विश्‍व परमाणु विनाश के साए में पहुँचा है – संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव का इशारा

न्यूयॉर्क – परमाणु हथियारों से सज्जित देशों के बीच एक-दूसरे पर अविश्‍वास और तनाव बढ़ने से पूरा विश्‍व परमाणु विनाश के साए में पहुँचा है, ऐसा इशारा संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने दिया है। साथ ही परमाणु हथियार अधिक प्रगत करने की दिशा में जारी कोशिशों की वजह से परमाणु हथियारों की होड़ का खतरा बढ़ने की चिंता भी उन्होंने व्यक्त की। इसी बीच, महासचिव गुतेरस राष्ट्रसंघ को संबोधित कर रहे थे तभी भारत के अलावा प्रमुख परमाणु देश इस बैठक में अनुपस्थित थे। इस दौरान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल पहले ना करने की भूमिका पर अपना देश कायम होने की बात भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट की।

united-nationsसंयुक्त राष्ट्रसंघ में हाल ही में ‘इंटरनैशनल डे फॉर टोटल एलिमिनेशन ऑफ न्युक्लिअर वेपन्स’ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रसंघ के महासचिव गुतेरस ने विश्‍वभर के प्रमुख देशों के बीच बढ़ रहे तनाव पर चिंता व्यक्त की। परमाणु हथियारों से सज्जित देशों के बीच बढ़ रहे तनाव की वजह से परमाणु खतरा अधिक बढ़ने का दावा गुतेरस ने किया। इसकी वजह से विश्‍व को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के लिए शुरू की गई कोशिशों में रोड़ा बना है और आनेवाले दिनों में यह कोशिश पिछड़ने की संभावना होने का बयान गुतेरस ने किया। उन्होंने इस दौरान अमरीका और चीन के बीच जारी तनाव का ज़िक्र किया। साथ ही अमरीका-रशिया और भारत-चीन एवं भारत-पाकिस्तान के तनाव को लेकर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की। परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण की वजह से बड़े गतिमान और राड़ार को चकमा देनेवाले और सटीक हमला करनेवाले परमाणु हथियारों का खतरा बढ़ रहा है, इस बात पर गुतेरस ने ध्यान आकर्षित किया।

अमरीका और रशिया के बीच परमाणु हथियारों की संख्या सीमित रखने से संबंधित हुआ ‘न्यू स्ट्रैटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रिटी’ (स्टार्ट समझौता) यह एक मात्र समझौता है। लेकिन, यह समझौता भी अगले वर्ष खत्म हो रहा है और अमरीका एवं रशिया ने कम से कम पांच वर्ष के लिए यह समझौता बरकरार रखना होगा, यह आवाहन गुतेरस ने किया। राष्ट्रसंघ की इस बैठक में गुतेरस ने परमाणु हथियारों के प्रसार पर प्रतिबंधों से संबंधित प्रस्ताव पर भी अपनी भूमिका रखी। इस दौरान अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स, इस्रायल और उत्तर कोरिया जैसे परमाणु हथियारों से सज्जित देश अनुपस्थित रहे। इसी बीच रशिया और चीन को अपनी भूमिका रखने के लिए समय उपलब्ध ना होने की बात कही जा रही है। सिर्फ भारत ने ही इस दौरान परमाणु हथियारों को लेकर अपनी भूमिका पेश की। संयुक्त राष्ट्रसंघ के परमाणु हथियारों के प्रसार पर पाबंदी लगानेवाले विधेयक का भारत का पूरा समर्थन करता है, यह बयान भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने किया। तभी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल ना करने की भारत की भूमिका आज भी कायम होने की बात श्रृंगला ने स्पष्ट की।

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