सिक्कीम सीमा पर भारत ने सेना तैनाती बढ़ायी

नयी दिल्ली/बीजिंग, दि. २ : सिक्कीम सीमा के सटी भूतान और चीन की सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद भारत ने इस जगह पर ज़्यादा सेना तैनात की है| ६ जून को चीन की सेना ने यहाँ की सीमा में घुसपैठ करके भारतीय सेना के दो बंकर्स नेस्तनाबूद किये थे| इसके बाद सीमा पर दोनों देशों के जवान एक-दूसरे के सामने खड़े हुए हैं और उनके बीच हातापायी होने का विडिओ सामने आया है| सन १९६२ में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद, दोनों देशों के बीच सीमा पर इतने बड़े पैमाने पर तनाव निर्माण नहीं हुआ था, ऐसा कहा जाता है| चीन ने अपने नक्शे में यह इलाका शामिल करके भारत के साथ भूतान को भी उक्साया है| लेकिन भारत चीन की इस आक्रमकता का बड़े ही संयम के साथ, लेकिन दृढ़तापूर्वक जवाब दे रहा है|

भारत, भूतान और चीन की सीमारेखाएँ जहाँ पर एकसाथ आती हैं, उस डोकला में चीन की सेना ने घुसपैंठ की थी| यहाँ के भारतीय सेना के बंकर्स चिनी जवानों ने नेस्तनाबूद किए थे| भारतीय सेना ने सन २०१२ में इन बंकर्स का निर्माण किया था| चिनी जवानों को रोकने के लिए भारतीय जवान आगे आये थे। उस समय हालाँकि भारत और चीन के जवानों में ठेंठ संघर्ष नहीं हुआ था, लेकिन हातापायी होने का विडियो सामने आया था| इन बंकर्स को तबाह करने के लिए चिनी जवान अपने साथ बुलडोझर्स लाये थे| भारतीय जवानों ने चिनी जवानों को रोकने के बाद काफी समय तक यहाँ पर तनाव निर्माण हुआ था| अभी भी यहाँ पर तनाव बरकरार है|

सिक्कीम सीमाचीन के विदेश मंत्रालय ने इस मसले पर सख़्त भूमिका अपनायी है| ‘भारत जब तक यहाँ से सेना पीछे नहीं हटाता, तब तक इस संदर्भ में चर्चा नहीं हो सकती’ ऐसे कड़े शब्दों में चीन ने चेतावनी दी है| उसी वक्त, ‘डोकला’ यह चीन का भूभाग है, ऐसा दावा चिनी विदेशमंत्रालय ने किया है| साथ ही, यह भारत और चीन के बीच का विवादित मुद्दा न होकर, भूतान और चीन के बीच का द्विपक्षीय मसला है| इस मसले में दख़लअंदाज़ी करने की भारत को ज़रूरत नहीं है, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ‘लू कँग’ ने इस समय कहा| भारत अपने चीनविरोधी अजेंडे को संचलित करने के लिए इस मसले में दख़लअंदाज़ी कर रहा है, ऐसा आरोप कँग ने किया था| साथ ही, चीन के प्रवक्ता ने भारत को सन १९६२ के युद्ध की याद दिलाई थी|

लेकिन चीन घुसपैंठ कर रहा ‘डोकला’ इलाका यह हमारा ही भूभाग है, ऐसा कहते हुए भूतान की सरकार ने इसके लिए चीन का निषेध किया| भूतान के इस निषेध के बाद सब कुछ स्पष्ट हुआ है, ऐसा भारत के रक्षामंत्री अरुण जेटली ने कहा| साथ ही, चीन यहाँ की परिस्थिति बदलने की कोशिश कर रहा है, ऐसी आलोचना करके, सन १९६२ का भारत और २०१७ का भारत इनमें काफ़ी बड़ा फ़र्क़ है, इसका एहसास भारत के रक्षामंत्री ने दिलाया| इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने इस सीमावर्ती इलाके में अधिक सेना तैनात करके, चीन के दबाव के आगे भारत नहीं झुकेगा, ऐसा दिखाया है|

सिक्कीम की सीमा पर इस विवाद के चलते, भारत ने ‘शंघाय कोऑपरेशन ऑर्गनायझेशन’ (एससीओ) की बैठक में शामिल होने का निर्णय लिया था| चीन की पहल से स्थापित किये गए इस संघटन की भारत को हाल ही में सदस्यता मिली थी| उसी वक्त चीन ने, ‘जब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटती, तबतक चर्चा नहीं होगी. ऐसा अड़ियल रवैय्या अपनाया है| क्या ‘एससीओ’ की बैठक में दोनों देशों में द्विपक्षीय चर्चा संपन्न होगी, इस ओर जानकारों का ध्यान लगा है| फिलहाल चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग, अंतर्गत विरोध और अंदरूनी राजनीति में फ़ँसे हैं और चीन की सेना पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए कोशिश कर रहे हैं| ऐसे हालातों में, भारत के साथ सीमावाद भड़क उठा होने के समय, चिनी जवानों को पीछे हटाना अथवा नर्म रवैय्या अपनाना, चीन के राष्ट्राध्यक्ष के लिए मुमक़िन नहीं होगा, इस ओर विश्‍लेषक ध्यान खींच रहे हैं|

इस कारण, भारत और भूतान के साथ चल रहे इस सीमाविवाद पर चीन की अंतर्गत राजनीति का भी असर हो रहा दिखायी दे रहा है। लेकिन चाहे जो भी हो, जब ‘साऊथ चायना सी’, ‘ईस्ट चायना सी’ में विवाद भड़क उठे हैं, ऐसे में चीन भारत के साथ की सीमा पर नया मोरचा खोलने की ग़लती नहीं करेगा, ऐसा कहा जा रहा है।

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