अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से भारत-रशिया आर्थिक कारोबार ‘दबाव’ मे – रशियन राजदूत डेनिस अलिपोव

नई दिल्ली –  अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से भारत-रशिया संबंधों पर कुछ मात्रा में दबाव बना है, ऐसी कबुली भारत में नियुक्त रशियन राजदूत डेनिस अलिपोव ने दी। लेकिन, यह दबाव आर्थिक कारोबार के स्तर तक ही सीमित है। अमरीका के प्रतिबंध नुकसान ना पहुँचा सके इसके लिए भारतीय बैंकस्‌‍ रशिया के साथ रुपया-रुबल का इस्तेमाल करके कारोबार करते हुए काफी सावधानी बरत रही है, यह खुलासा भी रशियन राजदूत ने किया। साथ ही भारत को प्रौद्योगिकी सौंपने की एवं भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी विकसित करने की तैयारी दिखा रहे अमरीका की विश्वासार्हता पर रशियन राजदूत ने सवाल खड़ा किया है।

भारत-रशिया‘नेक्स्ट स्टेप इन इंडिया-रशिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप ः ओल्ड फ्रेन्डस्‌‍ न्यू होराइजन’ नामक परिसंवाद में रशिया के राजदूत बोल रहे थे। सोमवार को आयोजित इस परिसंवाद में रशियन राजदूत ने कुछ मुद्दे स्पष्ट रूप से रखे। यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की वजह से भारत और रशिया के संबंधों में तनाव है। लेकिन, यह तनाव आर्थिक कारोबार तक ही सीमित है। भारत और रशिया के बीच रुपया-रुबल से कारोबार करने की तैयारी पूरी हुई है। भारतीय और रशियन बैंकों ने ‘वोस्त्रो अकाउंटस्‌‍’ शुरू किए हैं। लेकिन, अमरीका ने लगाए प्रतिबंध नुकसान ना पहुँचा सके, इसके लिए भारतीय बैकस्‌‍ काफी सावधानी से भूमिका अपना रही है। इसी वजह से इस कारोबार में देरी हो रही है, ऐसा राजदूत अलिपोव ने कहा।

लेकिन, अमरीका के प्रतिबंध से दूर रही रशियन बैंकों के माध्यम से डॉलर और यूरो का इस्तेमाल करके भी दोनों देशों का कारोबार पूरा हो सकता है, यह जानकारी रशियन राजदूत ने यहां साझा की। साथ ही अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए अब तक इस्तेमाल हो रही ‘स्वीफ्ट’ का इस्तेमाल करना आसान हो सकता है। इससे संबंधित प्रस्ताव दोनों देश एक-दूसरे को दे रहे है, ऐसी जानकारी राजदूत अलिपोव ने प्रदान की। इसी बीच, एक अन्य कार्यक्रम में बोलते हुए रशियन राजदूत ने भारत को अमरीका से सावधानी बरतने की सलाह दी। भारत को अतिप्रगत तकनीक प्रदान करने के लिए अमरीका उत्सुक हैं और भारत के साथ नवीनतम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संयुक्त काम करने की तैयारी भी अमरीका ने दर्शायी है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल की हाल ही में हुई अमरीका यात्रा में अमरिकी नेताओं ने ऐसे दावे किए थे। इसी बीच भारत और अमरीका जैसे जनतांत्रिक देशों के बीच रणनीतिक सहयोग विकसित करने के लिए हमारा देश उत्सुक है, ऐसा बयान अमरीका लगातार कर रही है। लेकिन, रशियन राजदूत ने अमरीका के इन्हीं बयानों पर आशंका व्यक्त की है।

भारत को प्रौद्योगिकी तकनीक सौंपने की गवाही दे रही और रणनीतिक ताल्लुकात विकसित करने का आश्वासन दे रही अमरीका की विश्वासार्हता पर ही राजदूत अलिपोव ने सवाल खड़ा किया। रशिया राजनीति और प्रौद्योगिकी सौपने के मुद्दे को अलग अलग रखती है, यह कहकर राजदूत अलिपोव ने भारत और रशिया के सैन्य स्तर के सहयोग के दाखिले भी दिए। रशिया ने भारत को ‘टी-९०’ टैंक का उत्पादन करने का अनुज्ञापत्र प्रदान किया है, लड़ाकू ‘सुखोई-३० एमकेआई’ विमानों का निर्माण और ‘एके-२०३’ राइफलों का निर्माण करने की तकनीक भी रशिया ने भारत को मुहैया की थी। साथ ही रशिया से भारत को ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा प्रदान हो रही हैं और इसकी तीसरी बैटरी भारत को जल्द ही प्राप्त होगी, ऐसा अलिपोव ने कहा है। अमरीका से भारत को इस तरह की सहायता प्राप्त होना मुमकिन नहीं, इसका अहसास भी अलिपोव इसके ज़रिये कराते दिख रहे है।

साथ ही अमरीका की दरार बनाकर राज करने की कूटनीति से भारत सावधान रहे। भारत और चीन के मतभेदों का इस्तेमाल करके अमरीका इससे लाभ प्राप्त करने के इरादे रखती है, ऐसी चेतावनी रशियन राजदूत ने दी है।

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