व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से भारत के ‘ॲक्ट ईस्ट’ की प्रशंसा

नई दिल्ली : हिंद महासागर से पसिफिक महासागर तक के क्षेत्र में परिवहन की स्वतंत्रता का पुरस्कार करके व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ‘त्रान दाई कुआंग’ ने अपने देश की भूमिका स्पष्ट रूप से प्रस्तुत की है। उस समय भारत सरकार ने स्वीकारी हुई ‘ॲक्ट ईस्ट धारणा’ की भी राष्ट्राध्यक्ष कुआंग ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। उस समय राजनीतिक सुरक्षा तथा रक्षा विषयक सहयोग यह भारत एवं व्हिएतनाम के द्विपक्षीय संबंधों का आधार है, ऐसा दावा व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने किया है।

३ दिनों के भारत भेंट पर आए हुए व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ‘त्रान दाई कुआंग’ का दौरा रविवार को संपन्न हुआ है और वह भारत से बांगलादेश को रवाना हुए हैं। इससे पहले नई दिल्ली में एक विद्यापीठ में दिए व्याख्यान में राष्ट्राध्यक्ष कुआंग ने भारत एवं व्हिएतनाम के संबंध एवं भूमिका स्पष्ट करनेवाले व्याख्यान दिए हैं। उसमें दोनों देशों के संबंध का महत्व रेखांकित करके, हिंद महासागर क्षेत्र से पसिफिक महासागर क्षेत्र में परिवहन की स्वतंत्रता का जोरदार पुरस्कार किया है। इस क्षेत्र में सभी देशों ने परिवहन की स्वतंत्रता को महत्व दें एवं संकुचित राष्ट्रवाद की भूमिका की तरफ ना देखें, ऐसी टिप्पणी राष्ट्राध्यक्ष कुआंग ने लगाई है।

‘साऊथ चायना सी’ एवं ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में चीन में आक्रामक भूमिका का स्वीकार करके इस क्षेत्र में अपना अधिकार जताया है तथा ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में व्हिएतनाम के कब्जे में होनेवाले सागरी क्षेत्र पर भी चीन अपना मालिकत्व बता रहा है। इससे दोनों देशों में तनाव बढ़ा है और व्हिएतनाम ने चीन के को प्रत्युत्तर देने की तैयारी की है। अमरिका, जापान एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इस अग्रणी स्तर पर व्हिएतनाम को सहायता कर रहे हैं। तथा भारत में भी व्हिएतनाम के पक्ष से ठोस भूमिका लेकर इस देश को सभी स्तर पर सहयोग करने का निर्णय लिया है।

इसलिए व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ‘त्रान दाई कुआंग’ की भारत भेंट अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस भेंट के पहले भारत व्हिएतनाम की सुरक्षा एवं रक्षा विषयक सहयोग करने की बात सामने आई थी। राष्ट्राध्यक्ष कुआंग के दौरे में यह सहयोग अधिक दृढ़ हुए हैं और इसके बारे में करार भी संपन्न हुए हैं। इस पृष्ठभूमि पर व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने राजनैतिक सुरक्षा एवं रक्षा विशेष सहयोग अपने देश के भारत के साथ संबंधों का आधार होने की बात घोषित की है। उस समय व्हिएतनाम चीन के साथ सागरी विवाद में भारत का व्हिएतनाम को समर्थन है, यह भी राष्ट्राध्यक्ष कुआंग ने अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया है।

भारत में उत्तर पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंध विकसित करने के लिए कदम उठाए हैं और उसके लिए अपने ‘लुक ईस्ट’ धारणा का रूपांतर ‘ॲक्ट ईस्ट’ धारणा में किया है। इस ॲक्ट ईस्ट धारणा के अनुसार व्हिएतनाम के साथ सहयोग को बहुत बड़ा स्थान है। इसका उल्लेख करके व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने यह धारणा स्वीकारने वाले भारत सरकार की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। भारत की इस धारणा को शुरुआत के समय से केवल आर्थिक मदद थी पर उसके बाद में इस के राजनैतिक, धारणात्मक एवं सांस्कृतिक स्तर पर सहयोग में रूपांतर होने लगे हैं, ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष कुआंग ने इसपर समाधान व्यक्त किया है। उस समय जिम्मेदार अंतरराष्ट्रीय शक्ति होनेवाले भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्यत्व मिले ऐसी मांग व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने की है।

भारत एवं व्हिएतनाम में विकसित हुए इस संबंधों की तरफ चीन संदिग्ध रूप से देख रहा है। राष्ट्राध्यक्ष कुआंग इनके भारत भेंट पर चीन की प्रतिक्रिया नहीं आई है, फिर भी चीन दौरे की तरफ बारीकी से देखने के संकेत मिल रहे हैं। इससे पहले भी चीन ने भारत एवं व्हिएतनाम के सहयोग पर आक्षेप लिया था। ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में व्हिएतनाम के कब्जे में होने वाले इंधन क्षेत्र में भारतीय तेल कंपनियाँ तेल का उत्खनन कर रही है। इस व्यवहार पर चीन ने आक्षेप लेकर भारत विवादास्पद क्षेत्र में निवेश ना करें, ऐसा इशारा दिया था। भारत का यह निवेश एवं ईंधन विषयक सहयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों की चौखट में होने की बात कहकर, भारत ने चीन का आक्षेप झूठलाया था।

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