नेपाल में हुए चीन के खिलाफ़ जोरदार प्रदर्शन

काठमांडू – नेपाल की राजधानी काठमांडू में मंगलवार के दिन चीन के खिलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किए गए। चीन ने नेपाल की ज़मीन पर कब्ज़ा किया है और इसके खिलाफ़ नेपाल में असंतोष बढ़ चुका है और अब स्थानीय जनता नेपाल की सरकार पर कड़ी आलोचना कर रही है। इसी बीच, चीन में नियुक्त नेपाल के राजदूत महेंद्र बहादुर पांडेय ने चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स को दिए साक्षात्कार में भारत के खिलाफ़ किए आरोपों पर नेपाल स्थित विशेषज्ञों ने कड़ी आलोचना की है। नेपाल की भूमी चीन ने नहीं बल्कि भारत ने हथियाई है, यह आरोप पांडेय ने इस लेख में किया था।

nepal-chinaनेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली की भारत विरोधी और चीन समर्थक नीति पर अब नेपाल में जोरदार आलोचना हो रही है। भारत की भूमि पर अपना दावा जताने वाला नक्शा जारी करनेवाली के.पी.ओली की सरकार चीन हथियाई गई नेपाल की भूमि के मुद्दे पर चुप क्यों हैं? नेपाल सरकार की इस नीति की वजह से भारत के साथ बने संबंध भी बिगड़ गए हैं। लेकिन, नेपाल को भारत के अलावा अन्य कोई भी विकल्प नहीं है, इस बात पर नेपाल स्थित विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। नेपाली माध्यमों ने चीन ने कब्जा किए भूभाग के मुद्दे पर अधिक खुलासों की मांग करनेवाले नए सवाल नेपाल की सरकार से किए हैं।

इस पृष्ठभूमि पर काठमांडू स्थित चीन के दूतावास के बाहर नेपाल के छात्रों ने प्रदर्शन किए। नेपाल के हुमला ज़िले में चीन कर रहा निर्माण कार्य अवैध है और चीन ने अतिक्रमण किया हुआ यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है, साथ ही हमारी सीमा से लौट जाएं, ऐसे नारे भी इन प्रदर्शनकारियों ने लगाए। साथ ही नेपाल के विपक्षी पार्टीयों ने भी ओली की सरकार से चीन ने किए अतिक्रमण के मुद्दों पर सवाल उठाए हैं।

चीन ने हथियाई नेपाल की जमीन के मुद्दे पर नेपाल में चिंगारी भड़क उठी है, तभी चीन में नियुक्त नेपाल के राजदूत पांडेय ने ग्लोबल टाईम्स को दिए साक्षात्कार को लेकर नेपाल की सरकार पर अधिक आलोचना हो रही है। नेपाल की जमीन चीन ने नहीं भारत ने हथियाई है। नेपाल हमेशा आज़ाद देश रहा है और भारत एक ‘कालनी’ रहा था, ऐसी फिजूल बयानबाजी भी नेपाल के राजदूत ने की है। इसके अलावा भारतीय माध्यम चीन और नेपाल से संबंधित गलत ख़बरें फैला रहे हैं, ऐसा बयान भी पांडेय ने किया है। इसमें खास बात यह रही है कि, चीन ने नेपाल की भूमि हथियाने की सच्चाई नेपाली माध्यमों ने ही सामने लाई थी। ऐसे में नेपाली राजदूत ने किए यह आरोप बेबुनियाद साबित होते हैं।

नेपाल के राजदूत पांडेय ने तिब्बती नागरिकों के खिलाफ़ भी ज़हरीली बयानबाज़ी की है। तिब्बत चीन का हिस्सा है और वन चायना पॉलिसी का नेपाल समर्थन करता है। तिब्बत से बाहर निकले कुछ नागरिक भारत में रहते हैं। साथ ही भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा से घुसपैठ करते हैं। लेकिन, अपने मित्रदेश चीन के खिलाफ़ नेपाल की ज़मीन का इस्तेमाल करने नहीं देंगे, यह बयान पांडेय ने किया है।

इस साक्षात्कार के बाद नेपाल स्थित विश्‍लेषक, अभ्यासक और सियासी दल पांडेय के खिलाफ़ जोरदार आलोचना कर रहे हैं। नेपाली राजदूत की यह बयानबाज़ी राजनीतिक नज़रिए से गलत है और प्रोटोकॉल के खिलाफ़ है, यह बात विश्‍लेषकों ने कही है। गौरतलब है कि, दो महीने पहले ही नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.ओली ने नेपाल के राजदूत लिलामनी पौडियाल को वापस बुलाकर यकायक पांडेय को नियुक्त किया।

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