अमरीका और यूरोपिय बैंक दिवालिया होने से उभरे संकट का मुकाबला करने की क्षमता भारतीय बैंकिंग क्षेत्र रखता हैं – रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास

वॉशिंग्टन – अमरीका की सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) और स्वित्झर्लैण्ड की स्यूस क्रेडिट बैंक दिवालिया होने के बाद पुरी दुनिया में चिंता का माहौल हैं। अगले समय में अमरीका और यूरोप के और कुछ बैंक दिवालिया होंगे, ऐसी चेतावनियां दी जा रही हैं। इस वजह से वर्ष २००८ मे उभरे आर्थिक संकट से भी भीषण संकट विश्व पर टूटेगा, ऐसा इशारा कुछ आर्थिक विशेषज्ञों ने दिया है। दुनियाभर के बैंकिंग क्षेत्र इस तरह से संकट से घिरे होते हुए भारतीय बैंकों के लिए यह खतरा ना होने की बात रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्पष्ट की।

बैंकिंग क्षेत्रभारत की बैंकिंग व्यवस्था लचिली, स्थिर और सशक्त हैं, यह विश्वास रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने व्यक्त किया। अमरीका और यूरोपिय बैंक दिवालियां हुई तो भी इसका भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर असर नहीं होगा। क्यों कि, भारत की आर्थिक और बैंकिंग व्यवस्था इन संकटों का मुकाबला करने के लिए पुरी तरह से सक्षम हैं, ऐसा गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा। बैकिंग क्षेत्र के मानदंड़ों पर गौर करे तो भारतीय बैंकों में पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हैं। साथ ही हर एक बैंक और कुल बैंकिंग व्यवस्था में पर्याप्त मात्रा में नगद उपलब्ध हैं और आर्थिक भार बर्दाश्त करने की ज़रूरी क्षमता भारतीय बैंक रखते हैं, यह दावा शक्तिकांता दास ने किया। इस वजह से भारतीय बैंकिंग व्यवस्था पुरी तरह से सशक्त होने का बयान करके अमरीका और यूरोपिय बैंकों की गतिविधियों का असर इसपर नहीं होगा, ऐसा रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा।

पिछले कुछ सालों में रिज़र्व बैंक ने अपनी व्यवस्था अधिक मज़बूत और पुख्ता करने के लिए उचित प्रावधान किए हैं। इनमें बैंकिंग व्यवस्था के साथ ही अन्य वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों की निगरानी एवं नियंत्रण करने के मुद्दे शामिल हैं। आर्थिक संकट सामने आने तक ऐसे प्रावधान करने का हमने अवसर बनने नहीं दिया। रिज़र्व बैंक ने पहले से ही आर्थिक संकट खड़ा ना हो सके, इसके लिए पर्यात्प सावधनी बरती हैं, ऐसा शक्तिकांता दास ने कहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन के साथ अमरीका के दौरे पर पहुंचे शक्तिकांता दास ने भारत के बैंकिंग क्षेत्र पर किए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

अमरीका और यूरोपिय देशों के बैंक आर्थिक संकट में होते हुए उनके दिवालिया होने से विश्व को आर्थिक संकट का मुकाबला करना होगा, ऐसी चेतावनी सिर्फ आर्थिक विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष दी दे रहे हैं। ऐसे में भारतीय बैंक इस संकट का मुकाबला करने की क्षमता रखते हैं। यह रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने व्यक्त किया विश्वास काफी अहमियत रखता है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय अर्थ व्यवस्था की विश्वासार्हता अधिक बढ़ेगी।

कारोबार में भारतीय रुपये का इस्तेमाल करने के लिए अब विकसित देश भी उत्सुकता दिखा रहे हैं। ऐसे में आर्थिक अनिश्चितता के दौर में भी भारत विश्वासार्ह अर्थव्यवस्था के तौर पर उभर रही हैं और भारतीय बैंक विकसित देशों से भी अधिक मज़बूती से आर्थिक संकट का मुकाबला कर सकते हैं, ऐसें संकेत प्राप्त होने लगे हैं। इस वजह से भारत में विदेशी निवेश काफी बढ़ सकता हैं। साथ ही भारत के साथ आर्थिक सहयोग विकसित करने के लिए लगभग सभी देशों की तीव्र स्पर्धा होती आगे दिखाई दे सकती हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन एवं केंद्रीय व्यापार मंत्री पियुष गोयल लगातार इसका अहसास करा रहे हैं।

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