साल के अन्त तक येमन में डेढ़ लाख से अधिक लोग भुखमरी के चपेट में होंगे – संयुक्त राष्ट्र संघ का इशारा

yemen-food-scarcity-2कैरो/सना – पिछले सात सालों से जारी गृहयुद्ध में येमन की जनता भीषण संकट में है| पर, यूक्रैन के इस युद्ध की वजह से येमन का संकट बड़ा खौफनाक रूप लेगा| येमन के कम से कम १.६१ लाख लोगों को भूखमरी का सामना करना पडेगा, यह इशारा संयुक्त राष्ट्र संघ और अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय गुटों ने दिया| अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने येमन को नजरअंदाज किया तो इसके खौफनाक नतीजे सामने आएँगे, यह इशारा भी संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दिया है|

सन २०१४ से येमन में गृहयुद्ध जारी है| इस संघर्ष में ३.७७ लाख लोग मारे गए हैं और इन मृतकों में ८५ हज़ार से अधिक बच्चों का समावेश होने का दावा किया जा रहा है| पिछले साल से यहां हुए संघर्ष के दौरान ही १०,२०० बच्चों की मौत होने की जानकारी संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रदान की| पिछले ढ़ाई महीनों में येमन के संघर्ष की तीव्रता बढ़ने से वहां की जनता तक मानवीय सहायता पहुंचाने में भी बड़ी बाधाएँ आ रही हैं|

yemen-food-scarcity-1येमन की कुल जनसंख्या में से ७० प्रतिशत अर्थात कम से कम २ करोड़ २० लाख लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता होने का इशारा युनिसेफ ने कुछ ही दिन पहले दिया था| इसी बीच पांच साल से कम उम्र के ४ लाख बच्चे भयंकर भूखमरी का शिकार हो रहे हैं, यह चिंता युनिसेफ ने जताई थी| येमन का संघर्ष बंद करके वहां की जनता तक मानवीय सहायता पहुँचाने की कोशिश अब तक असफल रही है|

ऐसी स्थिति में यूक्रैन में युद्ध छिड़ने से इसका येमन के संकट पर सीधा असर पडेगा, यह इशारा संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘इंटिग्रेटेड फुड सिक्युरिटी फेज़ क्लासिफिकेशन’ (आईपीसी) ने अपनी रपट में दिया है| पिछले सात वर्षों से जारी इस गृहयुद्ध के दौरान येमन की जनता बड़ी मात्रा में यूक्रैन से मिल रहे अनाज पर निर्भर थी| येमन द्वारा आयात हो रहे गेहूँ में से ३० प्रतिशत गेहूँ केवल यूक्रैन से आता था| यूक्रैन में युद्ध छिड़ने से येमन में गेहूँ आयात बंद होने की बात पर ‘आईपीसी’ ने अपनी रुपट में ध्यान आकर्षित किया|

अंतरराष्ट्रीय समूदाय ने येमन के इस संकट को अनदेखा किया तो साल के अन्त तक येमन के कुपोषितों में महिलाओं का भी समावेश होगा| कम से कम १३ लाख महिलाएं कुपोषण के चपेट में आ सकती हैं, यह इशारा ‘आईपीसी’ ने दिया| इसी बीच बड़ी किल्लत का सामना कर रहे येमन के बच्चों की संख्या भी खतरनाक स्तर पर बढ़ेगी जिसकी वजह से बदन में दुर्बलता बढ़ेगी या लोगों की मौत होगी, यह इशारा युनिसेफ की कार्यकारी अध्यक्षा कैथरिन रसेल ने दिया है|

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