एशियाई देशों को कोरोना के टीकों की सप्लाई कर चीन को मात देने की क्वाड द्वारा तैयारी

वॉशिंग्टन – कोरोना प्रतिबंधक टीका यह आज के दौर की ‘नयी राजनीतिक करन्सी’ बना होने का दावा किया जाता है। जिन देशों के पास यह करन्सी है, वे देश इसका अपनी विदेश नीति के लिए इस्तेमाल कर रहे होने की चर्चा शुरू है। साथ ही, भारत इसमें सबसे आगे होने के दावे किए जाते हैं। भारत ने ये टीके विकसित करके चीन को ज़बरदस्त झटका दिया है और इस कारण चीन अत्यधिक बेचैन हुआ होने की बात भी कही जाती है। लेकिन अब चीन ने लगभग ४५ देशों को कोरोना के टीके की सप्लाई करने की तैयारी की है। इसके द्वारा चीन जैसा अतिमहत्त्वाकांक्षी देश अपनी विदेश नीति को आक्रामक रूप में आगे बढ़ा सकता है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए अमरीका ने, ‘क्वाड’ के सहयोग से कोरोना के टीके की एशियाई देशों को सप्लाई करके चीन को प्रत्युत्तर देने की तैयारी की है।

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कोरोना के टीकों की सप्लाई करने की तैयारी दर्शाकर चीन ने, एशियाई क्षेत्र के छोटे देशों के सामने यह शर्त रखी थी कि वे चीन के ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह-बीआरआय’ प्रकल्प में सहभागी हों। कोरोना की महामारी के कारण बेहाल हुए इन देशों के सामने अपने प्रकल्प में सहभागी होने के सिवा और कोई चारा ही नहीं होगा, ऐसा चीन का अनुमान था। लेकिन चीन से भी पहले भारत में कोरोना प्रतिबंधक टीके विकसित हुए। इन टीकों की विश्‍वासार्हता और प्रभाव चीन के टीको की तुलना में बहुत ही अधिक है। इतना ही नहीं कमा बल्कि उसकी दरें भी चीन की अपेक्षा बहुत ही कम हैं। इस कारण इस मोरचे पर चीन ने की हुई साजिश नाकाम साबित हुई दिख रही है।

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इसके बावजूद भी चीन ने, कोरोना की महामारी का फायदा उठाकर अपना टीका छोटे और गरीब देशों को सप्लाई करने की जोरदार गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। इसके अनुसार चीन लगभग ४५ देशों को कोरोना के टीकों की सप्लाई करने वाला है। इन देशों को लगभग ५० करोड़ डोसों की सप्लाई करने के लिए चीन ने शुरू कीं कोशिशों की दखल, अमरीका के बायडेन प्रशासन को भी लेनी पड़ रही है। अपने हेतु हासिल करने के लिए चीन इन टीकों का इस्तेमाल करेगा, इसे मद्देनजर रखकर बायडेन प्रशासन ने उसके खिलाफ कदम उठाए होने के दावे किए जाते हैं। इसके लिए ‘क्वाड’ देशों का इस्तेमाल करने का फैसला बायडेन प्रशासन ने किया होने की जानकारी सामने आई है।

सन २००४ में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने मिलकर ‘क्वाड’ का गठन किया था। सन २००४ में इंडोनेशिया पर त्सुनामी के संकट ने कहर ढाने के बाद क्वाड देशों ने तेजी से बचाव कार्य शुरू किया। कोरोना की महामारी बढ़ रही है, ऐसे में क्वाड इस तरह से सहयोग करके छोटे एशियाई देशों की सहायता कर सकता है, ऐसा व्हाईट हाऊस की ‘इंडो-पैसिफिक’ नीति के समन्वयक ‘कर्ट कॅम्बेल’ ने कहा है। वहीं, ‘ब्रुकिंग्ज् इन्स्टिट्यूशन’ इस विख्यात अभ्यासगुट की भारतविषयक विशेषज्ञ तन्वी मदन ने इस संदर्भ में अधिक गहराई से जानकारी दी। ‘‘ ‘क्वाड’ यह संगठन केवल चीन को रोकने के लिए नहीं, ऐसा संदेश कोरोना के टीके की सप्लाई करके दिया जा सकता है। इससे क्वाड के संदर्भ में होनेवालीं आशंकाएँ दूर होंगी और एशियाई देश उससे जुड़ जाएंगे’’, ऐसा दावा तन्वी मदन ने किया है।

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