आतंकवादी हमलों के चलते जर्मन लोगों को शस्त्र धारण करने का अधिकार होना चाहिए : ‘एएफडी’ पार्टी की नेता की माँग

बर्लिन, दि. २१ (वृत्तसंस्था) – जर्मनी मे पिछले महीने हुए आतंकवादी हमलें और अन्य हिंसक घटनाओं की पृष्ठभूमि पर, जर्मन जनता को स्वरक्षा के लिए शस्त्र धारण करने का अधिकार होना चाहिए, ऐसी सनसनीखेज माँग ‘अल्टरनेटिव्ह फॉर जर्मनी’ (एएफडी) की प्रमुख द्वारा की गयी है|

Frauke-Petryजर्मनी में पिछले महीने, एक के बाद एक ऐसे पाँच हमलें हुए थे| इनमें से दो हमलें आतंकवादी हमले होने की बात जाँच में सामने आयी थी| हमलों के बाद आतंकवादविरोधी नीति और सुरक्षाव्यवस्था में बदलाव के संकेत दिये गये थे| इस पृष्ठभूमि पर, शस्त्र धारण कर सकने की माँग सनसनी पैदा करनेवाली साबित हो रही है|

‘पिछले महीने हुए हमलों के बाद जर्मनी के कई नागरिकों को असुरक्षितता महसूस हो रही है| इसलिए कानून का पालन करनेवाले हर एक व्यक्ति को खुद की, परिवार की और मित्रों की रक्षा करने का अधिकार होना ही चाहिए|’ ऐसे शब्दों में ‘एएफडी’ की मुख्य फ्राऊक पेट्री ने, शस्त्र धारण करने के अधिकार की माँग की है| ‘घटना घटित होने के बाद उस स्थान पर पुलिस आने में कितना समय लगता है, यह सबको पता है और कम जनसंख्या वाले इलाके में तो यह अवधि ज़्यादा होती है’ ऐसे शब्दों में पेट्री ने शस्त्र धारण करने के अधिकार का समर्थन किया|

साथ ही, ‘एएफडी’ की नेता ने, बंदूको के बारे में नियम और सख़्त करने की कोशिशों की भी आलोचना की| ‘ऐसे नियमों का नतीजा ज़िम्मेदार नागरिकों को ही सहना पड़ता है और ‘डार्कनेट’ जैसे माध्यम से शस्त्र खरीदनेवालों पर उसका कोई असर नही पड़ेगा’ ऐसा पेट्री ने बताया| उन्होंने, पुलिस की संख्या में कटौती और सुरक्षादलों का इस्तेमाल करने पर प्रांतीय सरकारों पर डाले गये प्रतिबंध, इन जैसे मसलों पर चैन्सेलर मर्केल की सरकार की तीव्र आलोचना भी की|

germany-gunrightजर्मनी में निर्वासितों का बढ़ता प्रवाह, उनके द्वारा की जानेवाली हिंसा तथा आतंकवादी हमलों के ख़तरे की पृष्ठभूमि पर, शस्त्र धारण करने की अनुमति माँगनेवाले लोगों की संख्या में देश में काफी बढ़ोतरी हुई होने की बात पिछले कुछ महीनों में सामने आयी है| जर्मनी में शस्त्र धारण करने के लिए सख़्त क़ानून होने के बाद भी उसकी बढी हुई माँग ग़ौरतलब साबित हो रही है| इस साल के पहिले छः महीनों में, शस्त्र धारण करने का लाईसेंस माँगनेवालों की संख्या क़रीब ४९ प्रतिशत से बढी है| उसी समय, शस्त्र धारण करने का अधिकार होनेवाले नागरिकों की संख्या १८ लाख से उपर पहुँच गयी है|

जर्मनी मे हुए हमलों के बाद जनता में असंतोष बढता जा रहा है| सरकार निर्वासितों का प्रवाह और आतंकवाद पर काबु रखने में असफल हुई, ऐसी भावना नागरिकों द्वारा जतायी जा रही है| विविध सर्वेक्षणों के बाद इस की पुष्टी हुई है| आनेवाले चुनावों में इस बात का बडा झटका सत्ताधारी हुकुमत को बैठ सकता है| इसी समय निर्वासित तथा आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक निती की मॉंग करनेवाले ‘एएफडी’ जैसे राजकीय दलों कों बढता समर्थन मिलने लगा है| अगले महीने राजधानी बर्लिन समेत कई जगहों पर होनेवाले स्थानिय चुनाव में यह दल सत्ताधारी दल को झटका देगा, ऐसा कहा जा रहा है|

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