‘आयएस’ और ‘अल नुस्त्र’ के ५० से भी ज्यादा आतंकवादी जर्मनी में घुसे – जर्मन साप्ताहिक का दावा

बर्लिन: सीरिया में आतंकवादी हमले और हत्याकांड किए हुए ५० से अधिक आतंकवादी शरणार्थियों के भेस में जर्मनी में घुसने का दावा जर्मन साप्ताहिक ने किया है। इन मे से कुछ आतंकवादियों पर जर्मनी के यंत्रणाओं ने नजर रखी हुई है और उनकी पूछताछ शुरू की गई है। लेकिन लगभग ३० से अधिक आतंकवादियों के ठिकानों का पता अभी तक नहीं लगा है, उसके लिए ‘स्पेशल टास्क फ़ोर्स’ की स्थापना की गई है। जर्मनी के चुनाव सिर्फ तीन हफ़्तों में होने वाले हैं और ऐसे में यह जानकारी सामने आने की वजह से खलबली मची है।

जर्मनी का मुख्य साप्ताहिक ‘डर स्पिगेल’ ने देश में घुसे हुए आतंकवादियों के सन्दर्भ में खबर प्रसिद्ध की है। जर्मन सुरक्षा और गुप्तचर यंत्रणाओं की ओर से मिली जानकारी के बलपर यह जानकारी देने का दावा साप्ताहिक ने किया है। उसके अनुसार, ‘ओवेस अल कोरानी ब्रिगेड’ नाम से पहचाने जाने वाले आतंकवादियों के गुट के हिस्से के ५० से अधिक आतंकवादी सन २०१४ के बाद शरणार्थियों के रूप में जर्मनी में घुसने की बात सामने आई है।

सीरिया के संघर्ष में ‘अल कोरानी ब्रिगेड’ के आतंकवादी ‘आयएस’ के साथ ‘अल नुस्त्र’ की तरफ से संघर्ष में हिस्सा लेने की बात कही जा रही है। तबका शहर में सन २०१३ में किया गया हत्याकांड साथ ही राक्का के साथ अन्य इलाकों में किए हुए हमलों में आतंकवादियों का यह गुट शामिल हुआ था, ऐसी जानकारी सामने आई है। जर्मनी दाखिल होने के बाद शरणार्थियों के भेस में रहने वाले इन आतंकवादियों ने जर्मनी में ही आतंकवादी हमले करने का प्लान बनाने का दावा ‘डर स्पिगेल’ ने अपनी खबर में किया है।

जर्मनी में डुसेलडार्फ शहर में आतंकवादी हमले करने का ‘आयएस’ का षडयंत्र जर्मन यंत्रणा ने नाकाम किया था। इस समय पकड़े गए ‘अब्दुल दशावार अल-के’ इस आतंकवादी की ओर से ‘अल कोरानी ब्रिगेड’ के आतंकवादी की घुसपैठ सामने आई है। उसके बाद जर्मन यंत्रणाओं ने की हुई जाँच में इस गुट के लगभग ५५ आतंकवादियों ने देश में घुसपैठ करने की बात सामने आई है। इसमें से सिर्फ २५ आतंकवादियों की पहचान करने में और उनका पता ढूँढने में जर्मन यंत्रणाओं को सफलता मिली है। लेकिन अभी तक ३० आतंकवादियों का पता नहीं चल पाया है, जिससे जर्मन यंत्रणाओं में चिंता का वातावरण निर्माण हुआ है।

जर्मनी में दाखिल हुए शरणार्थियों के साथ आतंकवादी घुसने के इशारे सतत सामने आ रहे हैं, फिर भी चांसलर अंजेला मर्केल ने अपनी शरणार्थियों के मामले की ‘ओपन डोअर पालिसी’ का फिर एक बार जोरदार समर्थन किया है। सितम्बर माह के अंत में होने वाले चुनाव की पृष्ठभूमि पर रविवार को जर्मनी में चांसलर पद के उम्मीदवारों में खुली चर्चा ली गई। इस चर्चा में ‘एसपीडी’ पक्ष के उम्मीदवार मार्टिन शुल्झ ने चांसलर मर्केल पर शरणार्थियों के मुद्दे को लेकर जोरदार टीका की।

इस टीका को प्रत्यूत्तर देने वाले मर्केल ने शरणार्थियों का स्वागत करने का निर्णय उचित था, ऐसा दावा किया। उसी दौरान, ‘इस्लाम’ जर्मनी का हिस्सा है, ऐसा भी कहा गया। ‘यूरोप में इस्लामी कट्टर पंथी आतंकवादी हमले कर रहे हैं। लेकिन फिर भी इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है, ऐसा मुझे लगता है’, ऐसा वक्तव्य चांसलर मर्केल ने किया है।

दो महीनों पहले, जर्मनी में करीब ७०० से अधिक इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादी हमले करने के तैयारी में हैं, ऐसा इशारा देश के पुलिस प्रमुख ने दिया था। जर्मनी की गुप्तचर यंत्रणा ‘बुंडेसॅम्ट फ़र वेर फ़ासुंगशुटझ’ (बीएफव्ही) ने अपनी रिपोर्ट में जर्मनी में न्यूनतम २४,४०० कट्टरपंथी होने की बात कही थी। आने वाले समय में जर्मनी पर ‘लोन वुल्फ’ अर्थात अकेले घुमने वाले आतंकवादी साथ ही कट्टरपंथी और आतंकवादी गुटों के हमले बढ़ सकते हैं, ऐसा इशारा भी जर्मन गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख ‘हँस जोर्ज मैसेन’ ने दिया है।

 तुर्की यूरोपीय महासंघ का सदस्य नहीं बनेगा- चांसलर मर्केल का दावा
आने वाले समय में तुर्की यूरोपीय महासंघ का सदस्य बनेगा, ऐसा मुझे नहीं लगता और आगे भी ऐसा होगा इस पर मुझे विश्वास नहीं है, इन शब्दों में जर्मन चांसलर मर्केल ने तुर्की के महासंघ में प्रवेश के मनसूबे स्पष्ट रूप से नाकारे हैं। चांसलर मर्केल खुद इस मुद्दे पर यूरोपीय महासंघ के सदस्य देशों के साथ चर्चा करने वाली हैं, यह बात स्पष्ट की है।

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