‘भारत को ‘सीपीईसी’ में शामिल होना चाहिए’ : चीन के विदेशमंत्री का आवाहन

बीजिंग, दि. १८ : ‘ ‘चायना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ प्रकल्प (सीपीईसी) कश्मीर से जुड़ा नहीं| इस वजह से इस प्रकल्प पर ऐतराज़ जताने की भारत के लिए कोई वजह नहीं| इसलिए ‘सीपीईसी’ जिस ‘वन बेल्ट वन रोड’(ओबीओआर) योजना का हिस्सा है, उसमें यदि भारत शामिल हुआ, तो चीन उसका स्वागत करेगा’ ऐसा चीन के विदेशमंत्री वँग यी ने कहा है| चीन का ‘सीपीईसी’ प्रकल्प पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर (पीओके) से जाता है| इसपर भारतने सख़्त ऐतराज़ जताया था| इस पृष्ठभूमि पर, चीन द्वारा भारत को यह निवेदन किया जा रहा है|

‘सीपीईसी’१४ और १५ मई को ‘ओबीओआर’ के लिए विशेष चर्चा का आयोजन किया जा रहा है| इसमें कई देशों के राष्ट्रप्रमुख शामिल होनेवाले हैं| इसमें रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ, श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानील विक्रमसिंघे, म्यानमार की विदेशमंत्री ‘आँग सॅन स्यू की’ ऐसे नेता शामिल होनेवाले हैं| लेकिन पश्‍चिमी देशों के राष्ट्रप्रमुख चीन की इस बैठक की ओर पीठ फेर देंगे, ऐसी चर्चा शुरू हुई है| इस पृष्ठभूमि पर, अपने इस महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प की बैठक को क़ामयाब बनाने के लिए चीन जी-जान से कोशिश कर रहा है, ऐसा दिख रहा है|

‘ ‘सीपीईसी’ यह आर्थिक प्रकल्प है, इसका राजनीतिक तथा भौगोलिक झगड़े से कोई संबंध नहीं| इसलिए भारत को इस प्रकल्प में शामिल होने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस प्रकल्प का कश्मीर मसले के साथ ठेंठ कोई संबंध नहीं है| भारत पहल करके जिस ‘बीसीआयएम’ कोरिडोर (बांग्लादेश, चीन, इंडिया, म्यानमार) प्रकल्प बना रहा है, उसमें शामिल देश भी उसमें सम्मिलित हुए हैं|’’, इसपर भी चीन के विदेशमंत्री ने ग़ौर फ़रमाया| भारत के राष्ट्रप्रमुख ‘ओबीओआर’ की बैठक में शामिल नहीं होंगे| फिर भी भारत ने यदि अपने प्रतिनिधि इस बैठक के लिए भेजे, तो चीन उनका स्वागत करेगा, ऐसा दावा चीन के विदेशमंत्री ने किया|

चीन के इस महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प की बैठक को अमरीका, फ्रान्स, ब्रिटन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया ये देश उपस्थित नहीं रहेंगे, ऐसी जानकारी सामने आ रही है|

इसके साथ ही, सिंगापुर, ब्रुनेई, थायलैंड ये देश भी इस बैठक में उपस्थित न रहने की बात सामने आयी है| इस मामले में सवाल पूछा जानेपर चीन के विदेशमंत्री ने, ‘इस प्रकल्प में राजनीति लाना सही नहीं होगा’ ऐसा जवाब दिया| ‘देश चाहे कितना भी छोटा हों और उसने यदि इस प्रकल्प को समर्थन दिया, तो चीन उस बात को सकारात्मक मानेगा| युरेशिया के भूभाग को व्यापारी दृष्टि से जोड़नेवाला यह प्रकल्प इस क्षेत्र के सभी देशों का स्वागत करेगा’ ऐसा दावा विदेशमंत्री वँग यी ने इस समय किया|

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