चीन के खिलाफ़ जारी शीत युद्ध में यूरोप ने अमरीका का साथ देना अहम – जर्मनी के वरिष्ठ अधिकारी का बयान

बर्लिन – अमरीका और चीन के बीच शीत युद्ध शुरू हुआ है। यह शीत युद्ध इस सदी को आकार देनेवाली निर्णायक घटना साबित होगी। ऐसी स्थिति में चीन ने अपने सामने खड़ी की हुई चुनौतियों का मुकाबला करना है तो यूरोप ने अमरीका के कंधे से कंधा मिलाकर ड़टकर खड़ा रहना होगा, ऐसा बयान जर्मनी के विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पीटर बेयर ने किया। बीते कुछ महीनों में अमरीका ने चीन के खिलाफ़ आक्रामक राजनीतिक और व्यापारी संघर्ष शुरू किया है और चीन की हरकतों के खिलाफ़ वैश्विक मोर्चा गठित करने की कोशिश भी शुरू की है। यूरोप इस मोर्चे का हिस्सा ना हो, इस इरादे से चीन ने अपनी कोशिश शुरू की है। लेकिन, चीन की यह कोशिश नाकाम साबित होने के स्पष्ट संकेत बेयर जैसे वरिष्ठ अधिकारी ने किए बयान से प्राप्त हो रहे हैं।

Cold-war-china-usपीटर बेयर, जर्मन चान्सेलर एंजेला मर्केल की पार्टी के सदस्य हैं और विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी हैं। उन्हें अमरीका और कनाड़ा के साथ जारी समन्वयक की ज़िम्मेदारी दी गई है। इसी वजह से उन्होंने चीन की चुनौतियों से संबंधित किया हुआ बयान ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हो रहा है। युद्ध के बाद अमरीका और यूरोप में विकसित हुए संबंध स्वतंत्रता, जनतंत्र, शांति और समृद्धि जैसे पुख्ता मूल्यों पर आधारित हैं। इन मूल्यों ने दोनों के संबंधों की नींव मज़बूत की है। अमरीका ने यूरोप को यह मूल्य प्रदान किए हैं और यह बात भूली नहीं जा सकती। चीन की व्यवस्था इसके बिल्कुल खिलाफ़ है। यह व्यवस्था तानाशाही, मानव अधिकार और अभिव्यक्ति स्वतंत्रता की कमी, डिजिटल तकनीक के ज़रिए नज़र रखने का काम, उइगरवंशियों का उत्पीड़न, हाँगकाँग में दमनतंत्र एवं पर्यावरण का नुकसान जैसे घातक बातों पर खड़ी है, इन शब्दों में बेयर ने अमरीका और चीन के बीच फरक का अहसास कराया।

इस दौरान जर्मन अधिकारी ने अमरीका और जर्मनी के संबंधों के बीच तनाव निर्माण हुआ है तो इसके लिए भी जर्मनी ही ज़िम्मेदार है, यह बात भी उन्होंने कबूल की। बीते दशक से जर्मनी ने अमरीका के साथ सहयोग करने की ओर कुछ मात्रा में अनदेखी की हैं, यह दावा बेयर ने किया। नवंबर में अमरीका में हो रहे राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनावों में किसी की भी जीत हो तब भी अमरीका-यूरोप संबंधों की दिशा पूरी तरह से बदलेगी नहीं, इस ओर भी संबंधित जर्मन अधिकारी ने ध्यान केंद्रीत किया। चीन और ईरान के साथ अन्य मुद्दों पर अमरीका और यूरोप के हितसंबंध समान हैं, यह बात भी पीटर बेयर ने बयान की।

Cold-war-china-usकोरोना की महामारी के साथ अन्य मुद्दों पर यूरोप और चीन के बीच बना तनाव लगातार बढ़ रहा है और यूरोपिय महासंघ ने लगातार चीन को फटकार लगाई है। लेकिन, चीन की विस्तारवादी गतिविधियां और अडियल भूमिका अभी भी बरकरार है और यूरोपिय महासंघ में दरार निर्माण करने की एवं व्यापारी हितसंबंधों का दबाव बनाने की कोशिश भी जारी है। अपने खिलाफ़ आलोचना करनेवाले यूरोपिय नेता और अधिकारियों के विरोध में चीन ने शीत युद्ध की मानसिकता और वसाहतवादी दृष्टिकोन का आरोप किया है। चीन में कार्यरत यूरोपिय अधिकारी एवं कंपनियों को धमकाने की घटनाएं भी सामने आयी हैं। इससे पहले यूरोप ने चीन को लेकर नरमाई की नीति अपनाते समय चीनी हुकूमत के दबाव में कई बार अपने निर्णय पीछे लेने की या कार्रवाई करने से बचने के लिए कसरतें की थीं। लेकिन, इसके आगे दबाव महसूस किए बिना अमरीका का साथ देकर चीन से मुकाबला किया जाएगा, यह बात जर्मन अधिकारी के बयान से स्पष्ट हो रही है।

इसी बीच, तैवान के मुद्दे पर यूरोप ने चीन को नया झटका देने की बात सामने आ रही है। ब्रुसेल्स में ग्लोबल कॉवेनंट ऑफ मेयर्स फॉर क्लायमेट ऐण्ड एनर्जी नामक संस्था ने तैवान के शहरों का ज़िक्र चीन के हिस्से के तौर पर किया था। तैवान के अधिकारियों ने इस बात पर वर्णित संस्था का ध्यान आकर्षित करके आवश्‍यक बदलाव करने की माँग की। तैवान की इस नाराज़गी पर यूरोपिय देशों ने पहल करके इस संस्था को तुरंत बदलाव करने से संबंधित खुला पत्र लिखा। यूरोप ने बनाए दबाव के बाद संबंधित संस्था ने तकनीकी दोष होने की बात स्विकारकर संबंधित छह शहर तैवान का हिस्सा होने की बात मानी। इस मामले में यूरोप ने अनमोल सहयोग करने की बात तैवान के विदेश विभाग ने जारी किए निवेदन में की है। चीन ने अलग अलग देश, बहुराष्ट्रिय कंपनियां और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर वन चायना पॉलिसी के लिए लगातार दबाव बनाकर तैवान की स्वतंत्र मौजूदगी नकारी है। इस पृष्ठभूमि पर यूरोप ने पहल करके तैवान का स्वतंत्र ज़िक्र करने के लिए पहल करना यह चीन को जड़ा हुआ करारा तमाचा साबित होता है।

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