हिंसाचार और अंतर्गत संघर्ष की वजह से दुनिया में चार करोड से ज्यादा विस्थापित – ‘नॉर्वेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ का अहवाल

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरओस्लो – दुनिया के अधिकांश देशों में शुरू संघर्ष और हिंसा की वजह से करीबन चार करोड के से अधिक लोगों पर विस्थापित होने की नौबत आई है| इनमें से वर्ष २०१८ में विस्थापित हुए लोगों की संख्या १ करोड से अधिक है और यह संख्या अबतक के इतिहास में सबसे अधिक होने का दावा ‘नॉर्वेजियन रिफ्युजी कौन्सिल’ के अहवाल में किया गया है| पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपने अहवाल में युद्ध और संघर्ष की वजह से करीबन सात करोड लोग विस्थापित होने की जानकारी दी थी|

युद्ध, संघर्ष और हिंसा का सबसे अधिक झटका अफ्रीकी देशों को लगा दिखाई दिया है| हिंसा की वजह से देश में ही दुसरी जगह पर विस्थापित होने की नौबत का सामना कर रहे लोगों में इथिओपिया, डीआर कॉंगो, सोमालिया और नाईजेरिया की जनता का समावेश है| इथिओपिया में करीबन ३० लाख नागरिकों को अपना घर और जगह छोडनी पडी है और डीआर कॉंगो में १८ लाख लोगों को बेघर होना पडा है|

पिछले पांच वर्ष से अधिक समय युद्ध में झुलस रहे सीरिया में भी स्थिति पूरी तरह से सामान्य हुई नही है, यह जिक्र वर्णित अहवाल में किया गया है| वर्ष २०१८ में सीरिया के संघर्ष और हिंसा के कारण १५ लाख से अधिक नागरिक बेघर हुए थे| बेघर हुए लोगों में अफ्रीकी देशों के अलवा एशिया के अफगानिस्तान के नागरिकों का भी समावेश है और पिछले वर्ष करीबन ३.७५ लाख अफगान नागरिक बेघर हुए है|

संघर्ष और हिंसा के साथ ही नैसर्गिक आपत्ति की वजह से भी कई देशों में लाखों लोगों को विस्थापित होना पडा है| कुछ देशों में नागरिकों को एक ही समय पर संघर्ष, हिंसा और आपत्ति का सामना करना पडा है और इनमें अफगानिस्तान और नाईजेरिया जैसे देशों का समावेश है| अफगानिस्तान में भीषण सुखे का, वही नाईजेरिया में भीषण बाढ का झटका लगा था| इन दोनों देशों में नैसर्गिक आपत्ति की वजह से करीबन ११ लाख लोग बेघर हुए थे|

संघर्ष और हिंसा की वजह से देश में ही दुसरी जगह पर पनाह लेने का सामना करनेवाले लोगों में बडे शहरों में रहनेवालों का भी समावेश है| सीरिया के दारा, येमन के होदेदा और लीबिया के त्रिपोली जैसे शहरों के लोगों को भी बडी मात्रा में युद्ध से झटका लगा है, इस ओर वर्णित अहवाल में ध्यान आकर्षित किया गया है| साथ ही देश में ही विस्थापित होनेवालें लोगों की संख्या विक्रमी स्तर तक बढने के लिए कमजोर शासन और विफल रही अंतरराष्ट्रीय कोशिश प्रमुख कारण साबित होने का एहसास भी इस अहवाल में कराया गया है|

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