इस्रायल और अरब देशों के बीच विशेष रक्षा सहयोग मुमकिन – इस्रायल के रक्षामंत्री का ऐलान

केरेम शालोम – ‘इस्रायल खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ ठेंठ रक्षा सहयोग समझौते नहीं करेगा। लेकिन, जिन देशों के साथ इस्रायल के राजनीतिक संबंध स्थापित हुए हैं, ऐसें खाड़ी देशों के साथ इस्रायल रक्षा क्षेत्र में विशेष सहयोग यक़ीनन कर सकता है’, ऐसा बयान इस्रायल के रक्षामंत्री बेनी गांत्ज़ ने किया है। खाड़ी क्षेत्र के देशों को ईरान से बना खतरा बढ़ने की चर्चा जारी है; ऐसे में इस्रायल के रक्षामंत्री ने किए ये बयान गौरतलब साबित होते हैं।

इस्रायल के अग्रीम रेडियो चैनल ने बीते महीने में इस्रायल, सौदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात (यूएई) और बहरीन के बीच, संयुक्त रक्षा समझौते के मुद्दे पर चर्चा जारी होने की खबर प्रकाशित की थी। ईरान से बढ़ रहें खतरे की पृष्ठभूमि पर, इस्रायल और अरब देशों के बीच यह समझौता होना मुमकिन होने की बात इस रेडियो चैनल ने सूत्रों के हवाले से कही थी। दो दिन पहले गाज़ा के सरहदी क्षेत्र का परीक्षण करने के लिए पहुँचे रक्षामंत्री गांत्ज़ को, नामांकित आन्तर्राष्ट्रीय वृत्तसंस्था ने इस विषय पर सवाल किया। इसपर इस्रायल के रक्षामंत्री ने अपने देश की भूमिका रखी।

israel-arab-defence-cooperationखाड़ी क्षेत्र के यूएई और बहरीन इन देशों ने इस्रायल को मंज़ुरी प्रदान करके राजनीतिक संबंध स्थापित किए हैं। अब खाड़ी क्षेत्र के अन्य देश भी जल्द ही इस्रायल के साथ राजनीतिक स्तर पर सहयोग स्थापित करेंगे, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं। सौदी अरब ने अब तक इस्रायल के साथ संबंध स्थापित करने का ऐलान किया नहीं है, फिर भी दोनों देशों के सहयोग की शुरुआत होने के दावे किए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर इस्रायल के रक्षामंत्री ने, खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ रक्षा विषयक समझौते से संबंधित खबर पर बड़ी सावधानी से प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ ठेंठ रक्षा समझौता करना मुमकिन नहीं है, यह बात इस्रायली रक्षामंत्री ने स्वीकारी है। लेकिन, जिन खाड़ी देशों ने इस्रायल के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित किए हैं, ऐसें देशों के साथ विशेष रक्षा विषयक सहयोग यक़ीनन स्थापित किए जा सकते हैं, ऐसा गांत्ज़ ने कहा है।

इस रक्षा विषयक सहयोग के आधार पर इस्रायल अरब देशों के साथ अपने सुरक्षा विषयक संबंध विकसित करेगा, यह विश्‍वास रक्षामंत्री गांत्ज़ ने व्यक्त किया है। सीधे ज़िक्र भले ही ना किया हो, फिर भी सौदी अरब और अन्य खाड़ी देशों के साथ इस्रायल रक्षा समझौता किए बगैर रक्षासंबंधी सहयोग कर सकता है, ऐसें संकेत देते हुए गांत्ज़ दिख रहे हैं।

बीते वर्ष के सितंबर महीने में इस्रायल और यूएई और बहरीन इन देशों ने ‘अब्राहम समझौता’ किया था। इस समझौते के तहत इस्रायल और दोनों खाड़ी-अरब देशों का सहयोग स्थापित हुआ है। यूएई ने दो दिन पहले तेल अवीव में अपना दूतावास शुरू करके, मोहम्मद अल खाजा को राजदूत नियुक्त किया है। इस दौरान खाजा ने इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू से मुलाकात की। इस भेंट के दौरान यूएई के राजदूत का स्वागत करते समय प्रधानमंत्री नेतान्याहू ने यह ऐलान किया कि, ‘हम खाड़ी क्षेत्र को बदल रहे हैं। हम विश्‍व को बदल रहे हैं।’

israel-arab-defence-cooperationसौदी अरब के काफी लोगों को इस्रायल के साथ सहयोग’ करने की मंशा होने के संकेत अमरीका के पूर्व विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने दिए हैं। दो दिन पहले अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी के कार्यक्रम मे बात करते समय पोम्पिओ ने यह ऐलान किया। ‘सौदी का शाही परिवार ‘अब्राहम समझौते’ में शामिल होने का मार्ग यक़ीनन ही ढूँढ लेगा’, यह विश्‍वास पोम्पिओ ने व्यक्त किया।

अमरीका ने ईरान के कुदस्‌ फोर्सेस के प्रमुख कासेम सुलेमानी को मार गिराने के बाद अरब देशों के विश्‍वास में बढ़ोतरी हुई और इसके बाद अरब देश इस्रायल के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हुए। सुलेमानी का जगह पर ही मारा जाना और ‘अब्राहम समझौता’ ये अलग अलग घटनाएँ नही हैं’, यह बात पोम्पिओ ने ड़टकर कही।

इसी बीच इस्रायल और सौदी का सहयोग स्थापित करने के लिए अमरीका का बायडेन प्रशासन भी तैयार होने की जानकारी अमरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने प्रदान की। लेकिन, उससे पहले सौदी ने अपने मानव अधिकारों से संबंधित शिकायतों पर ध्यान देना होगा, यह अमरीका की उम्मीद होने की बात प्राईस ने कही है।

लेकिन, सौदी के साथ होनेवाले सहयोग के लिए मानव अधिकारों का सम्मान करने की बायडेन प्रशासन की माँग, इस प्रशासन की नीति में होनेवाली विसंगति को स्पष्ट रूप से दिखाती है। मानव अधिकारों के पालन के लिए मशहूर ना होनेवाले ईरान एवं अन्य देशों के साथ बातचीत और सहयोग करने की तैयारी बायडेन प्रशासन दिखा रहा है।

खास तौर पर उइगरवंशियों के मानव अधिकारों का चीन द्वारा हो रहा हनन, इस मुद्दे पर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने सौम्य भूमिका अपनाई है। ऐसी स्थिति में मानव अधिकारों का मुद्दा उपस्थित करके सौदी को लक्ष्य करने की बायडेन प्रशासन की नीति पर अमरिकी विश्‍लेषक भी नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं।

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