अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी शुरू – सुरक्षा के लिए युद्धपोत आयसेनहॉवर और बॉम्बर तैयार

काबुल/वॉशिंग्टन – अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी का ऐलान करके दस दिन नहीं बीते और अमरीका ने सेना वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अफ़गानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना के प्रमुख ने यह जानकारी सार्वजनिक की। अमरिकी सैनिकों के साथ लष्करी सामान भी अफ़गानिस्तान से हटाया जा रहा है। यह प्रक्रिया शुरू होने के दौरान अमरिकी सैनिकों पर हमले हुए तो इस पर प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका ने अपनी विशाल विमान वाहक ‘आयसेनहॉवर’ युद्धपोत और बॉम्बर्स को तैयार रखा है। इसी बीच ‘सीआयए’ के प्रमुख विल्यम बर्न्स के अफ़गान दौरे के बाद यह वापसी शुरू हुई है।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने बीते हफ्ते अफ़गानिस्तान में तैनात अमरीका की पूरी सेना हटाने का ऐलान किया था। सेना की यह वापसी १ मई से शुरू होगी और ११ सितंबर तक सभी अमरिकी सैनिक स्वदेश पहुँचेंगे, यह ऐलान बायडेन ने किया था। लेकिन, १ मई से पहले ही अमरीका और नाटो की सेनाओं ने अफ़गानिस्तान से सेना वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अफ़गानिस्तान के हाथों में वहां के लष्करी अड्डों का नियंत्रण देने का काम शुरू होने की जानकारी अफ़गानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना के प्रमुख जनरल स्कॉट मिलर ने साझा की।

इसके अनुसार अमरीका अफ़गान सेना के हाथों में कंधार हवाईअड्डा, हेल्मंड प्रांत का कैम्प शोराबाक, राजधानी काबुल स्थित कैम्प इगर्स एवं मैदान वरदाक प्रांत का सीओपी अड्डे का नियंत्रण प्रदान करेगी। ‘अफ़गानिस्तान शांतिवार्ता जारी होते हुए अमरिकी सेना की यह वापसी शुरू हुई है। लेकिन, हमें ऐसे आदेश प्राप्त हुए हैं। इसके आगे शांतिवार्ता का भविष्य अफ़गान सरकार और तालिबान के हाथों में रहेगा। तालिबान अफ़गानिस्तान में जारी हिंसा रोक दे’, ऐसा आवाहन जनरल मिलर ने किया है।

अफ़गानिस्तान के हाथों लष्करी अड्डे प्रदान करने की प्रक्रिया जारी रहने तक अमरीका ने अपना रक्षा सामान अफ़गानिस्तान से हटाना शुरू किया है। यह सेना वापसी सुरक्षितरूप पूरी हो जाए, इसके लिए अमरीका ने विमान वाहक ‘यूएसएस ड्विट आयसेनहॉवर’ युद्धपोत और दो ‘बी-५२ बॉम्बर’ विमान खाड़ी क्षेत्र में तैयार रखें हैं। इस सेना वापसी की प्रक्रिया के दौरान अमरिकी सैनिकों पर हमला हुआ तो अगली कार्रवाई करने के लिए यह तैयारी रखी गई है, यह बात पेंटॅगॉन के प्रवक्ता जॉन किरबाय ने स्पष्ट की।

अमरीका की इस सेना वापसी की तालिबान ने आलोचना की थी। अमरीका के दोहा समझौते के अनुसार १ मई तक अफ़गानिस्तान से अपनी पूरी सेना को हटाना ज़रूरी था। लेकिन, बायडेन प्रशासन ने यह सेना वापसी पूरी करने के लिए ११ सितंबर तक का समय बढ़ाया है। इससे आगबबूला हुए तालिबान ने १ मई के बाद अफ़गानिस्तान में अमरिकी या नाटो के सैनिक दिखाई दिए तो उन पर हमलें करने की धमकी दी थी। तालिबान ने अपनी धमकी सच्चाई में उतारी तो इससे तीव्र संघर्ष शुरू होने की बड़ी संभावना है। इस वजह से अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी के लिए खतरा हो सकता है। इस वजह से अमरिकी सेना की वापसी की प्रक्रिया पूरी हुए बगैर इस पर अंतिम प्रक्रिया दर्ज़ करना मुमकिन नहीं होगा, ऐसी भूमिका कुछ विश्‍लेषकों ने अपनाई है।

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