व्हिएतनाम के विदेशमंत्री की भारत यात्रा संपन्न; चीन की आक्रामकता का मुद्दा प्राथमिकता पर

नई दिल्ली, दि. ६ : व्हिएतनाम के उपप्रधानमंत्री और विदेशमंत्री ‘फाम बिन्ह मिन्ह’ ने भारत की यात्रा करते हुए रक्षामंत्री अरुण जेटली और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की भेट ली| भारत और व्हिएतनाम के सागरी क्षेत्र में चीन की आक्रामक गतिविधियाँ शुरू हैं| इस माहौल में भारत और व्हिएतनाम को अपने हितसंबंधों की रक्षा के लिए करनी पड़नेवालीं उपाययोजनाएँ, इसपर विदेशमंत्री मिन्ह की इस यात्रा में प्रमुख तौर पर चर्चा होने की खबर है|

कुछ ही दिन पहले चीन दावा कर रहे सागरी क्षेत्र में व्हिएतनाम ने तेल उत्खनन शुरू करने का साहसी फैसला किया था| इसपर चीन हरकत लिये बिना रहेगा नहीं, यह संभावना ध्यान में लेते हुए व्हिएतनाम ने पहले से ही अपने दोस्तदेशों के साथ सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है| विदेशमंत्री ‘फाम बिन्ह मिन्ह’ की भारतभेंट यह व्हिएतनाम की इन्हीं कोशिशों का भाग माना जाता है| इस यात्रा में उन्होंने भारत के रक्षामंत्री अरुण जेटली से भेंट की और दोनो देशों में रक्षासंदर्भ सहयोग पर चर्चा हुई| साथ ही, गुरुवार के दिन विदेशमंत्री मिन्ह ने भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से भेंट करते हुए दोनो देशों में आर्थिक और अन्य क्षेत्रों के सहयोग पर बातचीत की होने की खबर है|

भारत यात्राभारत आग्नेय एशियाई क्षेत्र में अधिक व्यापक तौर पर भूमिका निभायें, ऐसी इस क्षेत्र के सभी देशों की इच्छा है, ऐसे विदेशमंत्री मिन्ह ने इस दौरान कहा| मिन्ह की चार दिन की यात्रा गुरुवार के दिन ही संपन्न हुई होकर, इस भेंट में भारत ने व्हिएतनाम को ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र और युद्धपोत देने के बारे में महत्त्वपूर्ण चर्चा हुई होने की खबरें सार्वजनिक हुई हैं| भारत और व्हिएतनाम के बीच का यह सहयोग चीन के लिए बड़ा धक्का साबित हो रहा है|

व्हिएतनाम और अन्य आग्नेय एशियाई देशों के साथ भारत का सहयोग चीन को मान्य नहीं| यह भारत की चीनविरोधी व्यूहरचना का भाग है, ऐसा चीन का कहना है| इसी कारण, भारत और व्हिएतनाम के बीच के तेलसंबंधित सहयोग पर चीन ने ऐतराज़ जताया था| लेकिन उसकी फ़िक्र न करते हुए भारत ने इस प्रकल्प का निर्माण किया था| आगे चलकर भारत व्हिएतनाम के ईंधनक्षेत्र में भी बडा निवेश करेंगा, ऐसा भरोसा विदेशमंत्री मिन्ह ने जताया है|

चीन के साथ के भारत के संबंधों में तनाव के चलते, साऊथ चायना सी और ईस्ट चायना सी क्षेत्र के देश भी चीन की आक्रामकता के खिलाफ इक्कठा आये दिखायी दे रहे हैं| अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे दुनिया के प्रमुख देश, चीन की आक्रामक नीति की वजह से निर्माण हुआ असंतुलन दूर करने के लिए कोशिश कर रहे हैं| लेकिन इसके लिए भारत का सहयोग आवश्यक है, ऐसी इन देशों की भूमिका है| आजतक भारत ने इस बारे में संयमी भूमिका अपनाते हुए चीन को दुखाना टाला है| लेकिन चीन द्वारा सीमाविवाद के संदर्भ में आक्रामक भूमिका अपनायी जाने के बाद भारत ने भी अपने दाँवपेचों में बदलाव के संकेत दिये हैं|

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