चीन को अपनी भूमि पर कब्ज़ा करने देनेवाली नेपाल की सरकार मुश्किल में

नई दिल्ली/काठमांडू – लगातार भारतविरोधी भूमिका अपनानेवाली और चीनपरस्त नीति रखनेवाली, नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली की सरकार मुश्किल में फ़ँसी है। चीन ने तिब्बत की सीमा से सटकर होनेवाले नेपाल के भूभाग में घुसपैंठ करने की और दो गाँवों पर अपना कब्जा किया होने की बात सामने आयी थी। उसके बाद नेपाल की प्रमुख विरोधी पार्टी होनेवाली ‘नेपाली काँग्रेस’ ने आक्रमक भूमिका अपनायी है। चीन ने नेपाल की ज़मीन पर किये अतिक्रमण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के. पी. ओली जवाब दें, ऐसी माँग नेपाली काँग्रेस ने की है। वहीं, सत्ताधारी दल ‘नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी’ में भी फूट पड़ी होने की ख़बरें हैं। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभावी नेता ‘पुष्प कमल दहाल’ उर्फ ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफ़े की माँग की है और वैसा ना करने पर पार्टी फोड़ने की धमकी दी है।

Nepal-Chinaभारत ने लिपुलेख में बनाये कैलास मानसरोवर लिंक रोड का विरोध करने के बाद, लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा समेत लगभग ३९५ किलोमीटर के भारतीय भूभाग को अपने नक़्शे में बताकर नेपाल ने सीमाविवाद पुनरुज्जीवित किया था। भारत ने जताये ऐतराज़ और इस विवाद को चर्चा के माध्यम से हल करने के आवाहन को नज़रअन्दाज़ करते हुए नेपाल सरकार ने, अपनी संसद के दोनों सभागृहों में यह नक़्शे के संदर्भ का विधेयक पारित कर, इस विवादास्पद नक़्शे को घटनात्मक मंज़ुरी दे थी। इतना ही नहीं, बल्कि भारत-नेपाल की सीमा पर नयीं चौक़ियाँ, नयीं सड़कों का निर्माण, बिहार की सीमा पर गोलीबारी, उसके बाद ‘सिटीझनशिप क़ानून’ में बदलाव करके भारत को लक्ष्य किया था। नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ये चीन के इशारे पर यह सब कर रहे हैं, ऐसा भारतीय विश्लेषकों ने कहा था। साथ ही, प्रधानमंत्री ओली ये अपनी असफलता ढ़ँकने के लिए और अपनी पार्टी में तथा देश में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए भारत को लक्ष्य कर रहे हैं, ऐसा भी विश्लेषकों का कहना था। विश्लेषकों के ये निष्कर्ष सच साबित हो रहे हैं।

चीन ने तिबेट सीमा से सटा नेपाल का भूभाग हथियाने की ख़बर सामने आने के बाद नेपाल में अब केवल विरोधकों से ही नहीं, बल्कि सत्त्ताधारी पार्टियों में भी प्रधानमंत्री के.पी.ओली के विरोध में अलापे जानेवाल्रे सूर तीव्र हुए हैं। नेपाल ने ‘सिटीझनशिप क़ानून’ में किये सुधार के बाद मधेसी समुदाय द्वारा तीव्र नाराज़गी व्यक्त की गयी थी। अब नेपाल की ज़मीन पर किये गए चिनी अतिक्रमण की ख़बरें सामने आने के बाद नेपाल की प्रमुख विरोधी पार्टी भी आक्रमक हुई है। चीन ने अपने चार ज़िलों में जो ज़मीनें हथियाईं हैं, उन्हें नेपाल सरकार पुन: प्राप्त करें, ऐसी आक्रमक माँग नेपाली काँग्रेस ने की है। साथ ही, इसपर प्रधानमंत्री स्पष्टीकरण दें, ऐसा नेपाली काँग्रेस ने कहा है। उसीके साथ, नेपाली काँग्रेस के खासदारों ने कनिष्ठ सभागृह में एक प्रस्ताव भी रखा है।

चीन ने ज़मीन हथियाई होने की ख़बर पर स्पष्टीकरण देना प्रधानमंत्री के. पी. ओली के लिए मुश्किल पड़ ही रहा है कि तभी उन्हीं की पार्टी में बड़ी दरार पड़ने के असार निर्माण हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड और प्रधानमंत्री के.पी.ओली के बीच के, पार्टी में वर्चस्व के विवाद ने ज़ोर पकड़ा है। के. पी. ओली की सरकार नेपाली जनता की उम्मीदें पूरीं नहीं कर सके है, ऐसे आरोप प्रचंड ने पार्टी की बैठक में ही सबके सामने किये। इससे पार्टी को अगले चुनावों में बड़ी हानि का सामना करना पड़ेगा, ऐसा प्रचंड ने कहा है। ओली ने प्रचंड की आलोचना की थी। इस कारण भी प्रचंड नाराज़ हैं। पार्टियों में प्रचंड का समर्थन बढ़ा होकर, इससे ओली अधिक ही बेचैन हुए दिखायी दे रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी का एकीकरण होने के बाद, पॉवर शेअरिंग के बारे में किये फ़ैसलों पर प्रधानमंत्री ओली अमल करें और इस्तीफ़ा दें, ऐसी माँग प्रचंड ने की होकर, अन्यथा पार्टी का विभाजन करने की धमकी दी है।

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