूमिका अधिक प्रभावी रूप से निभाएगा, ऐसे संकेत भी जयशंकर ने अपने इस दौरे में दिए। संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा की पृष्ठभूमि पर हमने सौ से अधिक बैठकें कीं क्योंकि, यह अन्य देशों के प्रतिनिधियों की माँग थी और भारत बड़े देशों पर प्रभाव डालकर अपनी समस्या दूर कर सकता हैं, इसका अहसास इन देशों को हुआ है, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान भी जयशंकर ने किया।

भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त हो, इसके लिए सुधारना करनी पडेगी। यह प्रक्रिया आसान नहीं हैं। लेकिन, इसका यह अर्थ नहीं है कि, यह प्रक्रिया कभी शुरू ही नहीं करनी है, ऐसा कहकर जयशंकर ने यह प्रक्रिया शुरू करने की आवश्यकता स्पष्ट शब्दों में बयान की।

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