इस्रो की ऐतिहासिक सफलता; चार टन के वज़न के उपग्रह का प्रक्षेपण; ‘जीसॅट-१९’ प्रक्षेपण से इंटरनेट की गति प्रति सेकंद ४जीबी

श्रीहरिकोटा, दि. ५ : ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ रॉकेट द्वारा ३ हजार १३६ किलो वज़न के ‘जीसॅट-१९’ इस उपग्रह क प्रक्षेपण करके भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इस्रो) ने इतिहास रचा है| भारत के भविष्य की दिशा तय करनेवाले प्रक्षेपण के तौर पर इस्रो के इस प्रक्षेपण की ओर देखा जा रहा ह| इसलिए, केवल देश का ही नहीं, बल्कि पूरे विश्‍व का ध्यान इस्रो के इस प्रक्षेपण की ओर लगा था|

फरवरी महिने में, एकसाथ १०४ उपग्रह अवकाश में प्रक्षेपण कर इस्रो ने विश्‍वविक्रमी छलांग लगाई थी| इसके बाद अब चार टन वज़न के उपग्रह का अवकाश में प्रक्षेपण करने की क्षमता साबित करके इस्रो ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है| इस वजह से भारत को अंतरिक्ष में मानवी मुहिम हाथ में लेने की क्षमता प्राप्त हुई है| ऐसी क्षमता हासिल करनेवाला भारत, यह अमरीका, रशिया और चीन के बाद विश्‍व का चौथा देश बना है|

‘जीसॅट-१९’भारतीय संशोधक पिछले १५ सालों से वज़नी उपग्रह प्रक्षेपण करने की क्षमता रखनेवाला ‘जीएसएलव्ही’ तैयार करने के लिए अथक मेहनत कर रहे थे| नब्बे के दशक में भारत को ऐसी टेक्नॉलॉजी ना मिलें, इसके लिए अमरीका ने बड़े रोड़े खड़े किये थे|

अमरीका के दबाव के बाद रशिया ने भी भारत को यह टेक्नॉलॉजी देने से इन्कार किया था| इस वजह से वज़नी उपग्रह अवकाश में प्रक्षेपित करने के लिए भारत को अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता था| अवकाश क्षेत्र में अपना दबदबा कायम रखने के लिए बड़े राष्ट्रों ने भारत के रास्ते में खड़े किये रोड़ो को पार करते हुए इस्रो ने बड़ी ज़िद के साथ यह क्षमता हासिल की है| इससे, जिन देशों ने भारत को यह टेक्नॉलॉजी देने से इन्कार किया था, उन्हीं देशों की सूचि में अब भारत शामिल हुआ है|

‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ यह रॉकेट प्रक्षेपण यान चार टन इतने वज़न का उपग्रह पृथ्वी की कक्षा तक ले जा सकता है, साथ ही पृथ्वी की निचली कक्षा में आठ टन के उपग्रह इस यान की मदद से प्रक्षेपित किए जा सकेंगे इतनी क्षमता ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ में है|

‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ का वजन तकरीबन ६३० टन है और लंबाई ४२ मीटर है| इसी के साथ, लगभग १३ मंज़िला ऊँचाईवाले ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ को उसके आकार और वज़न की वजह से ‘फॅटबॉय’ भी कहा जा रहा है| ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ के निर्माण के लिए १६० करोड़ रुपये का खर्च आया है|

‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ के जरिए प्रक्षेपण को मिली कामयाबी की वजह से, अवकाश में भारी वज़नवाले उपग्रह प्रक्षेपित करने की इस्रो की क्षमता में दुगुनी बढ़ोतरी हुई है| अंतराल में मानवी मुहिम हाथ में लेने का भारत का रास्ता भी साफ हुआ है| अंतराल में मानवी मुहिम हाथ में लेने के लिए ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ को कामयाबी मिलना अहम था| इसरो ने मानवी मुहिम की योजना रची है| इस दृष्टि से ‘जीएसएलव्ही मार्क-३’ के प्रक्षेपण की कामयाबी की ओर पूरे भारत का ध्यान लगा था और इस प्रक्षेपण को भारत की भविष्य की दिशा तय करनेवाले प्रक्षेपण के तौर पर देखा जा रहा था|

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