भारत-रशिया व्यापार में ४०० प्रतिशत वृद्धि

नई दिल्ली/मास्को – भारत और रशिया के द्विपक्षीय व्यापार में साल २०२२-२३ में कुल ४०० प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने यह जानकारी प्रदान की। इस द्विपक्षीय व्यापार में भारत के आयात का हिस्सा काफी बड़ा है और भारत ने रशिया से ३७ अरब डॉलर्स से अधिक सामान का आयात करने की जानकारी सामने आयी है। इस बढ़ते व्यापार की पृष्ठभूमि पर भारत ने घोषित किए ‘मर्चंडाईज़ इम्पोर्ट सोर्स नेशन’ की सूचि में रशिया ने छलांग लगाते हुए चौथा स्थान हासिल किया है।

भारत-रशिया व्यापारयूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया के ईंधन निर्यात को लक्ष्य किया था। इसे नाकाम करने के लिए रशिया ने भारत को रियायत की कीमत पर ईंधन तेल की आपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया। इसका लाभ उठाते हुए भारतीय ईंधन कंपनियों ने रशिया से भारी मात्रा में ईंधन खरीदना शुरू किया। भारत को रशिया से ईंधन खरीदने से रोकने के लिए अमरीका और यूरोपिय देशों ने दबाव डाला था। लेकिन, भारत ने इस दबाव को नजरअंदाज किया था। ईंधन की कीमतें उछाल पर होने की स्थिति में भारत अपनी जनता के लिए कम कीमत पर ईंधन खरीदता रहेगा, ऐसा भारत ने अमरीका और यूरोप से स्पष्ट कहा था।

भारत ने रशिया से अपनी कुल मांग के २८ प्रतिशत ईंधन आयात किया है। जनवरी में रशिया से भारत ने आयात किए कच्चे तेल ती मात्रा प्रतिदिन १४ लाख बैरल्स तक पहुँची है। इसकी वजह से अमरीका ने रशिया के ईंधन निर्यात पर लगाए प्रतिबंध नाकाम होने की आलोचना हो रही है। लेकिन, भारत ने ईंधन खरीदते समय अपनी जनता के लिए किफायती दर में ईंधन खरीद को हम प्राथमिकता देंगे, यह स्पष्ट किया था। यह ईंधन रशिया से प्राप्त करना है या अन्य किसी देश से, यह निर्णय भारत की सरकार नहीं बल्कि राष्ट्रीय ईंधन कंपनियां लेती हैं, यह भारत ने पहले ही स्पष्ट किया था। ऐसे में रशिया से ईंधन खरीदने वाले भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाएंगे, ऐसी गवाही अमरीका को देनी पड़ी थी। इसकी वजह से आगामी समय में भारत का रशिया के साथ जारी ईंधन कारोबार एवं अन्य क्षेत्र का व्यापार भी अधिकाधिक बढ़ने की कड़ी संभावना है। इस द्विपक्षीय व्यापार में भारत का आयात का हिस्सा अधिक है, फिर भी आनेवाले समय में रशिया को भारी मात्रा में निर्यात करने की तैयारी भी भारतीय उद्योग क्षेत्र ने की है।

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