राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को ‘अमर्याद’ सत्ता देने के प्रस्ताव पर चीन में टीका

बीजिंग: चीन के विद्यमान राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग को अमर्याद काल के लिए नेतृत्व देने के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्ताव के खिलाफ चीन में टीका हो रही है। एक समय सरकारी मीडिया का हिस्सा रहे पत्रकार और लेखकों ने ही जिनपिंग को अमर्याद काल के लिए नेता बनाने वाले प्रस्ताव को विरोध करना शुरू किया है। इस सन्दर्भ में कुछ लेख भी प्रसिद्ध हुए हैं, जिसमें सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने का आवाहन भी किया गया है।

पिछले हफ्ते चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टीने, राष्ट्राध्यक्ष और उपाध्यक्ष को दो ‘टर्म’ का बंधन लगाने वाला प्रावधान देश के संविधान से निकाल दिया जाए, ऐसा खुला प्रस्ताव सदर किया था। इस वजह से सन २०२३ के बाद भी राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ही चीन के सुप्रीमो रहेंगे, ऐसा स्पष्ट संकेत मिला शुरू हो गया था। कम्युनिस्ट पार्टी के इस प्रस्ताव पर ‘चायना यूथ डेली’ के भूतपूर्व संपादक ली दातोंग ने खुलकर नाराजगी जताई है।

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दातोंग ने एक स्वतंत्र लेख प्रसिद्ध करके उसमें चीन के संसद सदस्यों ने जिनपिंग को अमर्याद काल के लिए नेतृत्व देने वाले प्रस्ताव के खिलाफ मतदन करना चाहिए, ऐसा खुलकर आवाहन किया। कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्राधयक्ष जिनपिंग के बारे में दिया हुआ प्रस्ताव देश को फिर एक बार कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक ‘माओ त्से-तुंग’ के काल की ओर ले जाने वाला साबित होगा, ऐसा इशारा भी दातोंग ने दिया है। सोशल नेटवर्किंग वेबसाईट पर एक ख़त के रूपमें प्रस्तुत हुए प्रस्ताव को तुरंत ‘ब्लॉक’ किए जाने की जानकारी सामने आई है।

लेकिन इसके परिणाम सोशल मीडिया और मीडिया में विविध रूपमें दिखाई देना शुरू हुआ है। हाँगकाँग से प्रसिद्ध होने वाले ‘साऊथ चायना मॉर्निंग पोस्ट’ में ‘वँग शिआंगवेई’ इस वरिष्ठ पत्रकार ने एक कठोर लेख प्रसिद्ध किया है। ‘वँग शिआंगवेई’ ने चीन सरकार का मुखपत्र ‘चायना डेली’ में काम करने की वजह से उनके लेख की तरफ ध्यान आकर्षित हुआ है।

अपने लेख में ‘वँग शिआंगवेई’ ने शी जिनपिंग सन २०३२ तक चीन के राष्ट्राधयक्ष के तौर पर सक्रिय रहेंगे, ऐसी चिंता जताई है। उन्होंन अपने लेख में चीन के भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष ‘डेंग शिओपिंग’ और ‘जिआंग झेमिन’ ने दिए इशारे के तरफ भी ध्यान आकर्षित किया है। चीन के कुछ जानकार विश्लेषकों ने जिनपिंग की तुलना रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के साथ करके उनकी राजवट और चीन की संभावित परिस्थिति के बारे में इशारे दिए हैं। जिनपिंग दीर्घकाल तक सत्ता में रहते हैं, तो उनकी निर्णय क्षमता पर और नीतियों पर बड़ा असर दिखाई देगा और उसका नुकसान चीनी जनता को भुगतना पड़ सकता है, ऐसा ‘डेंग शिओपिंग’ ने अपने लेख में इशारा दिया है।

सन २०१२ में शी जिनपिंग ने चीन की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख और राष्ट्राध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में सत्तारूढ़ पार्टी ने उनको पाँच साल की अवधि बढाने की मान्यता भी दी थी।

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