विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व्हिएतनाम, कंबोडिया का दौरा करेंगी

नई दिल्ली: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व्हिएतनाम और कंबोडिया इन आसियान सदस्य देशों के दौरे पर जाने वाली हैं। २७ और २८ अगस्त को आयोजित किया गया यह दौरा इन दिनों इस क्षेत्र में चल रहे घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि पर महत्वपूर्ण साबित होता है। ‘इंडो पसिफ़िक’ क्षेत्र में भारत के सभी मोर्चों पर निवेश बढे, इसके लिए अमरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया यह देश माँग कर रहे हैं, ऐसे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस दौरे की तरफ विश्लेषकों का ध्यान लगा है।

विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज, व्हिएतनाम, कंबोडिया, दौरा, भारत, अमरिकाचीन ने ‘इंडो पसिफ़िक’ क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढाने के लिए सभी स्तरों पर कोशिश शुरू की है। इसमें चीनी नौसेना के अस्तित्व से लेकर हिन्द महासागर में स्थायी अड्डा निर्माण करने की कोशिशों का भी समावेश है। साथ ही इस क्षेत्र के देशों को बेशुमार कर्ज देकर चीन इन देशों के प्राकृतिक स्त्रोतों के साथ साथ बंदरगाहों को भी कब्जे में लेने की तैयारी में है। उसी समय चीन का आसियान के लगभग सभी देशों के साथ सीमाविवाद भड़का है। व्हिएतनाम ने चीन की आक्रामकता के सामने न झुकने वाले नहीं हैं कहकर इस बलाढ्य देश को कड़वा प्रतिकार करने की तैयारी की है।

इसके लिए व्हिएतनाम ने भारत के साथ सहकार्य योजनाबद्ध तरीके से बढ़ाया है और अपने समुद्री इंधन कुओं का उत्खनन करने का ठेका भारतीय कंपनियों को दिया था। इस पर चीन ने जताई आपत्तियों की तरफ व्हिएतनाम ने नजरअंदाज किया है। उसी समय भारत के साथ रक्षा सहकार्य मजबूत करके व्हिएतनाम ने उसे चीन के दबाव की परवाह नहीं है, यह दिखा दिया है। भारत की तरफ से ब्राम्होस मिसाइल की खरीदारी करने की तैयारी भी व्हिएतनाम ने दिखाई है। व्हिएतनाम के नौसेना की क्षमता बढाने के लिए भारत मजबूत सहकार्य कर रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर, सुषमा स्वराज के इस व्हिएतनाम दौरे की तरफ बारीकी से देखा जा रहा है। इस दौरे के दौरान स्वराज व्हिएतनाम में ‘इंडियन ओशन कांफ्रेंस’ में शामिल होने वाली हैं।

साथ ही विदेश मंत्री स्वराज व्हिएतनाम के प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने वाली हैं। इसके बाद वह कंबोडिया देश के लिए रवाना होने वाली हैं। दौरान, व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष त्राँग दाई क्वांग इस साल मार्च महीने में भारत के दौरे पर आए थे।

इस समय व्हिएतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने इंडो पसिफ़िक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के साथ साथ यहाँ अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन हो, इसके लिए भारत योगदान दे, ऐसा आवाहन किया था। भारत की तरफ से इस आवाहन को प्रतिसाद दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को विरोध करने वाला चीन इस सहकार्य से अस्वस्थ हुआ है। यह बात कई बार सामने आई है।

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